एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 13

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 13 पहाड़ों से समुंदर तक (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 13) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी मीडियम में सत्र 2024-25 की पाठ्यपुस्तक के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 4 ईवीएस के पाठ 13 का विविरण विडियो के रूप में भी दिया गया है जो बच्चों को पाठ के अध्ययन में सहायता करता है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 13

नदियों का दूषित होना

चित्र में पहाड़ों से निकलती हुई नदी समुंदर तक आते आते कितनी दूषित हो जाती हैं। उसके दूषित होने के कारणों के बारे में साफ़ तौर पर दर्शाया गया हैं। पहाड़ों से निकलते हुए नदी का पानी स्वच और प्रदूषिण रहित दिखाई देता है। पहाड़ों से निकलते हुए नदी के पानी में मछली और अनेक जीव-जंतु दिखाई देते है।

वहाँ बहुत सारे पेड़-पक्षी और जानवर साफ़ दिखाई देते हैं क्योंकि वहाँ न तो कोई गाँव है और न ही शहर। पानी भी साफ़ एवं शुद्ध नजर आता है। जैसे-जैसे नदी का पानी गाँव और शहर से होकर गुजरता है।

नदी में प्रदूषण

नदी का पानी लगातार दूषित होता रहता है क्योंकि यहाँ लोग नदी पर बर्तन धोने, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाने और फैक्टरियों से निकलते दूषित पानी को नदी में मिलने से रोक नहीं पा रहे है। जिस कारण से पानी लगातार अपनी स्वछता खोए जा रहा है। नदी में मछलियों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है। अंत में पानी ने विषैला रूप धारण कर लिया है। जिस कारण चित्र में मछली और कुछ जीव-जंतु मरे हुए बहते दिखाई दे रहे है।

बाढ़ और सूखा पड़ने की स्थिति पैदा होना

ऐसे ही कारणों से तालाबों और झीलों का पानी आज भी गंदा होता जा रहा है। इसी कारण आज पीने का पानी बहुत कम होता जा रहा है। जिसके बारे में हर नागरिक को सोचना चाहिए। पानी मनुष्य की सबसे पहली जरूरत है। जिसके बगैर मनुष्य जीवन संभव नहीं है। हमें दूषित पानी को हमेशा नदी, तालाब और झीलों से दूर रखना चाहिए।

किसी भी ऐसे कार्य को नदी के पास नहीं करना चाहिए जिससे नदी का पानी प्रभावित हो। दूषित पानी को गटर द्वारा बड़े नालों में डालना चाहिए। मनुष्य को स्वछ पानी के साथ स्वछ वायु पर भी ध्यान देना चाहिए जिसके लिए उसे प्रदुषण की मात्रा को कम करने की जरूरत है। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाकर प्रदुषण की मात्रा को कम करना चाहिए। इसे प्रकृति का संतुलन कभी नहीं बिगड़ेगा और समय अनुसार वर्षा और गर्मी सही बनी रहती है। इसे बाढ़ और सुखा पड़ने जैसी स्थति कभी पैदा नहीं होती।

नदियों की रक्षा

हमें नदी के पीने के पानी के साथ नदी में रह रहे जीव-जंतुओं की रक्षा करनी चाहिए। ये जीव भी पानी को स्वच्छ रखने में मददगार होते हैं। बरसात के कारण पानी में घुले कुछ तत्वों को खाकर वे नदी के पानी को स्वच्छ रखते हैं। बरसात में नदियों के पानी का स्तर बढ़ जाता है और गर्मियों में पानी का स्तर घटता रहता है।

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