कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 30 सार लेखन

कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 30 सार लेखन और उसपर आधारित प्रश्न उत्तर, विभिन्न गद्यांश और उनके सार विद्यार्थी सत्र 2024-25 की परीक्षा के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 8 के लिए हिंदी ग्रामर सीबीएसई के साथ-साथ राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी बहुत उपयोगी है।

सार-लेखन

जब किसी निबंध, अनुच्छेद, कविता, कहानी आदि को थोड़े से शब्दों में लिखना होता है तो यह सार लेखन कहलाता है।
सार-लेखन संबंधी सावधानियां
सार लेखन के लिए निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान में रखना चाहिएः
(क) पूरे गद्यांश को कम से कम तीन बार पढ़ना चाहिए।
(ख) दिए गए गद्यांश का ठीक-ठीक अर्थ समझ लेना चाहिए।
(ग) उसके महत्वपूर्ण अंशों को रेखांकित करना चाहिए।
(घ) गद्यांश के अनावश्यक विस्तार, सूक्तियों, उद्धरणों आदि को छोड़ देना चाहिए।
(ङ) वह अपनी भाषा में लिखा जाना चाहिए।
(च) सार-लेखन मूल गद्यांश का एक-तिहाई होना चाहिए।
(छ) जहाँ तक हो सके वाक्य सरल व छोटे होने चाहिए।
(ज) शीर्षक ऐसा चुनना चाहिए जो गद्यांश के सम्पूर्ण भाव को प्रकट करता हो।

राष्ट्रीय चरित्र का सार लेखन

राष्ट्रीय कार्यों में सुधार की आशा तभी की जा सकती है जब व्यक्तिगत ईमानदारी को हम अपने जीवन में आत्मसात् करते हैं। यह वे बूँदें हैं जो वर्षा कराती हैं। जब मैं अपने लिए पर्याप्त बना लूँगा, तब अच्छा बन जाऊँगा। ऐसा कहना या सोचना बेकार है। यदि कोई आदमी बेईमान है और अपने कार्यों का प्रयोग कर बेहतर बनता है तो राष्ट्रीय चरित्र पुनर्जीवित नहीं हो सकता है। वह निरंतर गिरता जाएगा जिसे हम राष्ट्रीय चरित्र कहते हैं। उसे प्रत्येक व्यक्ति की समग्रता ही निर्मित करती है। कुछ एक लोगों के चरित्रवान होने से ही राष्ट्र ऊँचा नहीं हो जाता।
सार
यह हमारी गलत धारणा होगी कि अपने हितों को प्राथमिकता देकर ही राष्ट्रीय चरित्र गिरेगा। राष्ट्रीय चरित्र प्रत्येक व्यक्ति के चरित्र की समग्रता का नाम है। राष्ट्र सबके चरित्रवान होने से ऊँचा होगा।

देश प्रेम की भावना का सार लेखन

जन्मभूमि किसे प्यारी नहीं लगती। कहा तो यहाँ तक कहा गया है कि जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। मनुष्य जहाँ जन्म लेता है, वहाँ की धूली में खेलकर बड़ा होता है वहाँ के सभी लोग उसके जाने-पहचाने हो जाते हैं। सभी की भाषा और रहन-सहन समान होने के कारण वहाँ के लोगों से उसकी ममता का होना स्वाभाविक है। मनुष्य चाहे कितने भी अच्छे स्थान पर रहता हो लेकिन उसका मन अपनी जन्म-भूमि की ओर आने को उत्सुक रहता है। जिस देश में हमने जन्म लिया है उसके अन्न, जल और वायु से हमारा पालन हुआ है, उसके प्रति प्रेम की भावना रखना हमारा कर्त्तव्य है। पाकिस्तान ने हमारे देश की भूमि पर अधिकार किया। हमारे वीर जवानों ने जन्मभूमि की रक्षा में कारगिल के युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। अपनी भूमि वापस ली और दुश्मन के दाँत खट्टे किए। देश की अवनति में हमारी अवनति होगी, उससे न तो हम संपन्न रह सकते हैं और न हमारा मान हो सकता है। देश के प्रति प्रेम की भावना प्रत्येक देशवासी को रखनी चाहिए।

सार
प्रत्येक मनुष्य का देश के प्रति प्रेम स्वाभाविक होता है जिसकी गलियों में खेलकर वह बड़ा होता है। रहन-सहन तथा भाषा के कारण उसके सभी प्रिय होते हैं। जन्मभूमि के प्रति प्रेम में मनुष्य दूर से अपनी मिट्टी को चूमने के लिए लालायित रहता है। सैनिक अपनी जान अपनी देश की सीमाओं की रक्षा में न्यौछावर केवल देश प्रेम के लिए करते हैं। देश की तरक्की में हमारी संपन्नता और मान हो सकता है अथवा नहीं। देश प्रेम की भावना हर हृदय में होनी चाहिए।

कक्षा 8 व्याकरण अध्याय 30 सार लेखन
कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 30