एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 1 भारतीवसन्तगीति:
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत अध्याय 1 भारतीवसन्तगीति: शेमुषी भाग एक के प्रश्न उत्तर, मिलन करना और अन्य प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। एनसीईआरटी समाधान के साथ साथ कक्षा 9 संस्कृत पाठ एक का हिंदी अनुवाद तथा पूरे अध्याय का विस्तार से विवरण भी विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी अनुवाद का प्रयोग करके छात्र संस्कृत के शब्दों के अर्थ आसानी से समझ सकते हैं।
कक्षा 9 संस्कृत अध्याय 1 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत अध्याय 1 भारतीवसन्तगीति:
संस्कृत वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
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निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम् | हे सरस्वती (वाणी) आप अपनी नवीन वीणा को बजाओ। |
मृदुं गाय गीतिं ललित-नीति-लीनाम्। | आप सुंदर नीति से युक्त (लीन) मीठे गीत गाओ। |
मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-माला: | फूलों की पीले रंग की पंक्तियों से |
वसन्ते लसन्तीह सरसा रसाला: | वसंत ऋतु में मीठे आम के |
संस्कृत वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
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कलापा: ललित-कोकिला-काकलीनाम् ॥1॥ | कोयलों की सुंदर ध्वनिवाले मधुर आम के पेड़ों के समूह शोभा पाते हैं। |
निनादय…॥ | हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। |
वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे कलिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे | यमुना नदी के बेंत की लता से युक्त तट पर जल से पूर्ण हवा धीरे-धीरे बहती हुई |
नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् ॥2॥ | फूलों से झुकी हुई मधुमाधव की लताओं की पंक्ति को देखकर हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। |
संस्कृत वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
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निनादय…॥ | हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। |
ललित-पल्लवे पादपे पुष्पपुञ्जे मलयमारुतोच्चुम्बिते मञ्जुकुञ्जे, | सुन्दर पत्तोंवाले वृक्ष (पौधे), फूलों के गुच्छों तथा सुन्दर कुंजों (बगीचों) पर चंदन के वृक्ष की सुगंधित हवा से स्पर्श किए गए। |
स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम् ॥3॥ | गुंजायमान करते हुए भौरों की काले रंग की पंक्ति को देखकर हे वाणी! तुम नई वीणा बजाओ। |
निनादय…॥ | हे वाणी! तुम नई वीणा बजाओ। |
संस्कृत वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
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लतानां नितान्तं सुमं शान्तिशीलम् चलेदुच्छलेत्कान्तसलिलं सलीलम्, | हे वाणी (सरस्वती)! ऐसी वीणा बजाओ कि तुम्हारी तेजस्विनी वाणी को सुनकर लताओं (बेलों) के पूर्ण शांत रहने वाले फूल हिलने लगें |
तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम् ॥4॥ | नदियों का सुंदर जल क्रीडा (खेल) करता हुआ उछलने लगे। |
निनादय…॥ | हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। |