कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 29 अनुच्छेद लेखन
कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 29 अनुच्छेद लेखन तथा इसके प्रकार, अभ्यास प्रश्न और अतिरिक्त अभ्यास के लिए अनुच्छेद शैक्षणिक सत्र 2024-25 में छात्रों के अध्ययन के लिए यहाँ दिए गए हैं। गद्यांश की ही भांति कक्षा 6 हिंदी व्याकरण में अनुच्छेद लेखन भी महत्वपूर्ण है। दी गई अभ्यास पुस्तिका की मदद से छात्र अनुच्छेद लेखन का अभ्यास सरलता से कर सकते हैं।
कक्षा 6 हिंदी व्याकरण अध्याय 29 अनुच्छेद लेखन के लिए पठन सामग्री
अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद-लेखन निबंध का ही संक्षिप्त रूप है। निबंध में विस्तारपूर्वक वर्णन करना होता है जबकि अनुच्छेद लेखन में उसी बात को सार रूप में लिखन होता है। निबंध को 350-450 शब्दों में लिखा जाता है जबकि अनुच्छेद को केवल 80-100 शब्दों में ही लिखा जाता है।
अनुच्छेद-लेखन में इन बातों का धयान रखना चाहिए:
1. अनुच्छेद में विषय-संबंधी सभी तथ्यों का समावेश होना चाहिए।
2. अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
3. वाक्य छोटे तथा प्रभावशाली होने चाहिए।
4. भाषा प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए।
5. शब्दों की सीमा का धयान रखना चाहिए।
6. विषय की भूमिका न देकर सीधे विषय पर आ जाना चाहिए।
7. उपसंहार एक ही वाक्य में समाप्त कर देना चाहिए।
सर्व-धर्म समभाव पर अनुच्छेद
सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि प्रेम से प्रेम और विश्वास से विश्वास उत्पन्न होता है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि घृणा से घृणा का जन्म होता है जो दावाग्नि की तरह सबको जलाने का काम करती है। महात्मा गाँधाी घृणा को प्रेम से जीतने में विश्वास करते थे। उन्होंने सर्वधर्म समभाव द्वारा सांप्रदायिक घृणा को मिटाने का आजीवन प्रयत्न किया।
हिंदू और मुसलमान दोनों की धाार्मिक भावनाओं को समान आदर की दृष्टि से देखा। सभी धर्म आत्मा की शांति के लिए भिन्न-भिन्न उपाय और साधन बताते हैं। धर्मों में छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं है। सभी धर्म सत्य, प्रेम, समता, सदाचार और नैतिकता पर बल देते हैं इसलिए धर्म के मूल में पार्श्व या भेद नहीं है।
आशा और निराशा
आपका जीवन एक संग्राम स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। मानव जीवन के रथ के पहिए फ़ूलों से भरे नंदन-वन से नहीं गुजरते, कंटकों से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान जीवन-पथ का सारथी बनकर अपनी यात्र को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म-विश्वास का दुर्जेय शस्त्र नहीं है, तब तक न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, और न महान जीवन के सोपानों पर चढ़ सकते हैं।
जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुःख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अँधकार मुँह फ़ैलाए आपकी प्रगति को निगलने लिए बढ़ा चला आ रहा है, लेकिन आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो दुःख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार छँट जाएगा जिस प्रकार सूर्य-किरण के फ़ूटते ही अँधकार भाग जाता है।
राष्ट्रीय धवजः तिरंगा
राष्ट्रीय धवज किसी भी देश के लिए स्वतंत्र राष्ट्र होने की पहचान है। तिरंगा झंडा हमारा राष्ट्रीय धवज है। इसमें तीन रंगों की तीन पट्टियाँ हैं। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद और सबसे नीचे हरा। केसरिया रंग वीरता एवं बलिदान का प्रतीक है, सफ़ेद रंग शांति का तथा हरा रंग खुशहाली का प्रतीक है।
सफ़ेद रंग की पट्टी के बीचों-बीच एक चक्र है जो सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। यह चक्र हमें निरंतर कार्य करने की प्रेरणा देता है। यह तिरंगा हमारे देश की आन, बान और शान है। यह हमारी पहचान है। हम सबको इसका सम्मान करना चाहिए।