एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 12 राम का राज्याभिषेक
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 12 राम का राज्याभिषेक के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 6 हिंदी में बाल रामकथा के पाठ 12 में राम के अयोध्या लौटने तथा राज्याभिषेक के बारे में बताया गया है।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 12 राम का राज्याभिषेक
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 12 राम का राज्याभिषेक
विभीषण, राम को लंका में कुछ दिन रुक कर आराम करने को क्यों कह रहे थे?
विभीषण, राम को अपनी सुंदर लंका को दिखाने के साथ उनका सान्निध्य और रीति-नीति का ज्ञान सीखना चाहते थे।
राम ने विभीषण के रुकने के आग्रह को क्यों ठुकराह दिया था?
राम ने विभीषण के आग्रह को ठुकराने के कारण बताते हुए कहा कि मित्र, वनवास के चौदह वर्ष पूरे हो गए हैं। मैं तत्काल अयोध्या लौटना चाहता हूँ। भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। यदि जाने में विलंब हुआ तो वे प्राण दे देंगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की है और मैं भी उनकी प्रतिज्ञा से बँधा हुआ हूँ।
कक्षा 6 हिंदी बाल रामकथा अध्याय 12 के प्रश्न उत्तर
विभीषण ने राम के समक्ष अपना कौन सा नया प्रस्ताव रखा था?
विभीषण भी राम से दूर रहना नहीं चाहते थे। इसलिए एक नया प्रस्ताव राम के समक्ष रखते हुए बोले कि मेरी इच्छा है कि मैं आपके राज्याभिषेक में उपस्थित रहूँ। मुझे अपने साथ चलने की अनुमति दें।
विभीषण की विनती स्वीकार करने पर राम ने उनसे क्या माँगा था?
विभीषण को अपने साथ ले जाने की विनती स्वीकार करने के बाद राम ने उनसे अपनी यात्रा की व्यवस्था करने की माँग की थी। वे जानते थे कि उनका पुष्पक विमान उन्हें शीघ्र ही अयोध्या ले जाएगा।
विभीषण ने विमान से उड़ान भरते हुए वानर सेना के लिए क्या किया?
विभीषण ने विमान से उड़ान भरते हुए, अपने कोषागार से वानर सेना पर रत्नाभूषण की वर्षा की थी। वानर सेना के लिए यह मनोरंजन था। सभी ने अपने मनपसंद आभूषणों को लूटा था।
राम ने पुष्पक विमान से सीता को कौन-कौन से स्थानों से परिचित कराया था?
राम ने पुष्पक विमान से सबसे पहले रणभूमि दिखाई जहाँ पर युद्ध हुआ था। इसके बाद नल और नील द्वारा तैयार किया सेतुबंध दिखाया था। अनेकों पर्वत, नदियाँ, जंगल और किष्किंधा नगरी से से परिचित कराया था।
अयोध्या से पूर्व पुष्पक विमान को कहाँ-कहाँ उतारा गया था?
अयोध्या से पूर्व पुष्पक विमान को किष्किंधा और ऋषि भारद्वाज के आश्रम में उतारा गया था। सीता किष्किंधा से रानी तारा और रूपा को राज्याभिषेक में शामिल करना चाहती थी। सभी ने रात को ऋषि के आश्रम में विश्राम किया था।
राम सीधे अयोध्या क्यों नहीं जाना चाहते थे?
राम सीधे अयोध्या नहीं जाना चाहते थे क्योंकि उनके मन में एक संशय था। कहीं भरत को चौदह साल की अवधि के दौरान सता का मोह तो नहीं हो गया। वह पहले इस बात की पड़ताल करना चाहते थे।
राम ने अयोध्या जाने से पहले हनुमान को भरत के पास क्यों भेजा था?
राम ने हनुमान को अपने आगमन की ख़बर के साथ भरत के विचारों को जानने के लिए हनुमान को भेजा था। राम यह जानना चाहते थे कि भरत उनके आगमन से खुश है या नहीं। यदि वह उनके आगमन की ख़बर से दुखी होंगे तो वे अयोध्या कभी नहीं जाएँगे। सारा राजपाट खुशी-खुशी भरत को ही सौप देंगे।
हनुमान ने भरत को राम का क्या संदेशा दिया था?
हनुमान ने नदिग्राम में भरत से भेंट करते हुए राम का संदेशा देते हुए कहा कि श्रीराम के वनवास की अवधि पूर्ण हो गई है। वे प्रयाग पहुँच चुके हैं। मैं उन्हीं की आज्ञा से आपके पास आया हूँ।
हनुमान के द्वारा राम का संदेश सुनकर भरत की क्या प्रतिकियाएँ थी?
राम का संदेश सुनकर भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा था। आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे। वे बार-बार हनुमान को इस सूचना पर धन्यवाद दे रहे थे। उनके चहरे पर राम से मिलने की खुशी के भाव साफ देखे जा सकते थे। मानो वे प्रसन्नता के सागर में डूब गए थे।
राम के राज्याभिषेक की ख़बर से अयोध्या में क्या-क्या तैयारियाँ हो रही थी?
राम के राज्याभिषेक की ख़बर से अयोध्या में चारों ओर उत्सव और खुशी का माहौल बना हुआ था। पूरा नगर सजाया गया था। घी के दीपों से अयोध्या जगमगा उठी थी। फूलों से सुवासित फैलती जा रही थी। वाद्ययंत्रों से झंकृत स्वर गूँज रहा था। शत्रुध्न ने राज्याभिषेक की एक-एक सामग्री जुटा ली थी।
राम के राज्याभिषेक का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया था। राम और सीता को सोने के रत्नजड़ित सिंहासन पर बिठाया गया था। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े रहे और हनुमान उनकी सेवा के लिए नीचे बैठ गए थे। माताओं द्वारा उनकी आरती उतारी गई। मंगलाचार हुआ और शुभ गीत गाए गए।
राज्याभिषेक के बाद क्या हुआ?
राज्याभिषेक के बाद राम ने सीता को बहुमूल्य हार दिया। प्रजाजनों को उपहार बाटें गए। उन्हें अनेक वस्तुएँ प्रदान की गई। सीता ने अपने गले का हार उतारकर हनुमान को भेंट कर दिया। यह उनकी भक्ति और पराक्रम को ध्यान में रखते हुए किया था। कुछ दिनों के बाद सब अतिथि अपने-अपने निवास स्थान पर लौट गए थे।
हनुमान राम के पास अयोध्या में क्यों रुक गए थे?
हनुमान राम के परम भक्त थे। वे राम के पास ही रह कर उनकी सेवा करना चाहते थे। राम भी उन्हें अपने सभी भाइयों से अधिक प्रेम करते थे। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर राज किया और हनुमान भी उन्हीं के साथ दरबार में रहे।