एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 14
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 14 बसवा का खेत (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 14) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी मीडियम तथा अंग्रेजी में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। कक्षा 4 ईवीएस के पाठ 14 के मुख्य बिन्दुओं को समझाते हुए पूरे पाठ को पढ़कर समझाने का विडियो भी यहाँ दिया गया है ताकि विद्यार्थियों को कोई असुविधा न हो।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 14
प्याज की फ़सल
प्रस्तुत पाठ में बसवा जो कर्नाटक के बेलवनिका गाँव का रहने वाला है। जिसके अप्पा एक किसान हैं। वह अपने खेत में प्याज की फ़सल उगाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें इस फ़सल को उगाने के लिए क्या-क्या काम करने पड़ते है। इस पाठ में यही सब बताया गया है।
फ़सल का सही मौसम
बसवा के अप्पा जुलाई के महीने में प्याज की फ़सल उगाने के लिए सबसे पहले खूँटी (खुरपी) की मदद से पहले मिट्टी को नरम करते है। अप्पा खेत में प्याज के बीज बोने के लिए कूरिंग (हल) (जो बैल खीचते है) उसका इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग बैलों की जगह यह काम ट्रेक्टर से करते हैं जिसे यह काम आसानी और जल्दी हो जाता है।
यह देख कर बसवा का मन भी ऐसे हल चलाने को करता है लेकिन वह अभी इस काम के लिए बहुत छोटा है। इसलिए उसके अप्पा इस काम में उसकी मदद नहीं लेते हैं। प्याज के बीज बोते हुए इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि बीज ज्यादा न गिर जाएँ। थोड़े-थोड़े बीज गिराना बड़ी मुश्किल का काम है।
पौधों का निकलना
बीज बोने के बीस दिन बाद प्याज के छोटे-छोटे पौधे निकल आए थे। साथ ही खरपतवार के पौधे भी निकल आए थे। जिन्हें हम अवांछित पौधे कहते हैं। ये पौधे बिना बोए अपने आप ही उग आते हैं। बसवा के अप्पा ने बताया कि इसे निकालना बहुत ज़रूरी है। नहीं तो सारा खाद-पानी खरपतवार ही ले लेगी और प्याज की फ़सल कम हो जाएगी। इसलिए बसवा भी खतपतवार निकालने में अप्पा, अम्मा और काका की मदद के लिए उनके साथ लग गया।
प्याज निकालने का समय
बसवा हर रोज पौधों को बढ़ता देख बहुत खुश होता था। कुछ ही दिनों में पौधे बसवा के घुटनों तक ऊँचे-ऊँचे होने लगे और पत्ते भी पीले होकर सूखने लगे थे। एक-दो दिन में प्याज़ निकालने के लिए बिलकुल तैयार हो गई थी। प्याज़ की फ़सल में यह काम सबसे ज़रूरी है। क्योंकि समय से प्याज़ नहीं निकाले तो सारे प्याज़ ज़मीन के नीचे ही सड़ जाते हैं और सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
फ़सल से ख़ुशी का माहौल
प्याज़ की फ़सल बहुत अच्छी होने से बसवा के घर में सभी खुश थे। प्याज़ भी अब की बार मोटे-मोटे हुए थे। बसवा की अम्मा और छोटी माँ ने इलिगे (छोटी गंडासी) की मदद से प्याज़ को पौधों से अलग कर दिया था। अप्पा और काका ने मिलकर प्याज़ को बड़ी-बड़ी बोरियों में भर कर बाँध दिया। बेचने के लिए ट्रक में भर कर मंडी में ले गए थे।