कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 31 अलंकार
कक्षा 7 हिंदी व्याकरण अध्याय 31 अलंकार तथा उनके अनुप्रयोग सीबीएसई और राजकीय बोर्ड के लिए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में छात्र यह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। सातवीं कक्षा के छात्र हिंदी ग्रामर का अध्ययन करके हिंदी के सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।
अलंकार
जिस प्रकार महिलाएँ आभूषणों (गहनों) का प्रयोग अपने सौंदर्य को बढ़ाने के लिए करती हैं, उसी प्रकार कवि, कविता की शोभा बढ़ाने के लिए ‘अलंकारों’ का प्रयोग करता है। अलंकार गहनों (आभूषणों) के समान ही शब्द और अर्थ में चमत्कार उत्पन्न कर देते हैं।
अलंकार के भेद
भाषा में ‘शब्द’ और ‘अर्थ’ ही प्रधान होते हैं, अतः अलंकार भी शब्द और अर्थ के आधार पर दो प्रकार के होते हैं:
1. शब्द आधार पर (शब्दालंकार)
2. अर्थ के आधार पर (अर्थालंकार)
शब्दालंकार
‘रघुपति राघव राजा राम’ यहाँ ‘र’ वर्ण की बार-बार आवृत्ति से शब्द के स्तर पर चमत्कार या सौंदर्य की वृद्धि हुई है। अर्थ वही रहने पर भी ‘शब्द’ बदल देने से जो अलंकार घटित होता है, उसे शब्दालंकार कहते हैं।
अर्थालंकार
जहाँ केवल अर्थ में चमत्कार पाया जाए, वहाँ अर्थालंकार होता है। उदाहरण के लिए, ‘मोहन बड़ा विद्वान है’ इस वाक्य को अगर इस तरह कहें कि ‘मोहन सरस्वती का वरद पुत्र है’ तो कुछ विशेष चमत्कार आ जाएगा। इसी चमत्कार को अर्थालंकार कहेंगे। यह अलंकार अर्थ पर निर्भर करता है, अतः इसमें प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है।
अनुप्रास अलंकार
किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने से जो चमत्कार या सौंदर्य उत्पन्न होता है तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण:
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)
चमक गई चपला चम-चम (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)
तट तमाल तरुवर बहु छाए (‘त’ वर्ण की आवृत्ति)
यमक अलंकार
जहाँ एक ही शब्द एक से अधिाक बार आए और हर बार उसका अर्थ अलग-अलग निकले, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण:
(क) ”कनक-कनक तें सौ गुनी मादकता अधिाकाय।
इहि खाए बौरात जग, उहि पाये बौराय।। “
(कनक-धातूरा, कनक-सोना)
(ख) ‘काली घटा का घमंड घटा’ (घटा-काले बादल, घटा-घटना, कम होना)
श्लेष अलंकार
श्लेष का अर्थ है: चिपकना जब किसी एक शब्द का प्रयोग तो एक बार ही हो, परंतु उसके अर्थ एक से अधिक हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण:
पानी गए न उबरे मोती मानुस चून, यहाँ पानी शब्द तीन अर्थों में प्रयोग किया गया है- मोती, मानुस, चून
चमक (मोती के लिए) आदर (मनुष्य के लिए) पानी (चूने के लिए)