कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 37 कहानी लेखन

कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 37 कहानी लेखन के अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा अतिरिक्त अध्ययन के लिए अभ्यास पुस्तिका शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर, कक्षा 7 में व्याकरण का अध्ययन भाषा कौशल की नींव रखता है जिसका उपयोग छात्र अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन में करेंगे।

कहानी-लेखन

बच्चों को कहानी सुनना बहुत ही अच्छा लगता है। पशु-पक्षियों की कहानी, भूत-प्रेतों की कहानी, परियों की कहानी आदि सुनकर वे कल्पना लोक में खो जाते हैं। उनके अंदर एक रचना-शक्ति पैदा होने लगती है। यदि उपयुक्त माहौल मिला तो वे भी कहानियाँ लिखने लग जाते हैं।
कहानी लेखन भी एक कला है। इसमें जीवन की किसी महत्त्वपूर्ण घटना या संवेदना की आकर्षक अभिव्यक्ति होती है। कहानी लेखन के लिए निरंतर अभ्यास व परिश्रम की जरूरत होती है।

कहानी लेखन के प्रकार

परीक्षा में प्रायः चार प्रकार से कहानी-लेखन करने को कहा जाता है-
1. दिए गए संकेतों के आधार पर कहानी-लेखन।
2. दिए गए चित्रों के आधार पर कहानी-लेखन।
3. दिए गए शीर्षक के आधार पर कहानी-लेखन।
4. अधूरी कहानी को पूरा करना।

कहानी लेखन की महत्त्वपूर्ण बातें

कहानी-लेखन चाहे किसी भी प्रकार से क्यों न किया जाए, उसके लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होता है। ऐसी ही कुछ आवश्यक बातों की सूची दी जा रही है:-
1. दिए गए शीर्षक, संकेत, चित्र आदि को ध्यान से समझ लेना चाहिए।
2. उसके अनुसार एक रूप-रेखा तैयार कर लेनी चाहिए।
3. कहानी की घटनाओं व पात्रों की भी रूपरेखा बना लेनी चाहिए।
4. कहानी के रोचक आरंभ व मर्मस्पर्शी अंत पर विचार करना चाहिए।
5. कहानी की भाषा सरल, सुबोध व प्रसंगानुकूलित होनी चाहिए।

6. मुहावरों, लोकोक्तियों आदि का प्रयोग कर भाषा को उन्नत बनाना चाहिए।
7. सीमित व सारगर्भित शब्द सीमा का प्रयोग करना चाहिए।
8. कहानी में विचारों व वाक्यों की आवृत्ति नहीं होनी चाहिए।
9. कहानी की भाषा प्रायः भूतकालिक होती है।
10. कहानी का शीर्षक हमेशा छोटा व आकर्षक होना चाहिए।

कहानी की विशेषताएँ

कहानी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:
1. इसके द्वारा कोई शिक्षा दी जाती है।
2. भाषा प्रायः भूतकालिक होती है।
3. इसमें किसी घटना, विचार या विषय का व्यवस्थित वर्णन होता है।
4. इसकी भाषा प्रायः सरल होती है।

साँड़ और शेर

किसी जंगल में चार साँड़ रहते थे। वे बहुत शक्तिशाली थे। उनमें आपस में गहरी मित्रता थी। इसलिए जंगल के सभी जानवर उनसे ईर्ष्या करते थे। यहाँ तक कि शेर भी उन पर हमला करने का साहस नहीं करता था।
इन चारों की दोस्ती शेर की आँख में खटकती थी। वह इनका माँस तो खाना चाहता था मगर जब वह इन चारों को देखता, तो पीछे हट जाता था। एक दिन शेर को एक तरकीब सूझी। उसने साँड़ को अपने पास बुलाया और उसके कान में दूसरे साँड़ के बारे में कुछ कह दिया। अब यह साँड़ अपने मित्रें से अलग रहने लगा। शेर ने इसी प्रकार बारी-बारी से इन सबको बहकाकर इनमें फ़ूट डलवा दी। अब ये चारों अलग-अलग रहते और कभी-कभी तो आपस में लड़ भी लेते।

शेर तो यही चाहता था कि किसी तरह इन चारों में फ़ूट पड़ जाए। एक दिन मौका देखकर शेर एक साँड़ पर झपटा। आपसी फ़ूट के कारण उसके तीन मित्रें ने उसकी सहायता नहीं की। बस वे दूर से देखते रहे। अकेला साँड़ शेर का मुकाबला कब तक करता? थोड़ी ही देर में शेर ने उसका काम तमाम कर दिया और मजे से उसका माँस खाया। इस प्रकार एक-एक करके शेर उन चारों को मारकर खा गया।
शिक्षा: आपसी फ़ूट का परिणाम विनाशकारी होता है।

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