एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 1 लाख की चूड़ियाँ
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 1 लाख की चूड़ियाँ के प्रश्न उत्तर सभी सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। आठवीं कक्षा में वसंत पाठ्यपुस्तक के पहले पाठ के अध्ययन के लिए यहाँ अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं।
कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 1 लाख की चूड़ियाँ के प्रश्न उत्तर
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
लेखक अनपे मामा के गाँव में लाख की चूड़ियों के कारीगर बदलू से मिलता था और उससे ढेर लाख की रंग-बिरंगी गोलियां लेता था। गाँव के सभी लोग उसे काका कहकर बुलाते थे इसलिए वह भी उसे बदलू मामा न कहकर बदलू काका ही कहा करता था।
बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।
बदलू लाख की चूड़ियां बनाकर बेचा करता था। उसके हाथ का यह हुनर अब काँच की चूड़ियों के आ जाने से धीरे-धीरे खत्म होने लगा। उसकी यही व्यथा लेखक को परेशान कर रही थी।
वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
किसी वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का लेना या देना वस्तु विनिमय कहलाता है। आज से लगभग 15-20 साल पहले तक गाँवों में यह प्रथा प्रचलित थी। उनके घर में जो कुछ अनाज अन्य वस्तु होती थी उसे दुकानदार को देकर उससे दूसरी वस्तु ले आया करते थे ।वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसा है। जिसके बदले में कोई भी वस्तु ली जा सकती है।
मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
मशीनी युग के आ जाने से उसके हाथ का काम बंद हो गया काम न करने से वह बीमार रहने लगा। अब उसके अन्दर हीन भावना भी आने लगी जो उसे दिन ब दिन कमजोर करने लगी।
मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं। इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
जिन्होने अपने हाथ के हुनर से अपनी कला से एक परंपरा को बनाए रखा है। उसी से वे जीवनयापन करते चले आए हैं और उन्होंने अपनी इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाया है। उसके अलावा उन्होंने जीवन यापन का कोई और साधन नहीं अपनाया है। आज मशीनों के आ जाने से उनकी यह कला और हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत लुप्त हो चली है। इन मशीनों ने उनके हाथ काट दिए हैं। कारीगरों की रोजी-रोटी का साधन छिन गया है। वे अपना जीवनयापन कैसे करें लेखक ने इसी व्यथा की ओर संकेत किया है।
आपने मेले-बाजार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
मैंने बाजार में मिट्टी के खिलौनों बिकते और उन्हें बनते देखा है उनकी सुंदरता को देखते हुए मुझे भी खिलौने बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई।
बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हम इन परिवर्तनों को समाज की सोच के अनुरूप देखते हैं, क्योंकि समाज में वहीं चीज चलती है जिसे उस समय का समाज पसंद करता है।
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए।
लाख की वस्तुओं का काम मुख्य रूप से राजस्थान में होता है। वहां का लाख का काम पूरी दुनिया में मशहूर है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त गोलियां, मूर्तियां तथा अन्य सजावटी सामान बनता है।
‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूडि़यों से’ और बदलू स्वयं कहता है- “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
उत्तर:
(क) दिन-प्रतिदिन खाद्य-पदार्थों की बढ़ती कीमतों से घर का बजट गड़बड़ हो जाता है।
इस वाक्य में खाद्य पदार्थों की बढ़ती हुई कीमतों पर व्यंग्य किया गया है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती हुई कीमतों का प्रभाव घर के बजट पर पड़ता है।
(ख) शहरी ठहरे न! मैं तुम्हारी उमर का था तो इसके चौगुने आम एक बखत में खा जाता था।
इस वाक्य में शहर वालों पर व्यंग्य किया गया है। कि जो काम गाँव के लोग कर सकते हैं वो शहर वाले नहीं कर सकते हैं।
घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?
घर में मेहमान के आने पर हम सबसे पहले उसका अभिवादन करेंगे। उसके बाद उसे अपने घर में उचित स्थान पर बैठाकर उसके लिए पानी, चाय आदि का प्रबंध करेंगे। उसको हर प्रकार का अतिथि सत्कार प्रदान करेंगे।
गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर:
वास्तविक शब्द परिवर्तित रूप
चाचा – काका
मर्द – मरद
मौसमी खाँसी – फसली खाँसी
तत्परता – लहककर
वक्त – बखत