कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 5 शब्द विचार

कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 5 शब्द विचार के लिए अध्ययन सामग्री सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। सातवीं कक्षा के छात्र हिंदी ग्रामर में पाठ 5 के अध्ययन के लिए यहाँ दिए गए विडियो तथा अभ्यास पुस्तिका का प्रयोग करके उसे सरल बना सकते हैं।

शब्द विचार

एक या एक से अधिक ‘वर्णों’ के मेल से बने सार्थक ध्वनि समूह को ‘शब्द’ कहते हैं। हम अपनी बात कहने के लिए अनेक शब्दों का प्रयोग करते हैं। ये शब्द मिलकर ही वाक्य का रूप ले लेते हैं। आपने कई बार यह अनुभव किया होगा कि बातचीत करते समय या परीक्षा में उत्तर लिखते समय आप अचानक रुक जाते हैं, क्योंकि उस समय विचार को प्रकट करने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं मिल पाता। इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि शब्द का भाषा में कितना अधिक महत्त्व है।

शब्द के भेद

इस प्रकार अर्थ के विचार से शब्दों के दो भेद हैं:
1. सार्थक ध्वनि: जिनका कुछ अर्थ निकलता है।
2. निरर्थक ध्वनि: जिनका कुछ अर्थ नहीं निकलता।

शब्दों के भेद

व्युत्पत्ति (बनावट) के विचार से शब्द तीन प्रकार के हैं:
1. रूढ़,
2. यौगिक
3. योगरूढ़

रूढ़
जो शब्द परंपरागत किसी विशेष अर्थ को लिए चले आ रहे हों और जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होता, वे ‘रूढ़’ शब्द कहलाते हैं। जैसे – आदमी, पशु। इसमें आ, द, मी, का अलग-अलग कुछ अर्थ नहीं है, इसी प्रकार प, शु भी निरर्थक हैं।
यौगिक
जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों अथवा शब्दांशों से मिलकर बने हों, उन्हें ‘यौगिक’ शब्द कहते हैं। जैसे- ‘विद्यालय’ शब्द में दो खंड हैं:
1- विद्या
2- आलय
‘विद्या’ का अर्थ है ‘ज्ञान’, ‘आलय’ का अर्थ है स्थान (घर), तो विद्यालय का अर्थ है ‘ज्ञान प्राप्त करने का स्थान, अर्थात् स्कूल।

योगरूढ़

जो दो या दो से अधिक शब्दों अथवा शब्दांशों से मिलकर बने हों और किसी एक विशेष अर्थ को प्रकट करने वाले हों, उन्हें ‘योगरूढ़’ शब्द कहते हैं। जैसे- हिमालय = हिम (बर्फ) + आलय (घर) अर्थात् बर्फ का घर। परंतु हिमालय का अर्थ बर्फखाना आदि न होकर एक विशेष पर्वत का नाम है। इसी प्रकार पीतांबर, हलधर, गिरिधर आदि शब्द सार्थक खंडों के योग से बने हैं। इन शब्दों में दो खंडों का योग है, पर अर्थ रूढ़ है, अतः ये योगरूढ़ कहलाते हैं।

उत्पति के आधार पर शब्द भेद
उत्पत्ति (जन्म) के अनुसार शब्द के चार भेद हैंः
1. तत्सम शब्द
2. तद्भव शब्द
3. देशज शब्द
4. विदेशी (विदेशज) शब्द

तत्सम तद्भव शब्द

तत्सम शब्द
जो संस्कृत शब्द मूल रूप में यथावत् प्रयुक्त होते हैं, उन्हें ‘तत्सम’ शब्द कहते हैं। जैसेः अग्नि, पुष्प, रात्रि, आकाश, पुस्तक, स्नेह, माता-पिता, जल, पृथ्वी, पाठशाला, वायु, विद्यालय, सूर्य, दर्पण आदि।
तद्भव शब्द
जिन शब्दों को संस्कृत भाषा से लेकर उनका रूप बदलकर हिंदी भाषा में प्रयोग किया गया है, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। जैसेः घृत से घी, दधि से दही, अग्नि से आग, हस्त से हाथ, गृह से घर, सूर्य से सूरज, सर्प से साँप, दंत से दाँत, गौ से गाय आदि।

देशज शब्द
संस्कृत भाषा को छोड़कर देश की अन्य भाषाओं से लिए गए शब्दों को देशज शब्द कहते हैं। जैसेः भिंडी, जूता, लोटा, लड़का, म्याऊँ-म्याऊँ, खटखटाना, थैला, झाड़ू, गाड़ी आदि।
विदेशज शब्द
जिन शब्दों को अन्य देशों की भाषा से लेकर हिंदी में प्रयोग किया गया है, उन्हें विदेशज शब्द कहते हैं।

अंग्रेजी भाषा सेपैन, साईकिल, फुटबाल, रेडियो, डॉक्टर, स्टेशन आदि।
अरबी भाषा सेकलम, तारीख, अमीर, ख़त, गरीब आदि।
फारसी भाषा सेचश्मा, गुलाब, किताब, बाग, बीमार, मदरसा आदि।
तुर्की भाषा सेतोप, लाश, चाकू, कैंची, दारोगा आदि।
पुर्तगाली भाषा सेगमला, प्याली, आलू, कमरा, पादरी आदि।
फ्रेंच भाषा सेकफ्रर्यू, पुलिस, बिगुल आदि।
चीनी भाषा सेचाय, लीची, तूफान आदि।
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