एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 10 लंका में हनुमान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 10 लंका में हनुमान के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर के साथ सत्र 2024-25 में परिक्षा के तैयारी के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा के पाठ 10 में छात्र हनुमान द्वारा लंका में की गई तबाही के बारे में अध्ययन करते हैं।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 10 लंका में हनुमान
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 10 लंका में हनुमान
अपनी शक्ति याद आते ही हनुमान ने क्या किया?
अपनी शक्ति याद आते ही हनुमान एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए थे। उनकी आँखों में राम के प्रति समर्पण का भाव झलक रहा था। उन्होने एक ही छलाँग में समुद्र की गरिमा नष्ट कर दी थी।
हनुमान की निश्चल छलाँग के बाद महेंद्र पर्वत में क्या-क्या हुआ?
हनुमान की निश्चल छलाँग के दबाव से महेंद्र पर्वत दरक गया था। उसके वृक्ष काँपकर गिर रहे थे। बड़ी-बड़ी चट्टानें नीचे लुढ़कने लगी थी। पशु-पक्षी चीत्कार करते हुए भागने लगे। कई स्थानों पर जल-श्रोत्र फूट पड़े थे। चट्टानें लाल हो कर दहक उठी थी। मानो वे आग का गोला हों।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 10 के प्रश्न उत्तर
मैनाक कौन था? हनुमान को देखकर वह क्या चाहता था?
मैनाक समुद्र के अंदर सुनहरा और चमकता हुआ एक पर्वत था। हनुमान को देखकर वह चाहता थी कि वे कुछ पल यहाँ विश्राम कर लें।
हनुमान को मैनाक की सदिच्छा बाधा क्यों लगी।
हनुमान, सीता माता की खोज में जा रहे थे। उन्हें एक-एक पल बचा कर राम के काज को पूरा करना था। इसलिए वे बिना रुके मैनाक पर्वत पार कर गए।
सुरसा कौन थी और क्या चाहती थी?
सुरसा समुद्र में रहने वाली एक विराट शरीर वाली राक्षसी थी। वह हनुमान को खाना चाहती थी। लेकिन हनुमान उसे चकमा देकर उसके मुँह में घुसकर निकल आए थे।
सीहिंका कौन थी? उसने हनुमान के साथ क्या किया?
सीहिंका एक छाया राक्षसी थी। वह अपने शिकार को उसकी परछाई से पकड़ लेती थी। उसने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली, जिस कारण वे आसमान में ठहर गए। कुद्ध हो कर हनुमान ने सीहिंका को मार डाला।
लंका में प्रवेश करने के बाद हनुमान ने क्या-क्या देखा था?
हनुमान सोने की लंका को देखकर बड़े चकित हुए। चारों ओर वृक्ष, सुवासित उधान और भव्य भवन थे। हवा में लहराती हुई संगीत की धाराएँ थी। राक्षसी नगर उन्हें बड़ा सुंदर लगा। हनुमान ने ऐसा नगर पहले कभी नहीं देखा था।
हनुमान ने सीता माता को कहाँ और किस दशा में पाया था?
हनुमान ने सीता माता को अशोक वाटिका में राक्षसियों के बीच घिरा पाया था। सीता का चेहरा मुरझाया, उदास और दुर्बलता की अवस्था में था। वह बहुत शोकग्रस्त लग रही थी।
त्रिजटा कौन थी? उसने क्या सपना देखा था?
त्रिजटा एक राक्षसी थी। वह अन्य राक्षसियों से भिन्न थी। सीता को पुत्री मान कर उसका ध्यान रखती थी। उसने सपने में देखा कि पूरी लंका समुद्र में डूब गई है। सब नष्ट हो गया है।
सीता को अपना शुभ चिंतक सिद्ध करने के लिए हनुमान ने क्या किया?
हनुमान जानते थे कि यदि वे सीता माता के सामने जाएँगे तो सीता अवश्य ही उन्हें रावण का मायावी राक्षस न मान लें। इसलिए उन्होने पेड़ पर बैठे-बैठे राम कथा प्रारम्भ कर दी थी।
सीता से भेंट करते हुए हनुमान ने क्या कहा?
सीता से भेंट करते हुए हनुमान ने उन्हें प्रणाम किया। राम की अँगूठी देते हुए कहा कि हे माता, मैं श्रीराम का दास हूँ। किष्किंधा के वानरराज सुग्रीव का अनुचर हूँ। उन्होने मुझे यहाँ आप का समाचार लेने के लिए भेजा है। माता सीता की शंका को दूर करने के लिए उनके द्वारा पर्वत पर फेंके आभूषणों की याद दिलाई।
माता सीता से विदा लेते हुए हनुमान ने उन्हें क्या आश्वासन दिया था?
माता सीता से विदा लेते हुए हनुमान ने आश्वासन दिया कि आप निराश न हों माते, प्रभु श्रीराम दो माह में यहाँ अवश्य पहुँच जाएँगे और आप को ले जाएँगे।
हनुमान ने लंका से लौटने से पहले क्या-क्या किया था?
हनुमान ने रावण का उपवन तहस-नहस कर दिया। अशोक वाटिका को उजाड़ दिया। वृक्षों को उखाड़ फ़ेका। रावण के कई महाबलीयों को मार डाला। उनमें रावण का पुत्र अक्षकुमार भी था। रावण को राम का संदेश देने और रावण से भेंट करने के लिए यह सब उत्पात किया था।
हनुमान ने रावण से क्या निवेदन किया था?
हनुमान ने रावण को प्रणाम करते हुए कहा कि मेरा एक निवेदन है कि आप सीता को सम्मान सहित लौटा दें। इसी में आपका कुशल है। धनुर्धर राम से आप युद्ध नहीं जीत सकते। वे बड़े दयालु हैं। वे अपनी शरण में आए दुश्मन को भी क्षमा कर देते हैं।
हनुमान की पूँछ में आग लगाने पर हनुमान ने क्या किया?
हनुमान की पूँछ में आग लागने पर उन्होने अपने बंधन तोड़ दिए। एक भवन पर चढ़कर अपनी पूँछ से उसमें आग लगा दी। इसी तरह अनेकों भवन आग के हवाले कर दिए। पूरी लंका धू-धू कर जल रही थी। पूरी नगरी में हाहाकार मच गया था।
सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ युद्ध की योजना पर क्या विचार किया था?
सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ युद्ध की योजना पर विचार किया। उन्होने योग्यता को आधार बनाते हुए सभी की भूमिकाएँ निर्धारित की। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखने का फ़ैसला किया।