कक्षा 6 इतिहास अध्याय 8 एनसीईआरटी समाधान – गाँव, शहर और व्यापार

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 इतिहास अध्याय 8 गाँव, शहर और व्यापार के अभ्यास के प्रश्न उत्तर विडियो और पीडीएफ के रूप में यहाँ दिए गए हैं। ये समाधान सीबीएसई शैक्षणिक सत्र 2024-25 के सिलेबस के अनुसार बनाया गया है और पूरा पाठ्यक्रम नवीनतम एनसीईआरटी पुस्तक के अनुसार है। पठन सामग्री पीडीएफ और विडियो के रूप में दी गई है जिससे छात्रों को पाठ 8 इतिहास को समझने में कोई परेशानी न हो।

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खेती में सर्वप्रथम लोहे के औज़ारों का प्रयोग कब शुरू हुआ?

पुरातत्व उत्खनन में मिले लोहे के औजारों से यह पता चलता है कि इस उपमहाद्वीप में लोहे का प्रयोग लगभग 3000 साल पहले शुरू हुआ। महापाषाण कब्रों में लोहे के औज़ार और हथियार बड़ी संख्या में मिले हैं। इनके बारे में तुम करीब 2500 वर्ष पहले लोहे के औज़ारों के बढ़ते उपयोग का प्रमाण मिलता है। इनमें जंगलों को साप. करने के लिए कुल्हाड़ियाँ और जुताई के लिए हलों के फाल शामिल हैं। अध्याय 5 में तुमने पढ़ा था कि लोहे के फाल के इस्तेमाल से कृषि उत्पादन बढ़ गया। लोहे का प्रयोग आज एक आम बात है। लोहे की चीज़ें हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का वर्णन कीजिए।

खेती से पर्याप्त पैदावार प्राप्त करने के लिए सिंचाई के साधनों पर ध्यान दिया गया। समृद्ध गाँवों के बिना राजाओं तथा उनके राज्यों का बने रहना मुश्किल था। जिस तरह कृषि के विकास में नए औज़ार तथा रोपाई महत्वपूर्ण कदम थे, उसी तरह सिंचाई भी काफी उपयोगी साबित हुई। इस समय सिंचाई के लिए नहरें, कुएँ, तालाब तथा कृत्रिम जलाशय बनाए गए।

गाँवों में कौन रहते थे?

अधिकांश गाँवों में तीन तरह के लोग रहते थे। दक्षिण भारत के तमिल क्षेत्र में बड़े भूस्वामियों को वेल्लला, साधारण हलवाहों को उणवार और भूमिहीन मज़दूर, दास कडैसियार और अदिमई कहलाते थे। देश के उत्तरी हिस्से में, गाँव का प्रधान व्यक्ति ग्राम-भोजक कहलाता था। अक्सर एक ही परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इस पद पर कई पीढ़ियों तक बने रहते थे। यानी कि यह पद आनुवंशिक था। ग्राम-भोजक के पद पर आमतौर पर गाँव का सबसे बड़ा भू-स्वामी होता था। साधारणतया इनकी ज़मीन पर इनके दास और मज़दूर काम करते थे। इसके अतिरिक्त प्रभावशाली होने के कारण प्राय: राजा भी कर वसूलने का काम इन्हें ही सौंप देते थे। ये लोग गाँव के स्तर पर न्यायाधीश का और कभी-कभी पुलिस का काम भी करते थे। ग्राम-भोजकों के अलावा अन्य स्वतंत्र कृषक भी होते थे, जिन्हें गृहपति कहते थे। इनमें ज़्यादातर छोटे किसान ही होते थे। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे स्त्री-पुरुष थे, जिनके पास अपनी ज़मीन नहीं होती थी। इन्हें दास कर्मकार कहते थे, जिन्हें दूसरों की ज़मीन पर काम करके अपनी जीविका चलानी पड़ती थी। अधिकांश गाँवों में लोहार, कुम्हार, बढ़ई तथा बुनकर जैसे कुछ शिल्पकार भी होते थे।

संगम साहित्य से क्या तात्पर्य है?

तमिल की प्राचीनतम रचनाओं को संगम साहित्य कहते हैं। इनकी रचना करीब 2300 साल पहले की गई। इन्हें संगम इसलिए कहा जाता है क्योंकि मदुरै के कवियों के सम्मेलनों में इनका संकलन किया जाता था। गाँव में रहने वालों के जिन तमिल नामों का उल्लेख यहाँ किया गया है, वे संगम साहित्य में पाए जाते हैं।

बौद्ध साहित्य में जातक कथाओं से क्या सन्देश मिलता है?

तुमने जातकों के बारे में सुना होगा। ये वो कहानियाँ हैं, जो आम लोगों में प्रचलित थीं। बौद्ध भिक्खुओं ने इनका संकलन किया। यहाँ एक जातक कथा दी गई है, जिसमें यह बताया गया है कि एक निर्धन किस तरह धीरे-धीरे धनी बन जाता है।

आहत सिक्केकिस प्रकार के होते थे और इनका प्रचालन काल क्या था?

आहत सिक्के सामान्यत: आयताकार और कभी-कभी वर्गाकार या गोल होते थे। ये या तो धातु की चादर को काटकर बनाए जाते थे या धातु के चपटे गोलिकाओं से बनाये जाते थे। इन सिक्कों पर कुछ लिखा हुआ नहीं था, बल्कि इन पर कुछ चिन्ह ठप्पे से बनाये जाते थे। इसीलिए इन्हें आहत सिक्के कहते हैं। ये सिक्के उपमहाद्वीप के लगभग अधिकांश हिस्सों में पाए जाते हैं और ईसा की आरंभिक सदियों तक ये प्रचलन में रहे।

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