एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 राम का वन गमन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 राम का वन गमन के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गाए हैं। कक्षा 6 हिंदी के विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा के पाठ 4 के सभी अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 राम का वन गमन
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 राम का वन गमन
कोप भवन की घटना के बावजूद राजमहल और नगर में किस तरह का माहौल था?
कोप भवन की घटना की जानकारी बाहर किसी को नहीं थी। सभी राम के राज्याभिषेक की ख़ुशी और उसकी तैयारी में लगे हुए थे। राम के राज्याभिषेक की ख़बर से नगरवासी बहुत खुश थे। गुरु वशिष्ठ और महामंत्री सुमंत्र इसी ख़ुशी के चलते रात भर सोए नहीं थे।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर
महामंत्री सुमंत्र असहज क्यों थे?
हर व्यक्ति राज्याभिषेक की शुभ घड़ी की प्रतीक्षा में था। लेकिन राजा दशरथ का कोई अता-पता नहीं था। पिछली शाम से किसी ने भी राजा को नहीं देखा था। इसी बात को लेकर महामंत्री सुमंत्र असहज थे।
राजमहल में पहुँच कर महामंत्री सुमंत्र ने क्या देखा था?
राजमहल में पहुँच कर, रानी कैकेयी के महल की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए, सुमंत्र को एक अनजान डर ने घेर लिया था। अंदर पहुँचते ही देखा कि महाराजा पलंग पर दीनहीन दशा में बीमार पड़े हुए थे।
रानी कैकेयी ने महामंत्री सुमंत्र से क्या कहा था?
रानी कैकेयी ने महामंत्री सुमंत्र के मन को भाँप लिया था। इसलिए कैकेयी ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। महाराज राज्याभिषेक के उत्साह में रातभर जागे हैं। वे बाहर आने से पूर्व राम से बात करना चाहते हैं। आप राम को यहाँ बुला लाइए।
महामंत्री सुमंत्र को देखकर राम के निवास पर खड़ी भीड़ का कोलाहल क्यों बढ़ गया था?
महामंत्री सुमंत्र को देखकर कोलाहल इसलिए बढ़ गया कि सभी को लगा वे राम को उनके राज्याभिषेक के लिए आमंत्रित करने के लिए आए हैं। लोगों को यह राजा दशरथ का एक संकेत लगा था।
रानी कैकेयी ने राम को क्या बात बताई जो महाराज अपने मुँह से नहीं कह पा रहे थे?
रानी कैकेयी ने राम को बताया कि महाराज दशरथ ने उन्हें दो वरदान दिए थे। कल रात मैंने दोनों वरदान माँगे थे। एक राज्याभिषेक भरत का हो और दूसरा तुम चौदह वर्ष वन में रहो। महाराज यही बात तुमसे नहीं कह पा रहे थे।
राम ने माता कैकेयी को मिले वचन के लिए क्या आश्वासन दिया था?
राम संयत रहते हुए, माता कैकेयी से दृढ़ता से कहा पिता का वचन अवश्य पूरा होगा। भरत को राजगद्दी दी जाए और मैं आज ही वन चला जाऊँगा।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 4 के महत्वपूर्ण प्रश्न
माता कौशल्या ने राजाज्ञा के बारे में राम को क्या कहा था?
माता कौशल्या का मन था कि राम को वन जाने से रोक लें। उन्होने राम से कहा वह राजगद्दी छोड़ दें, पर अयोध्या में ही रहें। यह राजाज्ञा अनुचित है। इसे मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
राम ने माता कौशल्या को राजाज्ञा के विषय में क्या समझाया था?
राम ने माता कौशल्या को राजाज्ञा के विषय में बड़े प्रेम तथा विनम्र भाव से समझाया कि यह राजाज्ञा नहीं है बल्कि पिता की आज्ञा है। उनकी आज्ञा का उल्लंघन करना मेरी शक्ति से परे है।
राम ने लक्ष्मण को वन-गमन के बारे में क्या समझाया?
राम ने लक्ष्मण को वन-गमन के बारे में कहा कि यहाँ भाग्य का उलटफेर है। मुझे अधर्म का सिंहासन नहीं चाहिए, मैं वन जाऊँगा। मेरे लिए तो जैसा राजसिंहासन, वैसा ही वन।
राम ने सीता को वन न जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए थे?
राम चाहते थे कि सीता वन न जाएँ और अयोध्या में ही रहें। उन्होने सीता को कहा कि वन का जीवन बहुत कठिन होता है। वहाँ न रहने का ठिकाना और न ही भोजन की व्यवस्था है। कठिनाइयाँ कदम-कदम पर साथ चलती रहती हैं। तुम महलों में पली हो ऐसा जीवन कैसे जी सकोगी।
सीता को वन जाते देख महर्षि वशिष्ठ ने क्रोध में क्या कहा?
सीता को वन जाते देख महर्षि वशिष्ठ को क्रोध आ गया। उन्होने कहा, यदि सीता वन जाएगी तो सब अयोध्यावासी भी उनके साथ जाएँगे। भरत सूनी अयोध्या पर राज करेंगे। यहाँ कोई नहीं रहेगा, न आदमी और न ही कोई पशु-पक्षी।
राम ने वन जाने से पहले अपनी जन्म भूमि को क्या कहा था?
जब राम सई नदी के तट पर पहुँचे, जो महाराज दशरथ के राज्य की अंतिम सीमा थी, राम ने मुड़कर अपनी जन्मभूमि को देखा और प्रणाम करते हुए कहा कि हे जननी, अब चौदह वर्ष बाद ही तुम्हारे दर्शन कर सकूँगा।
राम के वन-गमन के बाद महाराज दशरथ की क्या मनोदशा रही थी?
राम के वन-गमन के बाद महाराज दशरथ की पीड़ा बढ़ती चली गई। इनके मन में एक पल भी संतोष नहीं रहा। महाराज की बेचैनी बढ़ती चली गई। वन-गमन के छठे दिन राजा दशरथ से राम का वियोग सहा नहीं गया और अपने प्राण त्याग दिए।
राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात महर्षि वशिष्ठ ने मंत्रिपरिषद से क्या चर्चा की थी?
राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात महर्षि वशिष्ठ ने मंत्रिपरिषद से चर्चा की। सभी की राय थी कि राजगद्दी खाली नहीं रहनी चाहिए। भरत को तत्काल अयोध्या बुलाया जाए। वो भी इस निर्देश के साथ कि उन्हें अयोध्या की घटनाओं के बारे में न बताया जाएँ।