कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 1 भाषा और व्याकरण

कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 1 भाषा और व्याकरण के लिए अध्ययन सामग्री अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप यहाँ दिए गए हैं। सातवीं कक्षा के छात्र हिंदी ग्रामर में पाठ 1 को यहाँ दी गई पठन सामग्री के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।

भाषा, व्याकरण और लिपि

भाषा वह साधान है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर या लिखकर अपने विचार दूसरों तक प्रकट करता है तथा दूसरों के विचारों को सुनकर या पढ़कर ग्रहण कर लेता है।
उदाहरण:
हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, चीनी, रूसी आदि अनेक भाषाएँ विश्व में प्रचलित हैं।
भाषा के रूप
भाषा के दो रूप होते हैं:
1. लिखित
2. मौखिक

भाषा के लिखित रूप का महत्त्व

भाषा का लिखित रूप महत्त्वपूर्ण है, यही रूप भाषा को सुरक्षित रखता है। लिखित रूप ही भाषा को मानक रूप प्रदान करता है। यही रूप भाषा को स्थाई रूप प्रदान करता है।

लिखित भाषा: भाषा का वह रूप जिसमें भावों व विचारों का संप्रेषण लिखकर किया जाता है।
मौखिक भाषा: भाषा का वह रूप जिसमें भावों व विचारों को दूसरे तक बोलकर पहुँचाते हैं।

लिपि

भाषा की धवनियों को लिखित रूप में प्रकट करने के लिए जिन चिह्नों या प्रतीकों का प्रयोग करते हैं, उन्हें लिपि कहा जाता है।
भाषा के लिखित रूप में प्रत्येक धवनि के लिए किसी निश्चित चिह्न का प्रयोग होता है। इन चिह्नों को वर्ण या अक्षर कहते हैं तथा अक्षरों या वर्णों को लिखने की विधि या व्यवस्था ‘लिपि’ कहलाती है।

भाषाएं और उनकी लिपियाँ

हिन्दी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है जिसके अपने लिपि-चिह्न हैं। अंग्रेजी रोमन लिपि में लिखी जाती है। कुछ प्रमुख भाषाएँ व उनकी लिपियाँ इस प्रकार हैं:

भाषालिपि
संस्कृतदेवनागरी
अंग्रेजीरोमन
हिन्दीदेवनागरी
पंजाबीगुरुमुखी
मराठीदेवनागरी
उर्दूफ़ारसी
लिपि का महत्त्व

लिपि लिखाई का एकमात्र माधयम है। यदि लिपि का विकास न हुआ होता तो ज्ञान-विज्ञान एवं विचार किस तरह प्रकट होते? पुस्तकें कैसे बनतीं? शिक्षा का विकास किस माधयम से होता? मानव के इतिहास, ज्ञान, विज्ञान आदि को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता था? लिपि के माधयम से ही हम ज्ञान-विज्ञान को सुरक्षित एवं संरक्षित रख पाते हैं।

भाषा
भारत की संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत (संघ) की राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। संविधाान के अनुच्छेद 343 के अनुसार भारत संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है। विकास होते-होते हिन्दी का शब्द-भंडार एक करोड़ के ऊपर पहुँच चुका है।

उपभाषाएँबोलियाँ
पश्चिमी हिन्दीब्रजभाषा, खड़ी बोली, हरियाणवी, बुंदेली तथा कन्नौजी।
पूर्वी हिन्दीअवधी, बहोली तथा छत्तीसगढ़ी।
बिहारी हिन्दीमगही, मैथिल तथा भोजपुरी।
पहाड़ी हिन्दीकुमाऊँनी, मंडियाली, गढ़वाली तथा बागड़ी।
राजस्थानी हिन्दीजयपुरी, मेवाती, मारवाड़ी, मेवाड़ी।
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