एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 11
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 11 फुलवारी (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 11) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी मीडियम प्रारूप में सीबीएसई और राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 4 ईवीएस के पाठ 11 को सरल तथा सरस भाषा में विडियो के माध्यम से समझाकर दिया गया है। इससे पाठ को समझने में बहुत आसानी होती है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 11
फूलों की घाटी
प्रस्तुत पाठ में कितने प्रकार के फूल हमारे आस-पास और फूलों के प्रकार के बारे में बताया गया है। भारत के उतराखंड राज्य में पहाड़ों के बीच में एक ऐसी ही जगह है। जहाँ फूल-ही-फूल होते हैं। इस जगह को “फूलों की घाटी“ के नाम से जाना जाता है।
यहाँ पर झाड़ियों में लगे लाल फूल नजर आते हैं। तो कहीं पत्थरों के बीच सफ़ेद फूल झाँकते हुए दिखते हैं। यहाँ पीले-पीले फूलों के लंबे-चौड़े कालीन जैसे मैदान भी हैं। और कहीं-कहीं अचानक घास के बीच छोटे-छोटे तारों जैसे नीले फूल दिखाई देते हैं। इस घाटी में इतने सारे फूल साल में कुछ ही हफ़्तों के लिए खिलते है।
फूलों की प्रजातियाँ
ज्यादातर फूलों को हम अपने बाग और बगींचों में ही देख पाते हैं। फूलों की सेकड़ों प्रकार की प्रजातियाँ होती हैं। कुछ फूल तो साल में एक या दो बार ही खिलते है। कुछ फूल साल के बारह महीने खिलते हैं। फूलों से लदे बगींचों को हम फुलवारी भी कहते है। बिहार के एक ज़िले का नाम तो “मधुबनी” है। ‘मधुबनी’ एक पुरानी चित्रकला है।
जिसमें इंसान, जानवर, पेड़, फूल, पक्षी, मछलियाँ और अन्य कई जीव-जंतु साथ में बनाए जाते हैं। लोग त्यौहार और खुशी के मौकों पर घर की दीवारों और आँगन में इस तरह की चित्रकारी का उपयोग करते है। यह चित्र पिसे हुए चावल के घोल में रंग मिलाकर बनाए जाते हैं। ये रंग भी खास तरह के होते हैं।
झाड़ी वाले फूल
फूलों की भी अपनी एक अलग दुनियाँ होती हैं। बहुत से फूल पौधो पर खिलते हैं। जैसे गुडहल, सूरजमुखी और गेंदे आदि होते हैं। बहुत से फूल झाड़ियों पर खिलते है। इन झाड़ियों के फूलों में बहुत से काटे भी होते हैं। जैसे सफ़ेद गुलाब, लाल गुलाब पीला गुलाब, बोगनवेलिया और कनेर के फूल आदि होते हैं। कुछ फूल बेल पर होते है। जैसे मोगरा, अपराजिता, मालती और ब्रहाकमल आदि होते हैं।
कुछ फूलों को हम पानी में खिलते देखते हैं। जैसे- कमल, कुमुद आदि। रात को खिलने वाले फूलों में ड्रैगन फ्रूट फ्लावर, इवनिंग प्राइम रोज और नाइटब्लूम, वाटर लिली आदि हैं। निला कुरिंजी फूल तो साल में एक बार ही खिलता हैं। जूही और चमेली के फूल की खुशबू को आँख बंद कर पहचाना जा सकता हैं। फर्न एक ऐसा पौधा है जिस पर फूल नहीं आते हैं।
फूलों की सुरक्षा
फूलों और पौधो की सुरक्षा के लिए लोग अपने बगींचों में तख्ती पर लिख देते हैं कि “फूल तोड़ना मना है”। फिर भी कुछ लोग इसकी परवाह किए बगैर फूलों और पौधों को तोड़ लेते है। जोकि एक सामाजिक अपराध है। हमें अपने जीवन की सुरक्षा के साथ पेड़, पौधों और फूलों की सुरक्षा का ध्यान भी जरुर रखना चाहिए।
फूलों का सही उपयोग
फूलों का उपयोग हम केवल पूजा-पाठ और घर सजाने के लिए नहीं करते है। इनका उपयोग बहुत सी दवाईयों बनाने, इत्र, गुलाब जल, केवड़ा बनाने, कपड़ों को रंगने वाले रंग बनाने और खाने में भी उपयोग किए जाते हैं। कचनार के फूलों की सब्जी बनाई जाती है।
केरल में केले के फूलों की सब्जी खाई जाती है। महाराष्ट्र में सहजन के फूलों के पकोड़े बहुत पसंद किये जाते हैं। गुलाब से बना गुलाब जल दवाई, मिठाइयों और लस्सी में डाल कर पिया जाता है। गुलदावरी और जिनिया के फूलों से रंग बनाए जाते हैं। उन रंगों से कपड़े भी रंगे जाते हैं। एक इत्र की शीशी को बनाने में बहुत सारे फूलों का उपयोग किया जाता है।
ख़ास त्यौहार और अवसर पर फूलों से डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं। आज फूलों का बहुत बड़ा कारोबार बन गया है जिससें लाखों लोग अपनी जीविका चलाते हैं। ये लोग फूल माला, गुलद्स्तों, गाड़ी-सजावट, फूलों की चादर बनाने आदि के काम करते हैं। बच्चे फूलों को सुखा कर उनसे सुंदर कार्ड भी बनाते हैं।