कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 27 विराम चिह्न

कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 27 विराम चिह्न के प्रयोग तथा हिंदी ग्रामर में इसका महत्त्व सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्र सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 7 में हिंदी ग्रामर की अच्छी समझ बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि छात्र आने वाली कक्षाओं में प्रवेश करते हैं और अधिक जटिल पाठ और साहित्य सीखते हैं।

विराम चिह्न

रुकने व हाव-भाव की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए व्याकरण में जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
बोलते समय हम कहीं थोड़ा रुकते हैं तो कहीं अधिाक। विभिन्न भावों को व्यक्त करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के हाव-भाव व्यक्त करते हैं। लिखते समय उन्हीं भावों व हाव-भाव को पाठक तक संप्रेषित करने के लिए कुछ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन चिह्नों को वाक्यों के साथ प्रयोग किया जाता है।

विराम चिह्न का नाम चिह्न
पूर्ण विराम ।
अल्प विराम ,
अर्द्ध विराम ;
प्रश्नवाचक चिह्न ?
विस्मयादिबोधक !
उद्धारण चिह्न ” “
योजक चिह्न −
कोष्ठक-चिह्न ( )
लाघव चिह्न ०

पूर्ण विराम

वाक्य की पूर्णता को प्रकट करने के लिए पूर्ण विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है। प्रश्नवाचक तथा विस्मयबोधक वाक्यों के अलावा सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
(क) वह आज मुंबई जाएगा।
(ख) हम लोग बाजार जा रहे हैं।
अल्प विराम (,)
पढ़ते समय बहुत थोड़े समय के लिए रुकने के लिए अल्प विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
अर्द्ध विराम (;)
अल्प विराम से अधिाक किन्तु पूर्ण विराम से कम समय के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
परिश्रम ही जीवन है; आलस्य मृत्यु है।

प्रश्नवाचक चिह्न (?)

प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
(क) सूर्य कब निकलता है?
(ख) तुम्हारा क्या नाम है?
यदि एक ही वाक्य में कई प्रश्नसूचक उपवाक्य हों तो पूरे वाक्य की समाप्ति पर ही प्रश्नवाचक चिह्न लगता है। जैसे- कहाँ गया, कब गया और क्यों गया?

विस्मयादिबोधक चिह्न (!)

विस्मय, भय, शोक, घृणा, हर्ष आदि को प्रकट करने के लिए अधिाकतर विस्मयादिबोधक शब्द के बाद इसका प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
(क) अरे! तुम कब आए।
(ख) वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
(ग) छिः! तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

उद्धारण चिह्न (” “)

किसी व्यक्ति के कथन को मूल रूप से प्रस्तुत करने के लिए उद्धारण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
गाँधाीजी ने कहा, ”करो या मरो।“
वाक्य में प्रयुक्त कवि या लेखक के उपनाम, पाठों के शीर्षक, पुस्तक, समाचार पत्रें आदि के नाम को इकहरे उद्धारण चिह्न (‘ ’) से दर्शाया जाता है। जैसे- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।

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