एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 7 सोने का हिरन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 7 सोने का हिरन के प्रश्न उत्तर तथा अभ्यास के अतिरिक्त प्रश्नों के हल सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 6 हिंदी में विद्यार्थी बाल रामकथा पाठ 7 में मारीच द्वारा रचे गए जाल के बारे में अध्ययन करते हैं।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 7 सोने का हिरन
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 7 सोने का हिरन
सोने के हिरण को बाण लगते ही क्या हुआ?
राम का बाण हिरण को लगते ही वह अपने असली रूप अर्थात मारीच के रूप में आ गया। मारीच ने माया से राम की आवाज़ भी धारण कर रखी थी। वह धरती पर पड़े हुए राम की आवाज़ में चिल्लाया हा सीते हा लक्ष्मण। उसने ऐसी ध्वनि निकाली जैसे बाण राम को लगा हो और वह सहायता के लिए पुकार रहे हों। राम तुरंत इस षड्यंत्र को पहचान गए।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 7 के प्रश्न उत्तर
सीता, मायावी आवाज़ सुनकर विचलित क्यों हो गई थी?
सीता मायावी आवाज़ सुनकर विचलित हो गई। उन्हें लगा राम अवश्य ही किसी संकट में फँस गए हैं। उन्होने राम की ऐसी दर्द भरी आवाज़ कभी नहीं सुनी थी।
मायावी आवाज़ के बारे में लक्ष्मण ने सीता को क्या बताया था?
मायावी आवाज़ के बारे में लक्ष्मण ने सीता को बताया कि आप चिंता न करें, माते। राम संकट में नहीं हैं। उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हमने जो आवाज़ सुनी, वह बनावटी है। यह मायावी राक्षसों की चाल हो सकती है। वे मुझे कुटिया से दूर ले जाना चाहते होंगे। आप निश्चिंत रहें। भाई राम जल्दी ही आते होंगे।
जटायु ने सीता के विलाप की आवाज़ सुनकर क्या किया?
सीता के विलाप की आवाज़ सुनकर जटायु ने ऊँची उड़ान भरी और रावण के रथ पर हमला कर दिया। वृद्ध गिद्धराज ने रथ क्षत-विक्षत कर दिया। रावण को भी घायल कर डाला था। क्रोध में आकर रावण ने उसके पंख अपनी खड़क से काट दिए। जटायु अब उड़ नहीं सकता था। वह सीधे धरती पर आ गिरा था।
सीता, हरण के बाद अपने आभूषण उतार कर क्यों फेंक रही थी?
सीता को अपने हरण के बाद लगा कि अब संभवत कोई उनकी सहायता नहीं कर पाएगा। उनका बचाव केवल राम ही कर सकते हैं। राम को अपने हरण का संकेत देने के लिए उन्होने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारम्भ कर दिया था। उन्हें आशा थी कि आभूषण देखकर यह पता चल जाएगा कि सीता किस मार्ग से गई थी।
लंका पहुँच कर रावण ने सीता को क्या-क्या कहा था?
लंका पहुँचकर रावण ने सीता से कहा कि सुंदरी, मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय तुम्हें करना है। मेरी रानी बनकर लंका में राज करो या विलाप का जीवन बिताओ। सीता बार-बार रावण को धिक्कारती रही। तब रावण ने फिए कहा कि तुम्हारा राम यहाँ कभी नहीं पहुँच सकता। तुम्हें कोई नहीं बचा सकता। तुम्हारी रक्षा केवल मैं कर सकता हूँ। मुझे स्वीकार करो और लंका में सुख से रहो।
सीता ने रावण को कौन से कटु वचन कहे थे?
सीता ने रावण से कहा कि पापी रावण, राम तुझे अपनी दृष्टि से जलाकर राख कर सकते हैं। उनकी शक्ति देवता भी स्वीकार करते हैं। मैं उस राम की पत्नी हूँ, जिसके तेज़ और पराक्रम के आगे कोई नहीं ठहर सकता। तेरा सारा वैभव मेरे लिए अर्थहीन है। तूने पाप किया है इसलिए राम के हाथों तेरा अंत निश्चित है।
सीता के मुँह से राम की प्रशंसा सुनकर रावण को कैसी-कैसी चिंताएँ होने लगी थी?
राम की इतनी प्रशंसा सुनकर रावण को राम के पराक्रम के भय के कारण चिंताएँ होने लगी थी। वह सोचने लगा कि जिसने खर-दूषण जैसे राक्षसों को मार डाला, वह अवश्य ही शक्तिशाली होगा। यदि वह यहाँ आ गया तो उसका बचना मुश्किल हो सकता है।
रावण ने अपने आठ बलिष्ठ राक्षसों को क्या आदेश दिया था?
राम के भय से रावण ने अपने आठ बलिष्ठ राक्षसों को बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि तुम लोग पंचवटी जाओ। राम और लक्ष्मण वहीं रहते हैं। उनका एक-एक समाचार मुझे देते रहो। दोनों भाइयों पर निगरानी रखो और मौका मिलते ही उन्हें मार डालो।
रावण ने सीता को पाने के लिए क्या योजना बदली थी?
रावण ने सीता को पाने के लिए अपनी योजना बदलते हुए सीता को अंत:पुर से निकालकर अशोक वाटिका में बंदी बना कर पहरा और कड़ा कर दिया था। उसने राक्षसियों को निर्देश दिए कि सीता को किसी तरह का शारीरिक कष्ट न हो। केवल उसके मन को दुःख पहुँचाओ और अपमानित करो। वो भी बिना हाथ लगाए।
सीता अशोक वाटिका में दिन भर क्या करती थी और क्या सोचती रहती थी?
सीता अशोक वाटिका में दिन भर बार-बार राम का नाम लेती रहती थी। वे अपना जीवन शेरों के बीच हिरणी की तरह अनुभव करती थी। सीता रो-रोकर अपने दिन काट रही थी। वह हमेशा यही सोचती थी कि यहाँ से उन्हें राम ही बचा सकते हैं।