एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 1 आरंभिक जीवन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 1 आरंभिक जीवन के प्रश्न उत्तर सभी सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। आठवीं कक्षा हिंदी में पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठ 1 के सभी प्रश्नों के उत्तर को विस्तार से समझाया गया है।
कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 1 आरंभिक जीवन के प्रश्न उत्तर
सिद्धार्थ के बारे में महर्षि असित की क्या भविष्यवाणी थी? संक्षेप में बताइए।
यह कुमार विषयों से विरक्त होकर, राज् को त्यागकर, अपने तप से तत्व ज्ञान प्राप्त करेगा। यह ज्ञानमय सूर्य सांसारिक मोह के अंधकार को अवश्य नष्ट करेगा। महर्षि असित ने बताया- दुख रूपी समुद्र में डूबते हुए संसार को यह बालक ज्ञान की विशाल नौका से उस पार ले जाएगा। यह धर्म की ऐसी नदी प्रवाहित करेगा, जिसमें प्रज्ञा का जल होगा, शील का तट होगा और समाधि की शीतलता होगी।
इसी धर्म -नदी के जल को पीकर तृष्णा की पिपासा से व्याकुल यह संसार शांति लाभ करेगा। जैसे भटके हुए राही को कोई राह बताता है, वैसे ही संसार रूपी जंगल में भटके मनुष्यों को यह मोक्ष का सीधा मार्ग बताएगा।
आप कैसे कह सकते हैं कि बालक सिद्धार्थ विशेष मेधावी था?
बालक सिद्धार्थ अत्यंत मेधावी था। जिन विद्याओं को सामान्य बालक वर्षों में सीखते हैं, उनको उसने कुछ ही समय में सीख लिया।
महाराज शुद्धोदन सिद्धार्थ की सुख-सुविधाओं की व्यवस्था के लिए क्यों विशेष प्रयत्नशील रहते थे?
महाराज शुद्धोदन को महर्षि असित द्वारा की गई भविष्यवाणी याद थी कि यह बालक बड़ा होकर मोक्ष-प्राप्ति के लिए वन की ओर प्रस्थान कर सकता है। इसीलिए, उन्होंने अंत:पुर में ऐसी व्यवस्था करवाई जिससे सिद्धार्थ की आसक्ति सांसारिक विषयों में बढ़े और वह भोग-विलास में इतना लिप्त हो जाए कि उसे किसी प्रकार का वैराग्य न हो और वह राजमहलों में रहकर भोग-विलास में डूबा रहे।
राजकुमार सिद्धार्थ के मन में संवेग की उत्पति के क्या कारण थे?
राजकुमार सिद्धार्थ ने जब किसी वृद्ध, किसी रोगी और किसी मृत व्यक्ति को देखा और अपने सारथी से इसका कारण पूछा तो सारथी के जवाब सुनकर उन्हें जीवन का यथार्थ समझ में आ गया। यही उनके मन में संवेग की उत्पत्ति का कारण था।