एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 15
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 15 मंडी से घर तक (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 15) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी मीडियम सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। कक्षा 4 ईवीएस पाठ 15 के प्रश्न उत्तर हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी में भी दिए गए हैं। छात्र अपनी सुविधानुसार माध्यम चुनकर पठन का लाभ उठाएँ।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 15
वैशाली के घर की दिनचर्या
प्रस्तुत पाठ में वैशाली और उसके परिवार के बारे में बताया गया है। उनकी पूरे दिन की दिनचर्या क्या रहती है और उसका घर-परिवार कैसे चलता है। वैशाली के परिवार में अम्मा, बाबूजी और उसके दो भाई है। वैशाली के बाबूजी सब्जी बेचने का काम करते हैं। जिसके लिए उन सभी को सुबह के तीन बजे उठाना पड़ता है।
बाबूजी, अम्मा, और उसके भाई पिछले दिन की बची हुई सब्जियाँ बोरियों और टोकरियों में से निकालते हैं। ताकि उनमें ताज़ी सब्जियाँ मंडी से लाई जा सके। इससे उन्हें बची हुई सब्जी का भी पता चल जाता है। कभी-कभी वैशाली का छोटा भाई भी इस काम में मदद करता है। सब काम को निपटाकर चाय पीते हैं। कुछ देर बाद बाबूजी, भैया और मोहल्ले के चाचू के साथ टेम्पो में सब्जी लेने मंडी जाते हैं।
वैशाली की सुबह
बाबूजी के जाने के बाद वैशाली, अम्मा और छोटू पिछले दिन की बची सब्जियों को बोरी पर रख कर पानी छिड़कते हैं। सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक बाबूजी मंडी से ताजी सब्जियों के टोकरे और बोरी लेकर घर पहुँच जाते हैं। उस समय ऐसा लगता है कि मानों घर में ही सब्जी मंडी लगी हो। हर प्रकार की सब्जी चारों तरफ़ दिखाई देने लगती हैं। घर के लोग मिलकर इन सब्जियों को छाँटते हैं।
जो सब्जियाँ बेचने के लिए तैयार नहीं होती उन्हें अलग रख देते हैं। ये काम जल्दी ख़त्म करने होते है क्योंकि बाबूजी को सब्जी बेचने बाज़ार जाना होता है। सात बजे तक सब्जियों को ठेले पर लगाकर बाबूजी और भैया बाज़ार चले जाते हैं। वैशाली के बाबूजी कहते हैं कि अगर बाज़ार जाने में देर हुई तो ग्राहक दूसरे सब्जी वालों से सब्जियाँ खरीद लेते हैं। बाबूजी के जाने के बाद वैशाली भी जल्दी-जल्दी तैयार होकर 7 बजकर 30 मिनट स्कूल पहुँच जाती है।
छोटू की दिनचर्या
छोटू का स्कूल दोपहर का है। वह थोड़ा आराम करके बाबूजी और भैया के लिए नाश्ता लेकर बाज़ार पहुँच जाता है। थोड़ी देर ठेले पर रहता है। फिर दोपहर में स्कूल चला जाता है। कभी-कभी शाम को स्कूल के बाद भी वह बाबूजी की मदद के लिए उनके पास जाता है। बाबूजी पिछले दिन की बची हुई सब्जियों को पहले बेचने की कोशिश करते हैं। जिससे वे सब्जी ख़राब न हो और न ही बाबूजी का नुकसान हो।
जैसे-जैसे पिछले दिन की सब्जियाँ बिकती जाती हैं, भैया बोरियों में से ताजी सब्जियाँ निकालकर ठेले पर लगाते जाते हैं। साथ ही सब्जी पर पानी छिड़कते रहते हैं जिससे सब्जियाँ सूखे नहीं और ताजी बनी रहे। गर्मियों में सब्जियाँ जल्दी सूखती हैं जिस कारण वे ख़राब हो जाती है।
घर लौटने का समय
बाबूजी और भैया रात दस बजे तक सब्जियाँ बेचकर घर लौटते हैं। तब तक वैशाली और छोटू सो जाते हैं। घर के बाकी लोग 11 से 11:30 तक ही सो जाते हैं। केवल चार घंटे बाद ही सुबह 3 बजे वैशाली के परिवार का नया दिन शुरू हो जाता है। हम सभी के घरों में सब्जी और फलों का इस्तेमाल होता है।
परंतु कुछ सब्जी और फलों को हम अधिक समय तक नहीं रख सकते, खास कर गर्मियों के दिनों में क्योंकि वे बहुत जल्दी ख़राब हो जाती हैं। जैसे- मशरूम, टमाटर, अंगूर और केला आदि हैं। इसी तरह कुछ सब्जियों और फलों को हम कुछ समय के लिए अपने घर में रख सकते हैं। जैसे – आलू, प्याज, खीरा, अदरक, अनानास और नाशपाती हैं।