एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 26
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 26 फ़ौजी वहीदा (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 26) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी में सभी प्रश्नों के उत्तर पीडीएफ और विडियो के साथ सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। चौथी कक्षा ईवीएस के पाठ 26 को विस्तार से समझाने के लिए विडियो व्याख्या दी गई है ताकि विद्यार्थी पाठ को आसानी से समझ सकें।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 26
पूरी परेड की कमान
प्रस्तुत पाठ में लेफ्टीनेंट कमांडर वहीदा जो भारतीय नौसेना में डॉक्टर हैं, उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातों को बताया गया है। वहीदा नौसेना के समुंद्री जहाज़ पर काम करने वाली गिनी-चुनी महिलाओं में से एक हैं। वहीदा पहली महिला हैं जिन्होनें एक पूरी परेड की कमान सँभाली थी। किसी भी सेना में यह बहुत बड़ी बात मानी जाती है।
मुश्किलों का सामना
वहीदा जम्मू-कश्मीर के राजौरी ज़िले के थान्नामंडी नाम के बहुत छोटे से गाँव की रहने वाली थी। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की थी। उनके गाँव की बहुत कम लडकियाँ स्कूल पढ़ने आती थी। वे लडकियाँ आगे की पढ़ाई के बारे में कुछ नहीं सोचती थी।
वहीदा हमेशा आगे बढ़ना और कुछ बनना चाहती थी। दसवीं की पढ़ाई पूरी करना उस समय इनके इलाके में बड़ी बात थी। इसके कारण उसके मम्मी-पापा को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि पूरे परिवार को गाँव भी छोड़ना पड़ा। तब उन्हें नानी के घर राजौरी में रहना पड़ा और बारहवीं भी उन्होंने वहीं से की थी।
कुछ अलग करने की चाह
बचपन से ही वहीदा कुछ अलग करना चाहती थी। उन्हें मोटर-साईकिल चलाने का बहुत शौक था। वहीदा तीन बहनें हैं। उनके पिता उन सब को डॉक्टर, वकील, पुलिस और अध्यापक बनाना चाहते थे। वहीदा नौसेना में डॉक्टर बनी और एक बहन जम्मू पुलिस में है।
डॉक्टर बनने के लिए वहीदा ने जम्मू मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। वहाँ पर पाँच साल की पढ़ाई के बाद एम.बी.बी.एस. की परीक्षा पास की। डॉक्टर बनने के बाद सेना में भर्ती होने के लिए एक इंटरव्यू दिया और वहीदा को चुन लिया गया। वहीदा की छह महीने तक ट्रेनिग चली।
पनडुब्बी में जाने की इच्छा
वहीदा को घूमने का बहुत शौक था। वह पहाड़ वाली जगह पैदा हुई। उसका मन दूर-दूर तक जाने का करता था। जब उन्हें यह मौका मिला तो उसने खुद ही आगे बढ़ कर अपना नाम दिया। आज वह नौसेना में काम कर रही हैं। उन्हें बहुत अच्छा लगता है। वह तो पनडुब्बी में भी जाने की इच्छा रखती है।
वहीदा कहती है अभी तो महिलाओं को पनडुब्बी में जाने नहीं दिया जाता लेकिन जब भी मौका मिलेगा तो वह जरुर जाएँगी। वहीदा भारतीय नौसेना में डॉक्टर के पद पर हैं। वह केवल मरीजों को दवाई नहीं देती दरअसल वह मेडिकल अधिकारी है। जब जहाज़ तीन-चार महीने के लिए समुंद्र में जाता है। वहीदा की जिम्मेदारी होती है कि सब की तबीयत ठीक रहे।
जहाज़ पर मौजूद सभी अधिकारीयों और नाविकों का चेकअप करती हैं। इसके आलावा यह भी देखना होता है कि जहाज़ पर सफाई रहे। कहीं गंदगी न फैले और चूहे न आएं। जिससे बीमारी फैलने का डर बना रहता है। इसके आलावा मेडिकल इमरजेंसी में क्या करना है। इन सब की तैयारी करवाती हैं।
जहाज़ पर प्राथमिक चिकित्सा
नौसेना के हर जहाज़ पर प्राथमिक चिकित्सा दी जाती है। जहाज़ पर एक डॉक्टर और दो-तीन सहायक होते हैं। ज़रूरी दवाइयाँ और कुछ मशीनें भी होती हैं। ये सब एक छोटे-से कमरे में रखी रहती हैं। वहीदा ने जब परेड की टुकड़ी का नेत्रत्व किया तो वह ऐसा करने वाली पहली महिला बनी। तीन साल तक उसकी परेड देखने के बाद वहीदा के अधिकारीयों ने उसे परेड के लिए चुना था।
जब भी वह परेड करवाती थी उनके पीछे चार टुकड़ियाँ चलती थी। पूरी परेड में 36 निर्देश देने होते हैं। निर्देश इतनी ज़ोर से देने होते हैं कि सबसे पीछे वाली टुकड़ी के लोग भी सुन पाएँ। देखने वाले तक भी आवाज़ सुनें जो मैदान के दूसरी तरफ़ बैठते हैं। इस परेड के लिए वहीदा ने एक महीने तक सुबह-शाम अभ्यास किया था। परेड की आदत तो उन्हें स्कूल टाइम से ही थी।
सात रंग दिखाने वाला
प्रिज़्म नाम वहीदा को उसके पिता ने दिया था। प्रिज़्म ऐसा काँच होता है जो सूर्य के प्रकाश को उसके सात रंगों में दिखता है। वहीदा के पिता चाहते थे कि मैं भी इसी तरह अपनी पहचान बनाऊँ इसलिए उन्होंने बचपन से ही उसे यह नाम दिया था।
नौसेना के पद
सेना की तरह डॉक्टर, वकील, पुलिस और कमांडों को वर्दी पहननी होती है। नौसेना में रसोइयाँ, सफाईकर्मी, सब-जूनियर, अर्दली और नर्स का पद होता है।