एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 4 सम्मिश्र संख्याएँ और द्विघातीय समीकरण

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 4 सम्मिश्र संख्याएँ और द्विघातीय समीकरण हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में सत्र 2023-24 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 गणित अध्याय 4 के पीडीएफ और विडियो समाधान सीबीएसई और राजकीय बोर्ड दोनों विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 4

सम्मिश्र संख्याएँ क्या होती हैं?

सामान्यतः सम्मिश्र संख्या एक वास्तविक संख्या और एक काल्पनिक संख्या का संयोजन है। अर्थात, किसी वास्तविक संख्या में एक काल्पनिक भाग जोड़ने से समिश्र संख्या बनती है। सम्मिश्र संख्या a+ib के रूप में होती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यूनानियों ने इस तथ्य को पहचाना था कि एक ऋण संख्या के वर्गमूल का वास्तविक संख्या पद्धति में कोई अस्तित्व नहीं है परंतु इसका श्रेय भारतीय गणितज्ञ महावीर (850 ई॰) को जाता है जिन्होंने सर्वप्रथम इस कठिनाई का स्पष्टतः उल्लेख किया। उन्होंने अपनी कृति गणित सार संग्रह में बताया कि ऋण (राशि) एक पूर्णवर्ग (राशि) नहीं है, अतः इसका वर्गमूल नहीं होता है।

एक दूसरे भारतीय गणितज्ञ भास्कर ने 1150 ई॰ में अपनी कृति बीजगणित में भी लिखा है, “ऋण राशि का कोई वर्गमूल नहीं होता है क्योंकि यह एक वर्ग नहीं है। कार्डन (1545 इ॰) ने x + y = 10, xy = 40 को हल करने में उत्पन्न समस्या पर ध्यान दिया। उन्होंने x = 5 + √(−15) तथा x = 5 – √(−15) इसके हल के रूप में ज्ञात किया जिसे उन्होंने स्वयं अमान्यकर दिया कि ये संख्याएँ व्यर्थ हैं।

अल्बर्ट गिरार्ड (लगभग 1625 ई॰) ने ऋण संख्याओं के वर्गमूल को स्वीकार किया और कहा कि, इससे हम बहुपदीय समीकरण की जितनी घात होगी, उतने मूल प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यूलर ने सर्वप्रथम √(−1) को i संकेतन प्रदान किया तथा W. R. हैमिलटन (लगभग 1830 ई॰) ने एक शुद्ध गणितीय परिभाषा देकर और तथाकथित ‘काल्पनिक संख्या’ के प्रयोग को छोड़ते हुए सम्मिश्र संख्या a + ib को वास्तविक संख्याओं के क्रमित युग्म (a, b) के रूप में प्रस्तुत किया।

कक्षा 11 गणित पाठ 4 का परिचय

इस अध्याय 4 में समिश्र संख्याओं पर आधारित बीजगणितीय संक्रियाएं जैसे: समिश्र सख्याओं का योग, अंतर, गुणनफल एवं भागफल आदि का वर्णन है उनपर आधारित उदहारण और प्रश्न दिए गए हैं।

इसके अतिरिक्त एक ऋण वास्तविक संख्या के वर्गमूल, सम्मिश्र संख्या का मापांक और संयुग्मी, आर्गंड तल और ध्रुवीय निरूपण, एक सम्मिश्र संख्या का ध्रुवीय निरूपण एवं द्विघातीय समीकरण आदि के बारे में बताया गया है। अध्याय में 1 प्रश्नावली हैं तथा एक विविध प्रश्नावली है।