कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 28 कहानी लेखन

कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 28 कहानी लेखन तथा लेखन के समय याद रखने वाली मुख्य बातों को छात्र यहाँ दी गई अध्ययन सामग्री के माध्यम से जान सकते हैं। आठवीं कक्षा के हिंदी ग्रामर के लिए विडियो तथा पठन सामग्री शैक्षणिक सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित रूप में है।

कहानी-लेखन

किसी घटना, पात्र या स्थान के बारे में क्रमबद्ध रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहा जाता है।
कहानी का उद्देश्य
कहानी का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन करना है। कहानी एक लघु गद्य रचना है जिसमें किसी पात्र, घटना का वर्णन बड़े ही मर्मस्पर्शी, हृदयस्पर्शी, कलात्मक एवं आकर्षक रूप में होता है। गद्ध-साहित्य में सबसे रुचिकर विध ‘कहानी’ है।
कहानी से सम्बंधित परीक्षापयोगी सुझाव
परीक्षा में ‘कहानी लेखन’ पर प्रायः चार प्रकार से प्रश्न पूछे जाते हैं।
(क) दिए गए शीर्षक, लोकोक्ति या शिक्षा पर कहानी लिखना।
(ख) दिए गए चित्रें के आधर पर कहानी लिखना।
(ग) दिए गए संकेतों या रूपरेखा के आधर पर कहानी लेखन।
(घ) किसी अधूरी कहानी को पूरा करना।

कहानी लिखते समय ध्यान देने योग्य तथ्य

कहानी लिखते समय हमें निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1. कहानी का आरंभ रोचक हो।
2. घटनाओं को एक के बाद एक क्रम से लिखा जाना चाहिए।
3. आगे क्या होने वाला है, इसकी जिज्ञासा पाठक में बनी रहनी चाहिए।
4. कहानी की भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए।
5. कहानी हमेशा भूतकाल में लिखी जाती है।
6. चरम सीमा पर पहुँचकर ही कहानी का अंत करना चाहिए।
7. कहानी का शीर्षक आकर्षक व सुंदर हो तथा उसे कहानी की शिक्षा के आधर पर ही रखा जाना चाहिए।
8. कहानी के अंत में उसकी शिक्षा लिखी जा सकती है।

ग्वाला – एक कहानी

किसी गाँव में रामप्रसाद नाम का एक ग्वाला रहता था। वह दूध बेचा करता था। वह बेईमान था। वह दूध में पानी मिलाया करता था। उसे कई लोगों ने समझाया कि बेईमानी अच्छी नहीं होती, मगर उसने किसी की भी बात न सुनी और उसी प्रकार दूध में पानी मिलाता रहा।
एक दिन वह शहर से दूध बेचकर लौट रहा था। उसकी थैली पैसों से भरी थी। रास्ते में एक नदी पड़ती थी। उसने मन ही मन विचार किया, ”आज बहुत गर्मी है, चलो नदी में एक डुबकी ही लगा लें।“ उसने अपने कपड़े उतारे, रुपयों की थैली कपड़ों में ही छिपाकर रख दी और नदी में स्नान करने लगा।

नदी के किनारे वृक्ष पर एक बंदर रहता था। वह नीचे उतरा और ग्वाले के रुपये की थैली उठाकर पुनः पेड़ पर चढ़ गया। उसने एक-एक रुपये को नीचे फ़ेंकना शुरू कर दिया। वह एक रुपया नदी में फ़ेंकता तथा दूसरा रेत पर। ग्वाले ने जब यह दृश्य देखा तो चिल्लाया, मगर बंदर किसकी सुनने वाला था। उसने रेत पर पड़े रुपये उठाए, कपड़े पहने और रोता-रोता घर पहुँचा। उसने मन ही मन सोचा- ”लगता है आधे पैसे जो नदी में गिर गए वे दूध के नहीं पानी के थे।“
शिक्षा- ईमानदारी की कमाई ही फ़लदायक होती है।

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