एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी दूर्वा पाठ 26 बढे चलो

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी दूर्वा पाठ 26 बढे चलो कविता के प्रश्न उत्तर तथा कविता पर आधारित अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 6 हिंदी अध्याय 26 के ये समाधान सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं। छात्र इससे अपनी परीक्षा की तैयारी आसानी से आकर सकते हैं।

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

कविता की पंक्तियाँ पूरी करो

क. वीर तुम बढे़ चलो।
उत्तर: धीर, तुम बढे़ चलो।

ख. ध्वज कभी झुके नहीं,
उत्तर: दल कभी रुके नहीं।

ग. तुम निडर, हटो नहीं,
उत्तर: तुम निडर, डटो वहीं।

घ. सूर्य से बढे़ चलो,
उत्तर: चंद्र से बढे़ चलो।

कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने आगे बढ़ते रहने के लिए किसके उदहारण को कविता में पेश किया हैं?
कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने आगे बढ़ते रहने के लिए सूर्य और चंद्रमा के उदाहरण को कविता में पेश किया हैं। जो कभी भी रुकते नहीं हैं। चाहे दिन हो चाहे रात, निरंतर आगे ही बढ़ते रहते हैं।

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पाठ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो

1. वीरों के हाथ में क्या रहना चाहिए?
उत्तर: वीरों के हाथ में ध्वज रहना चाहिए।

2. वीरों को निडर होकर क्या करना चाहिए?
उत्तर: वीरों को निडर होकर आगे बढ़ना चाहिए।

3. मेघ और बिजलियाँ क्या-क्या करती हैं?
उत्तर: मेघ बरसते हैं और बिजलियाँ कड़कती हैं।

4. वीरों को किस-किस की तरह बढ़ना चाहिए?
उत्तर: वीरों को निडर होकर सिंह की तरह दहाड़ते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने किसे कभी भी झुकने न देने को कहा है?
कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने अपने ‘राष्ट्रीय ध्वज’ को कभी भी झुकने न देने को कहा है। वीर पुरुष कभी भी अपने देश के सम्मान को झुकने नहीं देते हैं।

अतिरिक्त अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर

कविता ‘बढ़े चलो’ को कौन सा गीत भी माना गया है?
कविता ‘बढ़े चलो’ को “प्रयाण” गीत भी माना गया है।

कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने कौन-कौन सी मुश्किलों से न डरने के लिए कहा है?
कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने रास्ते में आने वाली निम्नलिखित मुश्किलों से न डरने के लिए कहा है:
पहाड़, नदियाँ, बादलों की गरज और बिजली के कड़कने की आवाज़।

कविता ‘बढ़े चलो’ का भावार्थ क्या है?

कविता ‘बढ़े चलो’ में कवि ने कहा है, हे वीर, धीर! तुम आगे बढ़ो। हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर बिना रुके बढ़ते रहो। चाहे सामने पहाड़ हो या सिंह गरज रहा हो, बिलकुल डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि डटकर उसका सामना करो और आगे बढ़ो। कवि ने कहा है कि सुबह हो या रात हो, कोई साथ हो या न हो, सूर्य और चंद्रमा के समान आगे बढ़ते रहो। कवि कहता है कि यदि पक्के इरादे के साथ आगे बढ़े तो रास्ते में पड़ने वाली मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं।

कवि ने कविता में वीर और धीर को क्या लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है?
कवि ने कविता में वीर और धीर को अपने मान-सम्मान के प्रतिक ‘राष्ट्रीय ध्वज’ को लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।

क्या करने से रास्ते की मुश्किलें आसान हो जाती हैं?

पक्के इरादे के साथ आगे बढ़ने से रास्ते में पड़ने वाली मुश्किलें आसान हो जाती हैं। हमें कभी भी अपने हौसले को कम नहीं होने देना चाहिए।

कविता ‘बढ़े चलो’ में कौन सी पक्तियाँ तुम्हें सबसे अच्छी लगी?
कविता में अपने “राष्ट्रीय ध्वज” को हाथ में लेकर आगे बढ़ने और कभी भी न झुके की पंक्तियाँ सबसे अच्छी हैं। देश के सम्मान और उसकी प्रतिष्ठा को बचाना हर नागरिक का कर्तव्य है।

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