कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 9 कारक
कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 9 कारक तथा कारक के भेद उदाहरण सहित अध्ययन सामग्री सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 7 के विद्यार्थी हिंदी ग्रामर में पाठ 7 में कारक के भेदों पर आधारित उदाहरण के माध्यम से पाठ को आसानी से समझ पाएंगे।
कारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो वाक्य के अन्य शब्दों विशेषतः क्रिया से अपना संबंधा प्रकट करता है, ‘कारक’ कहलाता है।
उदाहरण:
(क) अमन ने फ़ल खाया।
(ख) यह सुरेश का पुत्र है।
(ग) राम ने रावण को मारा।
(घ) पेड़ से पत्ता गिरा।
उपर्युक्त वाक्यों में ने, का, को, से चिह्न प्रयुक्त हुए हैं। इन चिह्नों से वाक्य के शब्दों के बीच संबंध का पता चलता है तथा अर्थ स्पष्ट हो जाता है। इन चिह्नों को विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं।
कारक के भेद
हिंदी में आठ कारक हैं। ये निम्नलिखित हैं:
विभक्ति | कारक | चिह्न |
---|---|---|
प्रथमा | कर्ता | ने |
द्वितीया | कर्म | को |
तृतीया | करण | से |
चतुर्थी | संप्रदान | को, के लिए |
पंचमी | अपादान | से (पृथक् होने के लिए) |
षष्ठी | संबंध | का, के, की |
सप्तमी | अधिकरण | में, पर |
अष्टमी | संबोधन | हे!, अरे! |
कारक के प्रकार
कर्ताकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो क्रिया करने वाले का बोधा कराता है, कर्ताकरक कहलाता है। जैसे- ‘राम पुस्तक पढ़ता है, में ‘राम’ कर्ता कारक है।
कर्मकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिस पर क्रिया के काम का प्रभाव पड़े, उसे कर्मकारक कहते हैं। जैसे- ‘राम ने रावण को मारा’ में ‘रावण’ कर्म कारक है।
करणकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो क्रिया के साधान के रूप में काम आए उसे करणकारक कहते हैं। जैसे- मैं कलम से लिखता हूँ। में ‘कलम’ करणकारक है।
संप्रदानकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिसके लिए कुछ किया जाता है उसे संप्रदान कारक कहते हैं। जैसे- मैं स्नान के लिए नदी पर गया। में ‘स्नान’ संप्रदान कारक है।
अपादान कारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे कोई वस्तु अलग हो उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे- पेड़ से पत्ता गिरता है। में ‘पेड़’ अपादान कारक है।
संबंधकारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी दूसरे शब्द का संबंध या लगाव जान पड़े उसे संबंधकारक कहते हैं। जैसे- ‘यह राजा का पुत्र है।’ में राजा संबंध कारक है।
अधिकरण कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधाार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे- बंदर पेड़ पर चढ़ता है। पेड़ अधिकरण कारक है।
संबोधन कारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारने या सचेत करने आदि का भाव मालूम हो, उसे संबोधान कारक कहते हैं। जैसे- ‘हे अर्जुन, आत्मा अजर-अमर है।’ में हे अर्जुन संबोधान कारक में है।
संज्ञा शब्दों की रूप-रचना
अकारांत पुल्लिंग शब्द- ‘बालक’
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | बालक ने | बालकों ने |
कर्म | बालक को | बालकों को |
करण | बालक से, बालक के द्वारा | बालकों से, बालकों के द्वारा |
संप्रदान | बालक को, बालक के लिए | बालकों को, बालकों के लिए |
अपादान | बालक से (पृथक्) | बालकों से (पृथक्) |
अधिकरण | बालक में, बालक पर | बालकों में, बालकों पर |
संबोधन | हे बालक! | हे बालको! |