कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 32 निबंध लेखन
कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 32 निबंध लेखन और अभ्यास के लिए निबंध और उस पर आधारित विशेष तथ्यों को चरण दर चरण सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम के अनुसार समझाया गया है। निबंध लेखन के अभ्यास के लिए हिंदी ग्रामर में कक्षा 6 के छात्र अभ्यास पुस्तिका में दिए गए निबंधों के नमूनों से मदद ले सकते हैं।
कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 32 निबंध लेखन के लिए पठन सामग्री
निबंध-लेखन
निबंध का अर्थ है- बँधा हुआ। अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध लिखते समय भाव-सामग्री को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। इसकी भाषा सरल, सरस व रोचक होनी चाहिए। निबंध लिखते समय दिए गए विषय के सभी पक्षों पर क्रमानुसार प्रकाश डालना चाहिए। इसकी भाषा प्रवाहमयी होनी चाहिए।
निबंध-लेखन के संबंधा में धयान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. सबसे पहले विषय पर विचार करके उसे मन में बिठा लेना चाहिए।
2. इसे प्रभावपूर्ण बनाने के लिए छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
3. भाषा सरल, सरस व सुबोध होनी चाहिए।
4. इसकी शैली रोचक होनी चाहिए, जो पढ़ने वाले पर प्रभाव डाल सके।
5. इसकी भाषा में विराम-चिह्नों का समुचित प्रयोग करना चाहिए।
6. मुहावरों के प्रयोग से भी निबंध सशक्त बनता है। इससे निबंध की भाषा शैली में निखार आता है।
निबंध के भाग
आदर्श निबंध के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं:
(क) आरंभ (भूमिका)
(ख) मधय भाग (कलेवर)
(ग) उपसंहार (निष्कर्ष)
आरंभ (भूमिका)
निबंध की शुरुआत भूमिका या प्रस्तावना से ही होनी चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। इसे लिखते समय दिए गए विषय से नहीं हटना चाहिए।
मध्यभाग
इस भाग में दिए गए विषय के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। विषय से संबंधिात सभी बिंदुओं का क्रमानुसार वर्णन इसी भाग के अंतर्गत आता है। छोटे-छोटे वाक्यों में विषय के बिंदुओं को पिरोना चाहिए ताकि निबंध का प्रवाह बना रहे। यह निबंध का विस्तार वाला भाग है।
उपसंहार
इस भाग में निबंध का सार तथा निष्कर्ष लिखना चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए।
आइए विविधा विषयों पर दिए गए निबंधाों को पढ़ें और लिखने का अभ्यास करें।
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। यह प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। होली, दीपावली, ईद, क्रिसमिस आदि त्योहारों को एक विशेष धार्म के लोग मनाते हैं, परंतु गणतंत्र दिवस को सभी भारतवासी एकसाथ मिलकर बहुत उत्साह से मनाते हैं। सैकड़ों वर्षों की परतंत्रता के बाद यद्यपि हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हो गया था, परंतु उस समय हमारे देश का कोई संविधाान नहीं था। 26 जनवरी, 1950 को स्वतंत्र भारत का संविधाान लागू किया गया तथा भारत को एक ‘गणतंत्र’ घोषित किया गया था।
इसलिए 26 जनवरी, 1929 को पंजाब की रावी नदी के तट पर नेहरू जी की अधयक्षता में पूर्ण स्वराज प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की गई थी। इसलिए स्वतंत्र भारत का संविधाान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। 26 जनवरी, 1950 को डा- राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति का पद सँभाला।
गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह दिल्ली में आयोजित होता है। विजय चौक से राजपथ होते हुए लाल किले तक एक विशाल परेड निकाली जाती है जिसमें सेना के तीनों अंगों तथा पुलिस के जवान भाग लेते हैं। राष्ट्रपति निश्चित समय पर अपनी गाड़ी में बैठकर विजय चौक पहुँचते हैं, राष्ट्र धवज फ़हराते हैं और सैनिकों की सलामी लेते हैं।
इसके बाद राज्यों की झाँकियाँ निकाली जाती हैं, जो देखने लायक होती हैं। स्कूलों के बच्चे तथा लोकनर्तकों की टोलियाँ अपने मनमोहक कार्यक्रमों तथा नृत्यों से सभी का मन मोह लेते हैं। इस दृश्य को देखने हजारों लोगों की भीड़ दिल्ली के इंडिया गेट के आसपास जमा हो जाती है। इस सारे कार्यक्रम को दूरदर्शन पर भी दिखाया जाता है। सायंकाल सरकारी भवन तथा राष्ट्रपति भवन बिजली के बल्बों से जगमगा उठते हैं। दिल्ली की तरह ऐसे ही कार्यक्रम संपूर्ण भारतवर्ष में मनाए जाते हैं। गणतंत्र दिवस हमारा सर्वोच्च राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन हमें अपने देश की रक्षा का प्रण लेना चाहिए और यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे देश की एकता खतरे में पड़े।