एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत पाठ 4 पण्डिता रमाबाई

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 4 पण्डिता रमाबाई – चतुर्थः पाठ: पण्डिता रमाबाई के प्रश्न उत्तर व्याख्या हिंदी में यहाँ से सीबीएसई सत्र के लिए प्राप्त की जा सकती है। अभ्यास के प्रश्न उत्तर के साथ साथ, इसके रिक्त स्थानों के उत्तर, मिलान पर आधारित प्रश्न और शब्द अर्थ आदि भी यहाँ दिए गए हैं जो बच्चों को परीक्षा की तैयारी में मददगार सिद्ध होते हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर विस्तार से सरल भाषा में दिया गया है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत चतुर्थः पाठ: पण्डिता रमाबाई

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कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 4 पण्डिता रमाबाई का हिंदी अनुवाद

संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
स्त्री शिक्षाक्षेत्रे अगग्रण्या पण्डिता रमाबाई 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे जन्म अलभत।स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई ने 1858 ई० में जन्म लिया।
तस्या: पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे माता च लक्ष्मीबाई आस्ताम्‌। उनके पिता अनन्त शास्त्री डोंगरे और माता लक्ष्मीबाई थीं।
तस्मिन्‌ काले स्त्रीशिक्षाया: स्थिति: चिन्तनीया आसीत्‌। उस समय में स्त्रियों की शिक्षा की दशा शोचनीय थी।
स्त्रीणां कृते संस्कृतशिक्षणं प्राय: प्रचलितं नासीत्‌। स्त्रियों के लिए संस्कृत शिक्षा लगभग अप्रचलित थी।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
किन्तु डोंगरे रूढिबद्धां धारणां परित्यज्य स्वपत्नीं संस्कृतमध्यापयत्‌। परन्तु डोंगरे ने रूढ़ियों से बँधी हुई धारणा को छोड़कर अपनी पत्नी को संस्कृत की शिक्षा दी।
एतदर्थं स: समाजस्य प्रतारणाम्‌ अपि असहत। इसके लिए रमा के पिता ने समाज की ताड़ना को भी सहा।
अनन्तरं रमा अपि स्वमातु: संस्कृतशिक्षां प्राप्तवती।इसके पश्चात् रमा ने भी अपनी माता जी से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।
कालक्रमेण रमाया: पिता विपन्न: सञ्जात:। समय के चक्र से रमा के पिता निर्धन हो गए।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
तस्या: पितरौ ज्येष्ठा भगिनी च दुर्भिक्षपीडिता: दिवङ्गता:। उनके माता-पिता और बड़ी बहन अकाल से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए।
तदनन्तरं रमा स्व-ज्येष्ठभ्रात्रा सह पद्‌भ्यां समग्रं भारतम्‌ अभ्रमत्‌। भ्रमणक्रमे सा कोलकातां प्राप्ता। इसके पश्चात् रमा अपने बड़े भाई के साथ पैदल सारे भारत में घूमती हुई कोलकाता पहुँचीं।
संस्कृतवैदुष्येण सा तत्र ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ चेति उपाधिभ्यां विभूषिता। संस्कृतविद्वता के कारण उन्हें वहाँ ‘पण्डिता’ और ‘सरस्वती’ उपाधियों द्वारा विभूषित किया गया।
तत्रैव सा ब्रह्मसमाजेन प्रभाविता वेदाध्ययनम्‌ अकरोत्‌।वहाँ ही ब्रह्म-समाज से प्रभावित होकर उन्होंने वेदों का अध्ययन किया।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
पश्चात्‌ सा स्त्रीणां कृते वेदादीनां शास्त्राणां शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती।बाद में उन्होंने बालिकाओं और स्त्रियों के लिए संस्कृत और वेद-शास्त्र आदि की शिक्षा के लिए आन्दोलन आरम्भ किया।
1880 तमे ख्रिष्टाब्दे सा विपिनबिहारीदासेन सह बाकीपुर-न्यायालये विवाहम्‌ अकरोत्‌। सन् 1880 ई० में उन्होंने विपिन बिहारी दास के साथ न्यायालय में विवाह किया।
सार्धैकवर्षात्‌ अनन्तरं तस्या: पति: दिवङ्गत:।डेढ़ वर्ष के बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी।
तदनन्तरं सा पुत्र्या मनोरमया सह जन्मभूमिं महाराष्ट्रं प्रत्यागच्छत्‌। इसके पश्चात् वे पुत्री मनोरमा के साथ महाराष्ट्र लौट आईं।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
नारीणां सम्मानाय शिक्षायै च सा स्वकीयं जीवनम्‌ अर्पितवती। स्त्रियों के उचित सम्मान और शिक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया।
हण्टर-शिक्षा-आयोगस्य समक्षं नारीशिक्षाविषये सा स्वमतं प्रस्तुतवती। हण्टर-शिक्षा आयोग के सामने रमाबाई ने महिला शिक्षा के विषय में अपना मत प्रस्तुत किया।
सा उच्चशिक्षार्थम्‌ इंग्लैण्डदेशं गतवती।वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गईं।
तत्र ईसाईधर्मस्य स्त्रीविषयकै: उत्तमविचारै: प्रभाविता जाता।वहाँ स्त्रियों के विषय में ईसाई धर्म के स्त्रीविषयक उत्तम विचारों से प्रभावित हुईं।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
इंग्लैण्डदेशात्‌ रमाबाई अमरीकादेशम्‌ अगच्छत्‌। इंग्लैण्ड देश से रमाबाई अमरीका गईं।
तत्र सा भारतस्य विधवास्त्रीणां सहायतार्थम्‌ अर्थसञ्चयम्‌ अकरोत्‌। वहाँ उन्होंने भारत की विधवा महिलाओं की सहायता के लिए धन इकट्ठा किया।
भारतं प्रत्यागत्य मुम्बईनगरे सा ‘शारदा-सदनम्‌’ अस्थापयत्‌। भारत लौटकर मुम्बई नगर में ‘शारदा-सदन’ स्थापित किया।
अस्मिन्‌ आश्रमे निस्सहाया: स्त्रिय: निवसन्ति स्म। इस आश्रम में बेसहारा स्त्रियां रहती थीं।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
तत्र स्त्रिय: मदुण्र-टंकण – काष्ठकलादीनाञ्च प्रशिक्षणमपि लभन्ते स्म। वहाँ महिलाएँ छपाई, टाइप और लकड़ी की कलाकारी आदि का प्रशिक्षण भी लेती थीं।
परम्‌ इदं सदनं पुणेनगरे स्थानान्तरितं जातम्‌। परन्तु इस सदन का पुणे नगर में स्थान परिवर्तन हो गया।
तत: पुणेनगरस्य समीपे केडगाँव- स्थाने ‘मुक्तिमिशन’ नाम संस्थानं तया स्थापितम्‌।इसके पश्चात् पुणे नगर के समीप केडगाँव नामक स्थान पर इनके द्वारा ‘मुक्ति मिशन’ नामक संस्था स्थापित की गई।
अत्र अधुना अपि निराश्रिता: स्त्रिय: ससम्मानं जीवनं यापयन्ति।यहाँ अब भी बेसहारा महिलाएँ सम्मान का जीवन बिताती हैं।
संस्कृत वाक्य हिंदी अनुवाद
1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयाया: निधनम्‌ अभवत्‌। सन् 1922 ई० में रमाबाई महोदया की मृत्यु हो गई।
सा देश-विदेशानाम्‌ अनेकासु भाषासु निपुणा आसीत्‌। वह देश-विदेश की अनेक भाषाओं में में निपुण थीं।
समाजसेवाया: अतिरिक्तं लेखनक्षेत्रे अपि तस्या: महत्त्वपूर्णम्‌ अवदानम्‌ अस्ति। समाजसेवा के अलावा लेखन के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।
‘स्त्रीधर्मनीति’ ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ इति तस्या: प्रसिद्धं रचनाद्वयं वर्तते।‘स्त्री धर्म नीति’ और ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ उनकी प्रसिद्ध दो रचनाएँ हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत पाठ 4 पण्डिता रमाबाई के उत्तर
कक्षा 7 संस्कृत पाठ 4 पण्डिता रमाबाई
कक्षा 7 संस्कृत पाठ 4
कक्षा 7 संस्कृत पाठ 4 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 4 हिंदी में अनुवाद
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