कक्षा 6 इतिहास अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान – क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 इतिहास अध्याय 4 क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें के अभ्यास के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस 2024-25 के अनुसार बनाए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर विस्तार से सरल रूप में बनाया गया है और पाठ का विस्तृत विवरण विडियो के माध्यम से भी समझाया गया है। कक्षा 6 इतिहास पाठ 4 के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर, जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, भी दिए गए हैं। कक्षा 6 इतिहास के ये सभी समाधान तिवारी अकादमी वेबसाइट तथा ऐप दोनों में उपलब्ध हैं।

कक्षा 6 इतिहास अध्याय 4 के लिए एनसीईआरटी समाधान

कक्षा 6 के लिए समाधान

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दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथ किसे माना जाता है और इसमें किसका वर्णन है?

शायद सभी ने वेदों के बारे में सुना होगा। वेद चार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद। ऋग्वेद को सबसे पुराना वेद माना जाता है। ऋग्वेद जिसकी रचना का समय लगभग 3500 साल पहले माना जाता है। ऋग्वेद में एक हज़ार से ज़्यादा प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें, सूक्त कहा गया है। सूक्त का अर्थ है, अच्छी तरह से बोला गया। ये सूक्त विभिन्न देवी-देवताओं की स्तुति में रचे गए हैं। इनमें से मुख्यतया तीन देवता बहुत महत्वपूर्ण हैं: अग्नि, इन्द्र और सोम। अग्नि आग के देवता, इन्द्र युद्ध के देवता हैं और सोम एक पौधा है, जिससे एक खास पेय बनाया जाता था, जिसको सोमरस भी कहते थे।

ऋग्वेद के अनुसार उस काल में समाज का वर्गीकरण किस प्रकार था?

ऋग्वेद काल में लोगों का वर्गीकरण काम, भाषा, परिवार या समुदाय, निवास स्थान या सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर किया जाता रहा है। ऋग्वेद में लोगों की विशेषता बताने वाले कुछ विशेष शब्दों को देखो। ऐसे दो समूह हैं जिनका वर्गीकरण काम के आधार पर किया गया है: पुरोहित जिन्हें कभी-कभी ब्राह्मण कहा जाता था तरह-तरह के यज्ञ और अनुष्ठान करते थे। दूसरे लोग थे – राजा। एक तीसरा वर्ग भी था जिसे विश्‌ कहते थे जिससे वैश्य शब्द निकला है। जिन लोगों ने इन प्रार्थनाओं की रचना की वे कभी-कभी खुद को आर्य कहते थे तथा अपने विरोधियों को दास या दस्यु कहते थे। इन दासों को चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है। इस प्रकार कह सकते हैं कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र लोगों के ये चार वर्ण प्रमुख थे।

खुदाई में मिली कब्रों के आधार पर लोगों की सामाजिक असमानताओं के बारे में क्या पता चलता है?

खुदाई में मिली कब्रों में कंकाल के साथ मिलाने वाली सामग्री के आधार पर पुरातत्त्वविद्‌ यह मानते हैं कि कंकाल के साथ पाई गई चीज़ें मरे हुए व्यक्ति की ही रही होंगी। कभी-कभी एक कब्र की तुलना में दूसरी कब्र में ज़्यादा चीज़ें मिलती हैं। ब्रह्मगिरी में खुदाई में यहाँ एक व्यक्ति की कब्र में 33 सोने के मनके और शंख पाए गए हैं। दूसरे कंकालों के पास सिर्फ कुछ मिट्टी के बर्तन ही पाए गए। यह दफनाए गए लोगों की सामाजिक स्थिति में भिन्नता को दर्शाता है। कुछ लोग प्रभावशाली थे तो कुछ लोग गरीब, कुछ लोग सरदार थे तो दूसरे उनके अनुयायी।

इनामगाँव में खुदाई में मिले साक्ष्यों के अनुसार लोगों के काम-धंधे किस प्रकार के थे?

इनामगाँव की खुदाई में पुरातत्त्वविदों को गेहूँ, जौ, चावल, दाल, बाजरा, मटर और तिल के बीज मिले हैं। इसके अतिरिक्त कई जानवरों की हड्डियाँ भी मिली हैं। कई हड्डियों पर काटने के निशान मिले हैं जिससे यह अंदाजा होता है कि लोग इन्हें खाते होंगे। गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, कुत्ता, घोड़ा, गधा, सूअर, साँभर, चितकबरा हिरण, कृष्ण-मृग, खरहा, नेवला, चिड़ियाँ, घड़ियाल, कछुआ, केकड़ा और मछली की हड्डियाँ भी पाई गई हैं। ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि बेर, आँवला, जामुन, खजूर और कई तरह के फल एकत्र की जाते थे।

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