कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 24 मौखिक अभिव्यक्ति

कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 24 मौखिक अभिव्यक्ति पर आधारित विभिन्न प्रश्न उत्तर, अभ्यास के लिए अभ्यास पुस्तिका और अध्ययन सामग्री सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दी गई है। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र हिंदी ग्रामर के पाठ 24 को तिवारी अकादमी की विडियो और पठन सामग्री के माध्यम से विस्तार से समझ कर अपनी परीक्षा की तैयारी आसानी से कर सकते हैं।

मौखिक अभिव्यक्ति

मनुष्य भाषा के मौखिक रूप का सबसे अधिक प्रयोग करता है। संसार में आजकल हर व्यक्ति के संपर्क संबंध इतने अधिक बढ़ गए हैं कि उसे मित्रों और सामाजिक कार्यक्रमों तथा अनेक अवसरों पर मिलने पर भिन्न-भिन्न तरह की बातचीत करनी पड़ती है। इसमें वही व्यक्ति सफल है जो संवाद और भाषा में निपुण होते हैं क्योंकि हर अवसर पर भाषा का रूप अलग-अलग तरह का होता है। विवाह समारोहों में प्रयोग होने वाले शब्द, मृत्यु अथवा अन्य दुःख के अवसरों पर प्रयुक्त नहीं होते। अवसर के अनुसार उचित संवाद या भाषा का प्रयोग करके व्यक्ति दूसरों को प्रभावित कर सकता।

मौखिक अभिव्यक्ति के प्रकार

लिखित अभिव्यक्ति की तरह ही मौखिक अभिव्यक्ति के भी मूलतः दो प्रकार हैं:
1. अनौपचारिक मौखिक अभिव्यक्ति
2. औपचारिक मौखिक अभिव्यक्ति

अनौपचारिक मौखिक अभिव्यक्ति

अनौपचारिक मौखिक अभिव्यक्ति का अर्थ है, अपने सुपरिचित और निकट संबंधियों के बीच में होने वाला वार्तालाप। सामान्यतः सभी बालक विद्यालय में आने से पहले अपने घरों में अपने माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहन तथा मित्रों व पड़ोसियों के साथ अनौपचारिक बातचीत करना सीख चुके होते हैं। विद्यालय में वे अपने सहपाठियों और मित्रों के साथ भी अनौपचारिक वार्तालाप करते हैं परंतु औपचारिक व मौखिक अभिव्यक्ति के अनेक रूप हैं जिनमें से कुछ के नमूने आगे दिए हैं।

औपचारिक अभिव्यक्ति के समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएः
(क) संवाद की भाषा सभ्य और शिष्टतापूर्ण हो।
(ख) आत्म प्रशंसा नहीं करना चाहिए।
(ग) दूसरे व्यक्ति के स्तर के अनुसार बातचीत करें।
(घ) हास-परिहास केवल मित्रों तथा सगे-संबंधियों तक ही सीमित रखें, अन्य अवसरों पर न करें।
(ङ) व्यंगात्मक भाषा का प्रयोग न करें।
(च) वाद-विवाद प्रतियोगिता में समय सीमा का ध्यान रखें।

अतिथि का स्वागत

जिस व्यक्ति का आप स्वागत कर रहे हो, उसका पूरा नाम और पता होना चाहिए तथा उसका स्वागत मुस्कराहट के साथ और विनम्र भाव से करना चाहिए। स्वागत करते समय व्यक्ति की उम्र, रिश्ते आदि को ध्यान रखकर मिलना चाहिए; जैसे- किसी से गले मिलना, हाथ मिलाना या पाँव छूना इत्यादि। स्वागत करते समय कुछ सम्मानपूर्ण शब्दों से व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए; जैसे- आइए, बड़ी खुशी हुई, आपसे मिलकर मैं धन्य हो गया, लीजिए जी, कृपया इत्यादि।
घर में सम्मानीय अतिथि पहली बार आए हैं। आप उनका स्वागत कीजिए।

पात्र वार्तालाप

अंशु – नमस्कार, आइए, आइए। बैठिए, बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर। कैसी हैं?
नेहा – जी, ठीक हूँ। आप सुनाइए। आप कैसी हैं?
अंशु – आपकी कृपा है। आप सुनाइए-परिवार में सब कुशल मंगल हैं?
नेहा – जी आप लोगों की कृपा है। भगवान की कृपा से सब ठीक-ठाक है।
अंशु – आयुष कैसा है? उसकी परीक्षाएँ चल रही होंगी, उसके पेपर कैसे हो रहे हैं?
नेहा – आयुष बिल्कुल ठीक है। आजकल वह परीक्षा देने के लिए पढ़ाई में जुटा है। उसके पेपर
अच्छे हो रहे हैं।

धन्यवाद देना
कोई व्यक्ति आपका काम करता है और उसे आप उचित सम्मान नहीं देते या धन्यवाद नहीं कहते तो वह अशिष्टता कहलाता है। अतः उचित अवसर पर धन्यवाद करना हमारा मानवीय कर्त्तव्य है। धन्यवाद करने में प्रयोग होने वाले शब्द और वाक्य नीचे दिए गए हैं-
(क) बहुत-बहुत शुक्रिया।
(ख) बहुत-बहुत धन्यवाद।

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