एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 हिंदी अध्याय 14 मुफ़्त ही मुफ़्त
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 हिंदी रिमझिम अध्याय 14 मुफ़्त ही मुफ़्त के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 4 हिंदी रिमझिम पाठ 14 की कहानी एक कंजूस आदमी भीखूभाई के बारे में है जो सस्ते नारियल खरीदने के चक्कर में मुसीबत में पड़ जाते है और अपने आप को चोट पहुँचा लेते हैं। विद्यार्थी इस पाठ पर आधारित अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर भी यहाँ से पाप्त कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 हिंदी रिमझिम अध्याय 14
कक्षा 4 हिंदी अध्याय 14: कहानी का सारांश
यह कहानी एक कंजूस व्यक्ति की है जिसका नाम भीखूभाई है। एक दिन भीखूभाई का मन नारियल खाने का हुआ वो भी ताजा कसा हुआ शक्कर के साथ। लेकिन घर में एक भी नारियल नहीं था उसने अपनी पत्नी से कहा तो पत्नी ने जवाब दिया कि नारियल खाना है तो बाजार तो जाना पड़ेगा और पैसे भी खर्च करने पड़ेंगे। भीखूभाई बाजार तो पहुँच गया लेकिन वह पैसे खर्च नहीं करना चाहता था। नारियल वाले के पास पहुंचा और उससे रेट पूछा तो उसने दो रपये का एक नारियल बताया। भीखू उसे एक में खरीदना चाह रहा था लेकिन नारियल वाले ने देने से मना कर दिया। भीखू ने नारियल वाले से पूछा कि एक रुपये का नारियल कहाँ मिलेगा तो नारियल वाले ने उसे सब्जी मंडी का पता बता दिया। सब्जी मंडी पहुंचकर फिर भीखू ने नारियल का रेट पूछा तो नारियल वाले ने एक रुपये का एक नारियल बताया पर भीखू ने कहा कि इतनी दूर पैदल चल कर आया हूँ तो यहाँ यह पचास पैसे का मिलना चाहिए। इस तरह से फ्री के चक्कर में भीखू नारियल के बाग़ में पहुँच गया।
भीखू जब नारियल तोड़ने पेड़ पर चढ़ा तो उसने लालच में एक बड़ा सा नारियल पकड़ लिया लेकिन पैर फिसला तो भीखू लटक गया और बचाने के लिए चिल्लाने लगा। बाग़ के मालिक ने कोई मदद नहीं की तभी से एक ऊंट वाला गुजर रहा था उसने सोचा चलो मदद कर देते हैं तो ऊंट पर खड़ा होकर जैसे ही भीखू के पैर पकड़े नीचे से ऊंट घास खाने के चक्कर में खिसक लिया। अब दोनों झूल रहे थे और मदद के लिए चिल्ला रहे थे उसी समय उधर से एक घोड़े वाला गुजर रहा था उसने सोचा चलो मदद कर देता हूँ। घोड़े पर खड़ा होकर जैसे ही ऊंट वाले का पैर पकड़ा घोड़ा भी घास खाने के चक्कर में नीचे से खिसक लिया अब तीनो लटक रहे थे। भीखू से ऊंट वाले ने कहा कि मै आपको सौ रुपये दूंगा लेकिन नारियल की पकड़ मत छोड़ना तभी घोड़े वाले ने कहा कि मै दो सौ रुपये दूंगा। कंजूस भीखू ने जब तीन सौ रुपये की बात सुनी तो खुशी के मारे हाथ फैलाकर कहने लगा कि इतना सारा और तीनों धड़ाम से नीचे आ गिरे। भीखूभाई अपने को संभाल ही रहे थे कि तभी एक बड़ा सा नारियल आ के भीखू के सिर पर लगा वो भी बिल्कुल मुफ्त।
हर बार भीखूभाई कम दाम देना चाहते थे। क्यों?
उत्तर:
भीखूभाई कंजूस था, दूकान वाला जो दाम बोलता था भीखू उससे आधे दाम पर खरीदना चाहता था।
हर जगह नारियल के दाम में फर्क क्यों था?
उत्तर:
यह बाजार का नियम है कि बाजार से मंडी में सस्ता होगा, मंडी से बाग़ में और सस्ता होगा। बाग़ से निकालने के बाद उसमे खर्चे बढ़ते जायेंगे।
क्या भीखूभाई को नारियल सच में मुफ्त में ही मिला? क्यों?
उत्तर:
भीखूभाई को नारियल मुफ्त में मिला पर बदले में जो शारीरिक कष्ट झेलना पड़ा वो शायद उस बाजार के मूल्य से कहीं अधिक था।
कक्षा 4 हिन्दी के अध्याय 14 को छात्र कितने समय में तैयार कर सकते हैं?
अध्याय हास्य से भरपूर है अतः छात्र इसे रूचि लेकर पढेंगे तथा याद करने में भी आसानी होगी इसलिए पाठ को एक दिन में तैयार कर सकते हैं।
क्या हिन्दी कक्षा 4 का अध्याय 14 छात्रों के लिए रुचिकर है?
कहानी रुचिकर और हास्य से भरपूर है इसलिए छात्रों को इसको पढ़नें में अवश्य ही आनंद का अनुभव होगा।
हिन्दी कक्षा 4 के अध्याय 1 को पढ़ते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए है?
कहानी को ध्यान से पढ़ना चाहिए तथा कठिन शब्दों को अभ्यास पुस्तिका में लिखकर उनके अर्थ ज्ञात करने चाहिए तथा प्रश्नों के उत्तर सटीकता से देने चाहिए।