एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत पाठ 12 अमृतं संस्कृतम्
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 12 द्वादश: पाठ: अमृतं संस्कृतम् के प्रश्न उत्तर, अभ्यास में दिए गए विभिन्न प्रश्नों के समाधान विस्तार से यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 7 संस्कृत के ये समाधान सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए अनुसार पुनः संशोधित किए गए हैं ताकि विद्यार्थी नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकें। छात्र अध्याय को समझने के ले दिए गए संस्कृत से हिंदी अनुवाद का प्रयोग कर सकते हैं और पाठ को आसानी से समझ सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 12 अमृतं संस्कृतम्
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत द्वादश: पाठ: अमृतं संस्कृतम्
कक्षा 7 संस्कृत अध्याय 12 अमृतं संस्कृतम् का हिंदी अनुवाद
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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विश्वस्य उपलब्धासु भाषासु संस्कृतभाषा प्राचीनतमा भाषास्ति। | संसार की सभी उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे अधिक प्राचीन है। |
भाषेयं अनेकाषां भाषाणां जननी मता। | यह भाषा अनेक भाषाओं की माता मानी गई है। |
प्राचीनयो: ज्ञानविज्ञानयो: निधि: अस्यां सुरक्षित:। | प्राचीन ज्ञान विज्ञान की निधि इसमें सुरक्षित है। |
संस्कृतस्य महत्त्वविषये केनापि कथितम् – ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा’। | संस्कृत के महत्त्व के विषय में किसी के द्वारा कहा गया है- भारत की दो प्रतिष्ठाएँ हैं- संस्कृत और (देश की) संस्कृति। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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इयं भाषा अतीव वैज्ञानिकी। | यह भाषा बहुत वैज्ञानिकी है। |
यह भाषा बहुत वैज्ञानिकी है। | कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत ही कम्प्यूटर के लिए सर्वश्रेष्ठ (सर्वोत्तम) भाषा है। |
अस्या: वाङ्मयं वेदै:, पुराणै:, नीतिशास्त्रै: चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति। | इसका साहित्य वेदों से, पुराणों से, नीतिशास्त्रों से और चिकित्साशास्त्र आदि से सम्पन्न (परिपूर्ण) है। |
कालिदासादीनां विश्वकवीनां काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्। | कालिदास जैसे विश्वकवियों का काव्य-सौन्दर्य अतुलनीय है। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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कौटिल्यरचितम् अर्थशास्त्रं जगति प्रसिद्धमस्ति। | कौटिल्यरचितम् अर्थशास्त्रं जगति प्रसिद्धमस्ति। |
गणितशास्त्रे शून्यस्य प्रतिपादनं सर्वप्रथमम् आर्यभट: अकरोत्। | गणितशास्त्र में शून्य का प्रयोग सबसे पहले आर्यभट ने किया |
चिकित्साशास्त्रे चरकसुश्रुतयो: योगदानं विश्वप्रसिद्धम्। | चिकित्साशास्त्र में चरक और सुश्रुत का योगदान विश्वविख्यात है। |
संस्कृते यानि अन्यानि शास्त्राणि विद्यन्ते तेषु वास्तुशास्त्रं, रसायनशास्त्रं, खगोलविज्ञानं, ज्योतिषशास्त्रं, विमानशास्त्रम् इत्यादीनि उल्लेखनीयानि। | संस्कृत में जो दूसरे शास्त्र है, उनमें वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, अन्तरिक्ष विज्ञान, ज्योतिषशास्त्र और विमानशास्त्र इत्यादि उल्लेखनीय हैं। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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संस्कृते विद्यमाना: सूक्तय: अभ्युदयाय प्रेरयन्ति, यथा – | संस्कृत (साहित्य) में विद्यमान सूक्तियाँ उन्नति के लिए प्रेरित करता हैं। जैसे- |
सत्यमेव जयते, वसुधैव कुटुम्बकम्, विद्ययाऽमृतमश्नुते, योग: कर्मसु कौशलम् इत्यादय:। | ‘सत्य की ही सदा विजय होती है’ ‘सारी पृथ्वी ही एक छोटा सा परिवार है’, ‘विद्या द्वारा अमरत्व की प्राप्ति होती है (अर्थात् विद्या द्वारा मनुष्य अमर हो जाता है)’ ‘कर्मों में कौशल/निपुणता ही योग है’ इत्यादि। |
सर्वभूतेषु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृतभाषा सम्यव् शिक्षयति। | सब के प्रति अपने जैसा व्यवहार करने के लिए संस्कृत भाषा अच्छी तरह से शिक्षा देती हैं। |
केचन कथयन्ति यत् संस्कृतभाषायां केवलं धार्मिकं साहित्यम् वर्तते- एषा धारणा समीचीना नास्ति। | कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत भाषा में केवल धार्मिक साहित्य है-यह सोच (धारणा) उचित नहीं है। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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संस्कृतग्रन्थेषु मानवजीवनाय विविधा: विषया: समाविष्टा: सन्ति। | संस्कृत ग्रन्थों में मानव जीवन के लिए विभिन्न विषयों का समावेश (समाए हुए) है। |
महापुरुषाणां मति:, उत्तमजनानां धृति: सामान्यजनानां जीवनपद्धति: च वर्णिता: सन्ति। | महापुरुषों की बुद्धि, है। सज्जनों का धैर्य और सामान्य मनुष्यों की जीवन प्रणाली (पद्धति) वर्णित की गई है। |
अत: अस्माभि: संस्कृतम् अवश्यमेव पठनीयम्। तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कार: भवेत्। उक्तञ्च- | इसलिए हमारे द्वारा संस्कृत अवश्य ही पढ़ने योग्य है अर्थात् हमें संस्कृत अवश्य पढ़नी चाहिए। जिससे मानव की और समाज की शुद्धि हो। और कहा गया है- |
अमृतं संस्कृतं मित्र ! सरसं सरलं वच:। | मित्र संस्कृत अमृत है। सरस और सरल वाणी है। |
भाषासु महनीयं यद् ज्ञानविज्ञानपोषकम् ॥ | भाषाओं में जो सम्मान के योग्य है और ज्ञान एवं विज्ञान की पोषक (पोषण करने वाली) है। |