एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 6
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 6 ओमना का सफ़र (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 6) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी मीडियम तथा अंग्रेजी में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ दिए गए विडियो समाधान में भी कक्षा 4 ईवीएस के पाठ 6 को विस्तार से समझाया गया है जो विद्यार्थियों को पाठ के विविरण को समझने में मदद करता है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 6
ओमना की डायरी
ओमना बहुत खुश थी क्योंकि वह अपनी पक्की सहेली राधा के साथ केरल जा रही थी। ओमना अपने परिवार के साथ नानी के घर और राधा अपने परिवार के साथ छुटियाँ मनाने केरल जा रही थी। दोनों परिवार की टिकटें ओमना के अप्पा ने ही कराई थी।
सफ़र से दो दिन पहले ही राधा साइकिल से गिर गई और दाएँ पैर की हड्डी टूट गई। डाँक्टर ने छह हफ़्तों के लिए राधा के पैर पर पलस्तर चढ़ा दिया और चलने-फिरने के लिए मना कर दिया। राधा के परिवार को अपनी टिकट रद्द करानी पड़ी। राधा और ओमना बहुत उदास हो गई, क्योंकि दोनों ने मिलकर घुमने की कितनी तैयारी की थी।
तब राधा की माँ ने ओमना को एक उपाय बताया कि तुम अपने सफ़र की पूरी बातें एक डायरी में लिखती रहना जब तुम वापिस आओगी तब राधा तुम्हारी डायरी पढ़ लेगी। इससे ओमना सफ़र की कोई बात भूलेगी नहीं और सफ़र में उसका समय भी अच्छा बीतेगा। दोनों सहेलियों को यह बात अच्छी लगी, ओमना ने सफ़र में अपने साथ एक कॉपी रख ली और रास्ते की सभी बातें लिखती रही।
ओमना के सफ़र की शुरुआत
दोपहर के करीब 11 बजकर 35 मिनट का समय था, ओमना का परिवार केरल जाने के लिए स्टेशन पहुँच चुके थे। सबसे पहले उन्होंने “रिजर्वेशन चार्ट” देखा, कुछ समय बाद ही ट्रेन भी प्लेटफ़ार्म पर आ पहुँची थी। ओमना ने देखा ट्रेन तो पहले से ही भरी हुई थी। आज सुबह-सुबह से ही यह ट्रेन गांधीधाम, कच्छ से चली थी। ट्रेन के आते ही हलचल ओर बढ़ गई थी। एक ही दरवाजे से कुछ लोग उतर रहे थे, तो कुछ चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे।
सफ़र के दौरान खाना
ओमना का परिवार भी जैसे-तेसे चढ़ ही गया और अपनी सीट ढूँढ़कर अपना सामान सीट के नीचे रख दिया। ट्रेन के चलने से पहले सभी अपनी-अपनी सीटों पर बैठ चुके थे। कुछ देर बाद टिकट-चेकर आया और सबकी टिकटें देखी। वह यह देख रहे थे कि सभी ठीक सीटों पर बैठे हैं, कोई एक-दुसरे की सीट पर तो नहीं बैठा हैं।
अम्मा और अप्प्पा को नीचे वाली बर्थ मिली, उन्नी और ओमना को बीच वाली सीट मिली थी। सबसे ऊपर बर्थ पर कॉलेज के दो लड़के थे। पास ही बैठे परिवार के दो बच्चें जो ओमना की उम्र के थे, सुनील और एन थे। ओमना खिड़की पर बैठकर ये सब डायरी में लिख रही थी। कुछ देर बाद अम्मा ने खाने का डिब्बा खोला उसमे ढोकला, चटनी, नीबू वाले चावल और मिठाई थी। जिससे देखकर ओमना के मुँह में पानी आ गया और डायरी रख कर खाने बैठ गई।
दोपहर का खाना खाकर कुछ लोग सो गए लेकिन ओमना को नींद नहीं आई। वह खिड़की से बहार देखती रही। बहार उसे सूखे भूरे मैदान दिखाई दिए। कहीं-कहीं पर उसे छोटे-छोटे गाँव भी दिखाई दिए। उसे लगा जैसे सभी उलटी दिशा में भाग रहे हो। शाम होते ही उसे हलकी-हलकी ठंडी हवा का अह्सास होने लगा। बाहर आसमान संतरी रंग का दिखाई दे रहा था क्योंकि सूरज डूब रहा था। ओमना ने कभी अहमदाबाद में रहते हुए डूबते सूरज पर ध्यान नहीं दिया था।
स्टेशन पर चहल-पहल
इसके बाद ओमना की ट्रेन वलसाड़ स्टेशन पर दो मिनट के लिए रुकी थी। स्टेशन पर खाने-पीने की चीज़े बेचने वालों का बहुत शोर था। चाय गरम चाय की एक तरफ़ से आवाज़ आ रही थी तो बटाटा-वडा, पूरी-संग, ठंडा दूध आदि के स्वर प्लेटफ़ार्म पर गूंज रहे थे। लोग खाने की चीज़ें खरीद और बेच रहे थे। ओमना के अप्पा ने खिड़की से ही केले और चीकू खरीद लिए थे।
सफ़र के दौरान ओमना की दोस्ती
ओमना ने साथ बैठे बच्चों से दोस्ती कर ली थी। सुनील और एन अपने दादी के घर कोजीकोड (जो केरल में है) जा रहे थे। सुनील ने ओमना को कहानी की कुछ किताबें पढ़ने को दी। बाद में जब ओमना हाथ-मुँह धोने बाथरूम गई तो पानी ख़त्म हो गया था। किसी ने कहा कि अब पानी उसे अगले स्टेशन पर ही भरा मिलेगा।
प्लेटफार्म पर शोरगुल
स्टेशन पर खाने-पीने वाली चींजों की ब्रिकी की आवाज़ सुनाई देती रहती है। स्टेशन पर हमें कुली जो बोझा ढ़ोने का काम करते है वे दिखाई देते हैं। प्लेटफ़ार्म पर सफाई कर्मचारी पोछा लगाते दिखाई देते हैं। कुछ पुलिस गार्ड भी बंदूक लिए सुरक्षा करते दिखाई देते है।
टिकट-घर और पूछ-ताच आफ़िस में कुछ कर्मचारी बैठ कर ट्रेनों के आने की ख़बर यात्रियों को देते रहते हैं। एक रेलवे-गार्ड हरी और लाल झंडी दिखा कर गाड़ी को चलने और रुकने के संकेत देता है। टिकट-चेकर यात्रियों की टिकट और सही सीट की जांज करता है। यदि कोई यात्री बिना टिकट के यात्रा करता है तो उसे भारी चलान रसीद देता है। ट्रेन ड्राइवर अपने केबिन में बैठ कर निर्देशों के अनुसार ट्रेन को चलाता रहता है।