एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 14 वन के मार्ग में

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 14 वन के मार्ग में के प्रश्नों के उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 6 हिंदी के पाठ 14 में यहाँ दिखाया गया है कि वन जाते समय सीता ने किन-किन परेशानियों का सामना किया। विडियो समाधान के माध्यम से छात्र पाठ को आसानी से समझ सकते हैं।

नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई?

नगर के बाहर सीता जी ने दो कदम ही रखे थे कि उनके माथे पर पसीना आ गया। थकान महसूस होने लगी और रामचंद्र जी से पूछने लगी कि अभी और कितना चलना है। पर्णकुटी कहाँ पर बनाएंगे।

सीता ने राम से वन में चलते-चलते क्या पूछा था?
सीता जब अयोध्या से पैदल-पैदल चल कर वन को प्रस्थान कर रही थी। काफ़ी दूर चलने से उनके पाँव गर्मी से तपती धरती के कारण जलने लगे थे। तब सीता ने राम से पूछा “और कितना दूर चलना पड़ेगा, आप अपनी पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा”

‘अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा’, किसने किससे पूछा और क्यों?

सीता जी ने राचंद्रजी से पूछा क्योंकि वे बहुत थक चुकी थी और विश्राम करना चाहती थी।

वन में जाते हुए राम ने सीता के दुःख को हर लेने के लिए क्या किया?
वन में जाते हुए रास्ते में पड़ी झाड़ियों के काँटे सीता के पाँव में चुभ गए थे, जिससे उन्हें बड़ी पीड़ा हो रही थी। इसी पीड़ा के कारण सीता जी के आँसू निकल आए थे। राम भी सीता के दुःख को देख दुखी होने लगे थे। श्रीराम स्वयं सीता जी के काँटों को अपने हाथ से निकालने लगते है। इससे सीता जी की पीड़ा का हरण हो जाता है।

राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?

राम ने थकी हुई सीता को देखकर लक्ष्मण को जल लेने के लिए भेज दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर अपने पैरों की धूल को साफ करने लगे तथा पैरों के कांटे धीरे-धीरे निकालने लगे जिससे सीता कुछ देर और विश्राम कर सकें।

पीड़ा से ग्रस्त सीता जी कैसे पुलकित हो उठी थी?
सीता जी पैदल चल कर थक चुकी थी। एक कदम चलना भी उनके लिए संभव न था। प्यास से गला सूख चुका था और पाँव में काटे लग हुए थे। सीता जी के पीड़ा के कारण आँसू निकल आए थे। इसलिए श्रीराम ने छाया में बिठा कर सीता जी के पाँव के काँटे निकालने लगे। सीता जी की दशा को देखकर श्री राम के आँसू भी निकलने लगे थे। श्रीराम का अपने प्रति यह प्रेम देखकर सीता जी पुलकित हो उठी और अपनी सब पीड़ा भी भूल गई थी।

दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।

पहले सवैये में सीता की व्याकुलता का वर्णन है तो दूसरे सवैये में राम के द्वारा सीता की व्याकुलता को देखकर पेड़ के नीचे बैठकर देर तक विश्राम करने का वर्णन है।

पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।

वन का मार्ग काँटों से भरा था। बहुत गर्मी थी। धूल मिट्टी के कारण थोड़ा सा चलने पर ही थकान होने लगती थी।

नगर से वन को चलते हुए सीता जी की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?
नगर से चलते हुए जब सीता जी वन को प्रस्थान करने लगी तो दिन की गर्मी में कच्ची सड़क की तपती धूल में उनके पाँव जलने लगते हैं। प्यास से गला सूखने लगा था। एक कदम भी और चलना मुश्किल हो गया था। ऐसी स्थिति में वे अपने पाँव धोना चाहती थी और पेड़ की छाया में खड़ा होना चाहती थी।

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