एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 9 जहाँ पहिया है

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 9 जहाँ पहिया है के अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा परीक्षा के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। छात्र हिंदी में वसंत पाठ 9 के प्रश्न उत्तर को इन समाधानों की मदद से सरल भाषा में पढ़ और समझ सकते हैं।

उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…, आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
जंजीरों के द्वारा लेखक समाज की उस व्यवस्था की ओर इशारा कर रहा है। जिसमें स्त्रियों के प्रति उदासीनता और रूढ़ियां हैं जिनके कारण स्त्री को समाज में किसी प्रकार का कोई स्वतंत्रता नहीं है।

क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

हाँ, हम लेखक की इस बात से पूर्णतः सहमत हैं जिसमें स्त्रियों को दूसरे दर्जे का और केवल घर की चारदीवारी के अन्दर तक माना गया है। जिसमें वह किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में स्वतंत्र नहीं हैं। उसके द्वारा उठाया गया किसी भी प्रकार का कदम समाज में कील की तरह चुभता है। और घर के अन्दर घुटने वाली स्त्रियां कभी न कभी कोई क्रान्तिकारी कदम उठाती ही हैं जैसा कि वर्तमान पाठ में हुआ है।

आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
लेखक ने समय के घूमते चक्र के आधार पर ही इस पाठ का नाम ‘जहां पहिया है’ रखा होगा।

1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
इस कथन का यह अभिप्राय है कि अब यहां के लोग जागरूक हो चुके हैं। महिलाएं भी जागरूक हो गई हैं। अब उन्हें आसानी से बहकाया नहीं जा सकता।

‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

महिलाओं में जागरूकता आई।
वे आत्मनिर्भर हो गईं।
अपने अधिकारों के प्रति उनमें सजगता आई।
वे नवाक्षर हुईं उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया।
पुरुषों पर निर्भरता में भी कमी आई।
आजा़दी की नई भावना का जन्म हुआ।

फातिमा ने कहा,… मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूं। साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
फातिमा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह साइकिल खरीद सकती इसलिए उसने किराए पर साइकिल ली और अपनी स्वतंत्रता का अनुभव किया। उसके इस कार्य से वहां की अन्य महिलाओं को भी बल मिला और उन्हें भी आजादी का अनुभव हुआ।

शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

साइकिल आंदालन से पुरुषों के द्वारा बनाई गई रुढ़िवादी परंपरा का टूटना स्वाभाविक था इसलिए उन्होंने आंदोलन का विरोध किया। आर साइकिल्स के मालिक लेडीज़ साइकिल के डीलर थे। आंदोलन से उनको ही फायदा होने वाला था इसलिए उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया।

पुडुकोई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था। साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
साइकिल एक विनम्र और सेहतमंद सवारी है जिससे पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। वह सवारी इतनी बड़ी क्रांति ला सकती है लेखक ने इसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था।

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

इस आंदोलन की मुखिया फातिमा मुस्लिम परिवार से थी उनके यहां महिलाओं को बहुत ही ज्यादा बंधन में रहना पड़ता है। साइकिल चलाने पर उन्हें गंदी-गंदी टिप्पणियों से गुजरना पड़ा। उनके साहस को तोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। उन्हें कोई साइकिल चलानी सिखाने वाला भी नहीं मिला। इसलिए उन्होंने खुद ही साइकिल सीखने का निश्चय किया और इसमें सफल भी हुई।

पुडुकोई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?
पुडुकोई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न साइकिल ही बनाती क्योंकि उसके द्वारा ही वहां के जीवन में बदलाव आया था।

अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो दुनिया का विकास का पहिया भी रुक जाएगा।

अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

मेरे विचार से इस पाठ का अन्य शीर्षक पहिये की क्रांति भी हो सकता है जो एक साइकिल आंदोलन के रूप में शुरू हुआ और समाज में बदलाव की नींव रख दी।

अगले पृष्ठ पर दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
जैसे कविता में लड़की को पिता ने अपने वारिस के रूप में देखा है और उसके द्वारा लड़कों के जैसे काम करने के बारे में बताया गया है। ठीक वैसे ही समाज में मर्दों की सवारी साइकिल पर अब महिलाओं का अधिकार हो गया है। वे भी अब पुरुषों की तरह आत्मनिर्भर बन गई हैं।

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