कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 34 डायरी लेखन
कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 34 डायरी लेखन के अभ्यास प्रश्न तथा कुछ उदाहरण शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। डायरी लेखन के माध्यम से सातवीं कक्षा के छात्रों को हिंदी भाषा में आत्मविश्वास मौखिक और लिखित संचार दोनों ही प्रकार से प्राप्त हो जाता है।
डायरी-लेखन
हमारे आसपास और हमारे जीवन में अनेक घटनाएँ और नए-नए अनुभव होते हैं। इन्हें दैनिक या समय-समय पर क्रमबद्ध लिखते रहना डायरी-लेखन कहलाता है।
डायरी लिखने का उद्देश्य
जिन्दगी में बहुत सारी अच्छी बुरी यादगार घटनाएं घटती रहती है जिन्हें लंबे समय तक याद नहीं राख सकते। डायरी लेखन के माध्यम से विशेष घटनाओं को लिखकर हम उन्हें यादगार बना लेते हैं। उसी प्रकार डायरी के माध्यम से हम अतीत में लौट सकते हैं तथा अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
डायरी लेखन के उदाहरण
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के विषय में डायरी-लेखन
दिनांक 25 सितम्बर
आज हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव था। मैं ‘कृष्ण लीला’ 2011 नृत्य-नाटिका में कृष्ण बनी थी। पिछले बीस दिन से नृत्य अधयापिका रीता तिवारी नृत्य का अभ्यास करा रही थी। मुझे बहुत चिंता लगी हुई थी। मुख्य भूमिका मेरी थी। मंच पर पहुँचने से पूर्व तक मैं घबरा रही थी। जैसे ही कार्यक्रम आरम्भ हुआ मुझे नृत्य करने के अतिरिक्त कुछ स्मरण न रहा। कालिया नाग-मर्दन प्रसंग में नृत्य करते समय मुझे लगा मानो मैं कृष्ण ही हूँ।
सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा था। नृत्य समाप्त होते ही रीता मैडम ने मुझे गले से लगा लिया था। अत्यधिक प्रसन्नता से मैं रो पड़ी थी। मुझे सर्वश्रेष्ठ नर्तकी घोषित किया गया और पंडित आसकरण वैद नृत्य सम्मान के रूप में वैजयन्ती प्रदान की गई। आज का दिन मेरे जीवन का अविस्मरणीय दिन बन गया है।
वर्षा का वर्णन पर डायरी लेखन
दिनांक 25 जुलाई 20—–
बहुत दिनों के बाद आज का मौसम बहुत अच्छा रहा। काली घटाएँ आसमान में घिर आई थीं। मैं अपने मित्रों के साथ लूडो खेल रहा था। अचानक मूसलाधाार वर्षा होने लगी। माँ ने पकौडे़ बनाए। सबने मिलकर खाए और वर्षा का खूब आनंद लिया। वर्षा का दृश्य अद्भुत आनंददायक होता है। बादलों की घटाएँ, वर्षा की बूँदों का संगीत, बिजली का चमकना। बारिश थमने पर आसमान में सतरंगी इंद्रधनुष निकल आया। हम सब मित्र बाहर बालकनी में आए और वहीं से इंद्रधानुष की अनुपम शोभा देखी। पेड़ों की डालियों से झरती बूँदें भी बहुत सुंदर लग रही थी। वास्तव में प्रकृति के रंग निराले होते हैं।
दुर्गा पूजा देखने के पश्चात् डायरी लेखन
दिनांक 10 अक्तूबर 20—–
इन दिनों दुर्गा पूजा की धूम सर्वत्र है। हमारे मोहल्ले में भी एक बहुत बडे़ पंडाल में देवी दुर्गा की आराधाना की जा रही है। पंडाल की साज-सज्जा तो विशेष रूप से दर्शनीय है। मैं भी अपनी सहेली वंदना के साथ महाष्टमी की पूजा देखने गई। वहाँ अनगिनत लोगों की भीड़ थी। मूर्ति के समीप तक पहुँचना बहुत मुश्किल था।
फि़र भी ‘पुष्पांजलि’ के लिए हम किसी प्रकार आगे बढे़ और अपने हाथ में चंदन लगे फूल लेकर पुरोहित जी के मंत्रेच्चारण के साथ मंत्र पढ़कर देवी को ‘पुष्पांजलि’ दी। एक अपूर्व आनंद से मन भर गया। फि़र प्रसाद लेकर हमें कुछ देर बाद घर वापस आ गए। वास्तव में त्योहार हमारे मन में आनंद और उत्साह भर देते हैं।