एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 2 अभिनिष्क्रमण
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 2 अभिनिष्क्रमण के अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर पाठ के अंत में दिए गए सभी प्रश्नों के हल सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। 8वीं कक्षा हिंदी की पूरक पुस्तिका के पाठ 2 के सवाल जवाब विद्यार्थी यहाँ से सरल भाषा में प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 2 अभिनिष्क्रमण के प्रश्न उत्तर
सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा किस प्रकार मिली?
सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा तब मिली जब उसे भिक्षु वेश में एक पुरुष दिखाई दिया। वह और किसी को नहीं दिखाई पड़ रहा था। उस संन्यासी के अदृश्य हो जाने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को बहुत ही प्रसन्नता हुई। उसे विस्मय भी हुआ, उसे धर्म का ज्ञान प्राप्त हो गया था, इसलिए उसने अब अपने मन में घर त्यागने का संकल्प कर लिया।
वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने क्या कहा?
राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने कहा कि माया और मोह किसी स्वप्न की तरह क्षणभंगुर होते हैं। इसलिए वह मोक्ष की तलाश में घर से निकल चुके हैं। मेरे लिए अब अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ कर घर लौटना उचित नहीं होगा।
राजकुमार ने तपोवन न जाने के लिए राजा के समक्ष क्या-क्या शर्तें रखीं?
राजकुमार ने वन न जाने के लिए राजा के सामने चार शर्तें राखी वे हैं:
मेरी मृत्यु न हो।
मैं सदा रोगमुक्त रहूँ।
मुझे कभी बुढ़ापा न आए और
मेरी संपति सदा बनी रहे।
छंदक कौन था? सिद्धार्थ ने उसे नींद से क्यों जगाया?
छंदक अस्तबल में घोड़ों की देखभाल करता था। सिद्धार्थ जब सबकुछ त्याग कर जाना चाहते थे तो उन्हें शीघ्र ही बहुत दूर चले जाने के लिए एक उत्तम घोड़े की जरूरत थी। इसलिए सिद्धार्थ ने छंदक को जगाया।
सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा अत्यंत खराब हो गई। दोनों की आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके एक एक कदम भारी पड़ रहे थे। आते समय जिस दूरी को तय करने में उन्हें एक ही रात लगा था वापस जाते समय उसी दूरी को तय करने में उन्हें आठ दिन लग गये।
तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों को क्या करने के लिए, कहा?
तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों से कहा कि स्वर्ग में सुख की अभिलाषा में इस लोक में अपने आप को कष्ट देना धर्म का सही मार्ग नहीं है। सिद्धार्थ ने कहा कि धर्म का लक्ष्य स्वर्ग न होकर मोक्ष होना चाहिए।
बिंबसार ने सिद्धार्थ की सहायता के लिए क्या प्रस्ताव रखा?
बिंबसार ने सिद्धार्थ को वह सभी संसाधन देने का प्रस्ताव दिया यहाँ तक कि अपना आधा राज्य और सेना, ताकि सिद्धार्थ पुरुषार्थ करें और राजधर्म निभाएँ।