कक्षा 4 हिंदी व्याकरण अध्याय 22 कहानी लेखन

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 हिंदी व्याकरण पाठ 22 कहानी लेखन तथा कई कहानियाँ उदाहरण के तौर पर छात्र यहाँ से प्राप्त करें। ये कहानियाँ सीबीएसई तथा स्टेट बोर्ड दोनों ही छात्रों के लिए उपयोगी हैं और शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित की गई हैं। दिए गए उदाहरणों को पढ़कर विधार्थी अभ्यास के प्रश्नों को हल करें ताकि वे कहानी लिखने में अभ्यस्त हो जाएँ।

कक्षा 4 के लिए हिंदी व्याकरण अध्याय 22 कहानी लेखन

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कहानी लेखन

कहानियाँ सुनने-सुनाने की लंबी परंपरा रही है। सभी कहानी सुनने में बहुत रुचि लेते हैं। कहानी सुनते समय बच्चे इतने मस्त हो जाते हैं कि वे खाना-पीना भी भूल जाते हैं। कहानी लिखना भी एक महत्वपूर्ण कला है। कुछ लोग इस प्रकार से कहानी सुनाते हैं कि सुनने वाले के मन पर उसका बहुत प्रभाव पड़ता है। कहानी केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि अनुभव पर आधारित शिक्षा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन भी है।

एक अच्छी कहानी वही समझी जाती है जो सरल, सरस, सजीव और रोचक हो। कहानी की सबसे बड़ी विशेषता यह होनी चाहिए कि कहानी सुनाते समय काल्पनिक दृश्य सामने आते जाएं।

कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

1. कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए।
2. कहानी की भाषा सरल, सरस और मुहावरेदार होनी चाहिए।
3. कहानी की घटनाएँ ठीक क्रम से लिखी जानी चाहिए।
4. कहानी के वाक्य छोटे तथा क्रमबद्‌ध होने चाहिए।
5. कहानी का उद्‌देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
6. कहानी शिक्षाप्रद होनी चाहिए।

जैसे को तैसा

बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक दर्जी रहता था। उसकी दुकान के सामने से एक रास्ता तालाब तक जाता था। राजा का हाथी प्रतिदिन उसी रास्ते से तालाब पर नहाने के लिए जाया करता था। तब वह दर्जी की दुकान पर आता तो दर्जी उसे खाने के लिए कुछ दिया करता था। कुछ ही दिनों में दर्जी और हाथी मित्र बन गए। कभी-कभी हाथी भी तालाब से कमल तोड़कर दर्जी को दे देता था। बहुत दिनों तक दर्जी हाथी को खाने के लिए देता रहा और हाथी भी अपना प्यार प्रकट करने के लिए कमल के फूल भेंट करता रहा। एक दिन किसी कारण दर्जी को बहुत क्रोध आया हुआ था। वह दुकान की चीजों को ठीक कर रहा था। उस समय प्रतिदिन की भाँति हाथी दर्जी की दुकान पर आकर खड़ा हो गया। उस दिन दर्जी ने हाथी को खाने के लिए कुछ नहीं दिया बल्कि हाथ में ली हुई सुई हाथी की सूँड़ में चुभो दी। हाथी ने उस समय कुछ नहीं कहा। वह चुपचाप तालाब की ओर चल पड़ा। हाथी ने तालाब में स्नान किया और पानी पीया इसके पश्चात्‌ अपनी सूँड़ में गंदा पानी भर लिया। दर्जी की दुकान पर आकर हाथी ने अपनी सूँड़ से गंदे पानी का छिड़काव कर दिया। दुकान पर जितने भी कपड़े टँगे हुए थे सब गंदे हो गए। दर्जी अपनी मूर्खता पर बहुत पछताया।

लालच बुरी बला है

एक किसान था। उसके पास एक मुर्गी थी। वह प्रतिदिन एक सोने का अंडा दिया करती थी। किसान ऐसी मुर्गी पाकर बहुत प्रसन्न था। कुछ समय पश्चात्‌ किसी जरूरी काम के लिए उसे बाहर जाना पड़ा। उसने अपने बेटे को मुर्गी के बारे में सब कुछ समझा दिया और कुछ दिनों के लिए अपना काम करने के लिए वह नगर की ओर चला गया। किसान के बेटे ने दो-तीन दिन तक मुर्गी से एक-एक अंडा प्राप्त किया और एक दिन वह सोचने लगा कि प्रतिदिन एक अंडा लेने से तो यह अच्छा है कि मैं मुर्गी को मारकर सारे सोने के अंडे निकाल लूँ। बहुत सारे अंडों को देखकर पिताजी भी प्रसन्न हो जाएँगे। यह सोचकर उसने मुर्गी को मार दिया किंतु उसमें से कोई भी सोने का अंडा नहीं निकला। जिसे देख कर किसान का बेटा बहुत पछताया कि क्यों उसने लालच में आकर मुर्गी को मार डाला। मुर्गी से जो एक अंडा रोज मिलता था वह भी मिलना बंद हो गया।

बुद्धि ही बल है

बहुत समय पहले की बात है। एक पेड़ पर एक कौए का जोड़ा रहता था। घोंसले में दोनों कौए प्रसन्नता से रहते थे। एक दिन साँप ने वहाँ आकर उनके बच्चे को खा लिया। कौआ अपने बच्चे को साँप द्वारा खाया हुआ देखकर बहुत दु:खी हुआ। नर कौआ साँप के पास गया और बोला- “हे साँप देवता, हम आपके पड़ोसी हैं। पड़ोसी तो एक-दूसरे के सुख-दु:ख के साथी होते हैं। आपने तो अपने पड़ोसी का भी ध्यान नहीं रखा।” कौए के मुँह से यह बातें सुनकर साँप को क्रोध चढ़ आया। वह गुस्से में भरकर फुफ्कारने लगा। यह देखकर कौआ वहाँ से तुरंत उड़ गया। कौओं ने सोचा कि यह अब हमारा हित सोचने वाला नहीं। साँप अब हमारा शत्रु बन गया है। वे साँप को समाप्त करने की बात सोचने लगे। कौओं को साँप को समाप्त करने का एक उपाय सूझा। कौआ वृक्ष से उड़ा और पास के एक तालाब के किनारे वृक्ष पर जा बैठा। उस तालाब के किनारे राजकुमार स्नान कर रहा था। उसने अपने गले से सोने का हार उतारकर कपड़ों के ऊपर रख दिया था। कौए ने उस हार को उठा लिया और साँप के बिल के मुँह पर लाकर रख दिया। राजकुमार के सैनिकों ने यह सब देखा। वे कौए के पीछे-पीछे दौड़कर उस वृक्ष के पास जा पहुँचे। उन्होंने हार को वृक्ष के ऊपर लटके हुए देखा। उनमें से दो-तीन सैनिक वृक्ष पर चढ़ गए। जैसे ही हार को उठाने लगे पास में साँप को बैठे हुए देखा। सैनिकों ने झट से तलवार से साँप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। कौए ने अपने बुद्‌धि-बल से साँप जैसे शत्रु को मरवा दिया।

दी गई रूप-रेखाओं के आधार पर कहानियाँ लिखिए तथा अंत में उनसे मिली शिक्षा का उल्लेख कीजिए:

1. कछुआ और खरगोश (खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड, कछुए द्‌वारा दौड़ का प्रस्ताव, दोनों में दौड़, खरगोश को आगे निकलना, एक पेड़ के नीचे विश्राम करना, नींद आ जाना, कछुए का धीमी गति से चलते रहना, दौड़ जीत जाना, शिक्षा।)

2. एक किसान के चार बेटे (आपस में लड़ते रहना, किसान का दु:खी रहना, बीमार पड़ना, बेटों को समझाने के लिए लकड़ियों का गट्‌ठर मँगवाना, बेटों से उसे तोड़ने को कहना, किसी के द्‌वारा भी वह न टूटना, गट्‌ठर खुलवाना, सभी के द्‌वारा लकड़ियों का आसानी से तोड़ा जाना, किसान द्‌वारा एकता का महत्तव समझाना शिक्षा।)

कछुआ और खरगोश

जंगल में तालाब के किनारे एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे दोनों में अच्छी दोस्ती थी। लेकिन खरगोश को अपनी तेज रफ़्तार पर कुछ ज्यादा ही घमंड था। एक बार दोनों में एक शर्त लगी कि कौन तेज दौड़ सकता है। खरगोश कछुए की बात तुरंत मान गया क्योंकि उसे भरोसा था कि दौड़ वही जीतेगा। निर्धारित समय पर दोनों में दौड़ शुरू हुई। खरगोश की रफ़्तार तेज थी इसलिए वह कछुए से काफी आगे निकल गया। तेज दौड़ने की वजह से खरगोश थक गया था उसने सोचा कि कछुआ अभी बहुत दूर है इसलिए कुछ देर पेड़ के नीचे सुस्ता लेता हूँ। सुस्ताने के चक्कर में खरगोश को नींद आ गयी। इतनी देर में कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए खरगोश से आगे निकल गया। जब खरगोश की नींद खुली तब तक कछुआ दौड़ जीत चुका था। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक तो अपनी योग्यता पर घमंड नहीं करना चाहिए और दूसरा निरंतर प्रयास से ही सफलता मिलती है।

एक किसान के चार बेटे

एक किसान के चार बेटे थे वे अक्सर आपस में लड़ते रहते थे। उनकी लड़ाई-झगड़े की वजह से किसान दुखी और परेशान रहता था। एक दिन किसान ने अपने चारों लड़कों को अपने पास बुलाया और चारों को एक-एक लकड़ी पकड़ाई। उसने चारों से कहा कि अपनी-अपनी लकड़ियों को तोड़ो, किसान के कहते ही सभी ने लकड़ियाँ तोड़ दी। फिर किसान ने सबसे बड़े बेटे को लकड़ी का पूरा गट्ठर पकड़ाया और तोड़ने के लिए कहा लेकिन वह नहीं तोड़ पाया। इसी तरह से किसान ने लकड़ी का गट्ठर दूसरे, तीसरे और चौथे लड़के को भी दिए लेकिन कोई भी लकड़ी के गट्ठर को तोड़ नहीं पाया। किसान ने लड़को को समझाया कि अकेली लकड़ी आसानी से तोड़ी जा सकती है लेकिन लकड़ियों के गट्ठर को कोई नहीं तोड़ सकता। इसलिए चारों भाई आपस में मिलजुल कर रहो जिससे कोई बाहर वाला तुम्हें नुक्सान नहीं पहुंचा सकेगा। इस सीख के बाद चारों भाई आपस में प्रेम से रहने लगे। इस कहानी से सन्देश मिलता है कि एकता में शक्ति होती है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 हिंदी व्याकरण पाठ 22
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कक्षा 4 हिंदी व्याकरण में कहानी लेखन
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