एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 दीवानों की हस्ती
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 दीवानों की हस्ती के प्रश्न उत्तर अभ्यास के सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। आठवीं कक्षा के छात्र हिंदी में वसंत के पाठ 3 के उत्तरों को यहाँ दिए गए हल की मदद से आसानी से समझ सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 दीवानों की हस्ती के प्रश्न उत्तर
कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?
कवि कहीं पर भी जाता है तो वहां की प्रकृति और वातावरण का आनंद लेता है। मगर जब वह वहां से वापस आता है तो वहां से अलग होने पर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। इसीलिए कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू कहा है।
भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटाने वाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?
कवि ने अपने आप को भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटाने वाला कवि इसलिए कहा है। क्योंकि उसने पूरी दुनिया को प्यार दिया मगर उसे बदले में कुछ नहीं मिला जिसके कारण वह दुखी है और कह रहा है कि यह दुनिया कितनी क्रूर है जो सिर्फ लेना जानती है देना नहीं। कवि इस स्थिति से निराश है।
कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?
कवि का अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोंण अच्छा लगा वह दुनिया के ऐसे रूप को देखकर भी उम्मीद की एक किरण को देख रहा है।
एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।“ दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्त्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।“ यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं उन्हें ध्यानपूर्वक पढि़ए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं?
उत्तर:
कविता का शीर्षक ‘दीवानों की हस्ती’ है। दीवाना शब्द स्वयं में विरोधाभासी है। उनका व्यवहार स्वच्छंद होता है। अपना कुछ खो जाए या दूसरे का कुछ ले लें, उनको फर्क नहीं पड़ता। इसलिए, कविता में विरोधाभासी बातें की गयी हैं।
एक दीवाने का व्यवहार कैसे होता है?
एक दीवाने का व्यवहार मस्ती भरा होता है जिसको किसी की परवाह नहीं होती है। वह जो भी कार्य करता है उसका परिणाम क्या होगा वह कभी इसकी फ़िक्र नहीं करता है।
संतुष्टि के लिए कवि ने ‘छककर’ ‘जी भरकर’ और ‘खुलकर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करनेवाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए, जैसे- हँसकर, गाकर।
उत्तर:
मस्ती, तृप्ती, तस्सली, प्रसन्नता, खुशी, संतोष, नाचकर।
एक दीवाने का व्यवहार सीमित क्यों नहीं होता है?
एक दीवाने का व्यवहार बीच का नहीं हो सकता वह जब भी कुछ करता है तो वह उस कार्य का चरम बिंदु होता है। वह अपने किसी भी वयवहार को पूर्णता से जीना चाहता है। हंसेगा तो जी भरकर बिना किसी की परवाह किए, और रोएगा भी तो सिद्धत से रोएगा जब तक कि मन हल्का न हो जाय।
आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?
इन पंक्तियों में दीवाने के कौन से गुण परिलक्षित होते हैं?
उत्तर:
इन पंक्तियों में कवि वर्णन कर्ता है कि दीवाने को कहीं उत्सव वाला माहौल मिल गया तो उसीमें मस्त हो जाएगा और अगर ग़मगीन करने वाला क्षण उपस्थित होगा तो आँसू बहाकर गम के सागर में डूब जायेगा। अगर उसी समय मन में कोई सनक सवार हो गयी तो बिना बताये कहीं भी चल देगा।
कविता में आए ‘मस्ती, उल्लास, आँसू, छककर, बंधन’ शब्दों को वे में प्रयोग कीजिए।
(क) मैं दोस्तों के साथ पिकनिक पर गया था जहाँ हमने बहुत सारी मस्ती की।
(ख) बेटे के प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होने से पिता का मन उल्लास से भर गया।
(ग) महात्मा गांधी के देहांत की खबर सुनते ही सबकी आँखों में आँसू आ गए।
(घ) भंडारे में सबने छककर भोजन किया।
(ङ) एक दीवाना किसी बंधन को नहीं मानता।
दीवाना रुकने ववालों को आबाद रहने की दुआ क्यों दे रहा है?
दीवाने को स्वयं का पता है कि वह कभी भी एक जगह रुकने वाला नहीं है इसलिए, वह एक जगह रुकने वालों को आबाद रहने की दुआएं दे रहा है।