कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 25 समास
कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 25 समास के भेद और उनका विभिन्न वाक्यों में प्रयोग सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। हिंदी ग्रामर के माध्यम से हम उन साहित्यिक तकनीकों और कलात्मक तत्वों के प्रयोग के बारे में जान पाते हैं जिनका हिन्दी साहित्य में बेहतर ढंग से प्रयोग किया जाता है।
शब्द रचना: समास
परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल का नाम समास है।
समास का शब्दार्थ है-संक्षेप! जैसे ‘गंगा का जल’ इसे गंगाजल’ भी कहते हैं। कथन से शब्द संक्षिप्त हो गया और अर्थ में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं आया। इस संक्षेपीकरण की विधि को समास कहते हैं।
उदाहरण: राजा का पुत्र = राजपुत्र
समस्तपद और विग्रह
समास से बनने वाले शब्दों को समस्तपद कहते हैं। गंगाजल, राजपुत्र आदि समस्तपद हैं। समस्तपदों को अलग-अलग बताने वाली रीति को विग्रह कहते हैं।
उदाहरण:
गंगाजल – गंगा का जल
राजपुत्र – राजा का पुत्र
समास-विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच में संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।
राजारंक – राजा और रंक
श्वेतांबर – श्वेत हैं अंबर जिसके
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि
समास के भेद
समास के चार भेद होते हैं:
1. अव्ययीभाव
2. तत्पुरुष
3. द्वंद्व
4. बहुव्रीहि
अव्ययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान होता है तथा दूसरा पद अव्यय होता है, वह अव्ययीभाव कहलाता है। जैसे- यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार) आमरण (मृत्यु तक) इसमें ‘यथा’ और ‘आ’ अव्यय हैं । जैसे- यथाशक्ति, यथाविधि, आजीवन आदि।
सामासिक पद | विग्रह |
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आजीवन | जीवन भर |
यथासामर्थ्य | सामर्थ्य के अनुसार |
यथाविधि | विधि के अनुसार |
प्रतिदिन | दिन प्रतिदिन (प्रत्येक दिन) |
भरपेट | पेट भरकर |
भरसक | शक्ति भर |
तत्पुरुष समास
जिस सामासिक शब्द का (दूसरा) उत्तर पद प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे- राजा का महल-राजमहल।
द्वंद्व समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान हों, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास के विग्रह में ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’, ‘या’ आदि शब्द लगते हैं। जैसे- रात-दिन- रात और दिन, भाई-बहन- भाई और बहन।
सामासिक पद | विग्रह |
---|---|
रुपया-पैसा | रुपया और पैसा |
लाभ-हानि | लाभ और हानि |
आटा-दाल | आटा और दाल |
शुभ-अशुभ | शुभ और अशुभ |
जन्म-मरण | जन्म और मरण |
घी-शक्कर | घी और शक्कर |
बहुव्रीहि समास
वह सामासिक पद जिसके दोनों पद ही प्रधान न हों बल्कि समस्तपद के कार्य के आधार पर कोई विशेष सांकेतिक अर्थ प्रधान हो।
सामासिक पद | विग्रह |
---|---|
पीतांबर | पीला है अंबर जिसका अर्थात् श्री कृष्ण। |
लंबोदर | लंबा है उदर जिसका अर्थात् श्री गणेश जी। |
दशानन | दस मुख वाला है जो अर्थात् रावण। |
वृषवाहन | बैल है जिसका वाहन अर्थात् शिव। |
नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव। |
चंद्रमौलि | चंद्र है सिर पर जिसके अर्थात् शंकर। |