एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 8 चतुर गीदड़
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 8 चतुर गीदड़ और रिमझिम अध्याय 8 बंदर बाँट के प्रश्न उत्तर सत्र 2024-25 के लिए सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए निशुल्क यहाँ से डाउनलोड करें। कक्षा 3 हिंदी वीणा पाठ 8 चतुर गीदड़ और रिमझिम के इस पाठ में हम देखते हैं कि किस तरह से बंदर दोनों बिल्लियों को बेवकूफ बनाता है और पूरा लाभ वह ले लेता है। इस कहानी से हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि आपस में लड़ने से सदैव हानि ही होती है। पाठ 8 पर आधारित अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर भी यहाँ दिए गए हैं।
कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 8 चतुर गीदड़
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 8 चतुर गीदड़
कक्षा ३ हिंदी वीणा अध्याय 8 चतुर गीदड़
(पहला दृश्य)
(स्थान – तालाब का किनारा)
मगरमच्छ – (तालाब की ओर देखते हुए, अपने आप से) तालाब की तो सारी मछलियाँ तो मैं धीरे-धीरे चट कर गया। अब क्या खाऊँ? कई दिनों से खाने को कुछ भी नहीं मिला मुझे बहुत भूख लगी है। आज वह गीदड़ भी तालाब पर पानी पीने नहीं आया।
(कछुए का प्रवेश)
कछुआ – कहो भाई मगरमच्छ, क्या हल है? सब ठीक तो है? इतने उदास क्यों हो?
मगरमच्छ – क्या बताऊँ मित्र। भूख के मारे मेरे प्राण निकल रहे हैं।
कछुआ – क्यों, क्या आज खाने के लिए मछलियाँ नहीं मिलीं?
मगरमच्छ – मछलियाँ तो कब की समाप्त हो चुकी। सोचा था कि गीदड़ मिलता तो आज का काम चलता। पर वह तो ऐसा चतुर है कि पकड़ में ही नहीं आता।
कछुआ – हाँ, गीदड़ को पकड़ना तो बहुत कठिन है।
मगरमच्छ – मित्र! कोई ऐसा उपाय करो कि वह पकड़ में आ जाए। उसे खाकर आज में अपनी भूख मीठा लूँगा। मैं तुम्हारा बहुत उपकार मानूँगा।
कछुआ – अच्छा! तुम कहते हो तो चला जाता हूँ। किसी तरह गीदड़ को इधर लाने का प्रयत्न करता हूँ। (कुछ सोचकर) लेकिन इसके पहले तुम एक काम करो।
(कान में कुछ कहता है)
मगरमच्छ – ठीक है, ठीक है। मैं ऐसा ही करूँगा।
(दूसरा दृश्य)
(एक ओर मगरमच्छ साँस रोके मर हुआ सा पड़ा है और कछुआ पास खड़ा है।)
कछुआ – (दूर से गीदड़ को आते देखकर) हाय! अब मैं क्या करूँ!
मेरे प्यारे मित्र को न जाने क्या हो गया! अचानक उसके प्राण निकल गए। अब तो मैं बिलकुल अकेला रह गया।
(गीदड़ का प्रवेश)
गीदड़ – क्या है भाई कछुए? क्यों रो रहे हो?
कछुआ – मेरा प्यारा मित्र मगरमच्छ स्वर्ग सिधार गया। अब दुनिया में मेरा कोई नहीं रहा।
गीदड़ – क्या कहा? मगरमच्छ मर गया? (अपने आप से) अब तो मैं निश्चित होकर तालाब का पानी पी सकता हूँ। उसके डर से मैं कई बार प्यासा ही रह जाता था।
कछुआ – क्या कहा, क्या कहा?
गीदड़ – नहीं, कुछ नहीं, कुछ नहीं, यह तो बड़े दुख की बात है। मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?
कछुआ – आओ, उस पर कुछ सूखे पत्ते डालकर उसे ढाँप दें। देखो, मर पड़ा है।
गीदड़ – (डरते-डरते कुछ पास जाकर, धीमे स्वर से) अरे, यह तो बिलकुल शांत है। नहीं, नहीं (ऊँचे स्वर में) यह तो साँस ले रहा है। भाई कछुए! क्या यह सचमुच मर गया है?
कछुआ – हाँ हाँ! देखते नहीं, यह मर पड़ा है।
गीदड़ – पर भाई, मैने तो सुना है कि मर जाने पर मगरमच्छ की पूँछ हिलती रहती है। लगता है, अभी यह पूरी तरह नहीं मरा।
कछुआ – नहीं भाई, यह बिलकुल मर गया है।
(तभी मगरमच्छ अपनी पूँछ हिलाने लगता है।)
गीदड़ – (भागकर दूर जाते हुए) ओह! अपने मित्र को देखो, अपने मित्र को देखो।
कछुआ – (ऊँचे स्वर में) खोल दो आँखें। भाग गया गीदड़। तुम बिलकुल मुर्ख हो। तूम उस चतुर गीदड़ की चाल में आ ही गए। अब उसे पकड़ता कठिन है।
कक्षा 3 हिंदी रिमझिम अध्याय 8: कहानी (नाटक) का सारांश
यहाँ पर यह नाटक के रूप में प्रस्तुत किया गया है यह एक कहानी भी हैI बच्चों को बन्दर और बिल्लियों के किरदार निभाने हैंI इसमें सात से आठ वर्ष का लड़का बन्दर का अभिनय करता है और पांच से छह साल की दो लड़कियां बिल्लियों के अभिनय को करती हैंI बिल्लियों में एक सफ़ेद रंग की है जबकि दूसरी काले रंग कीI नाटक में दोनों बिल्लियाँ भूखी होती हैं दोनों खाने की खोज में निकलती हैंI
एक जगह उन्हें एक रोटी मिलती जिसको लेकर दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो जाता हैI उसी समय वहां बन्दर का प्रवेश होता है बन्दर दोनों को झगड़ते हुए देखकर कहता है क्या बात है क्यों दोनों झगड़ा कर रही हैंI दोनों से रोटी छीनकर कर कहता है कि इसका फैसला मैं करूंगाI
नाटक के दूसरे दृश्य में बन्दर दोनों बिल्लियों को अपने साथ कचहरी में ले आता है और स्वयं जज बन जाता हैI दोनों बिल्लियों की बाते बारी-बारी से सुनकर कहता है कि रोटी दोनों में बराबर बांटी जायेगीI बन्दर ने मेज के नीचे से तराजू निकाला और रोटी को दो हिस्सों में तोड़कर दोनों पलड़ों पर रखता हैI तराजू का एक पलड़ा नीचे और एक पलड़ा ऊपर हो जाता हैI
बन्दर भारी पलड़े में से कुछ हिस्सा निकालता है और खा जाता हैI फिर दूसरी तरफ का पलड़ा भारी हो जाता है फिर से एक टुकड़ा खा लेता हैI इस तरह से बन्दर सारी रोटी चट कर जाता है और बिल्लियाँ हाथ मालती रह जाती हैंI आखिर में बिल्लियों के मुख से यही निकला: आपस में झगड़ा कर बैठीं, बुद्धि अपनी खोटी। अब पछताने से क्या होता, बंदर हड़पा रोटी।
दोनों बिल्लियों के बीच झगड़े की जड़ क्या थी?
उत्तर:
दोनों बिल्लियों के बीच झगड़े की जड़ एक रोटी थीI
उनके झगड़े का हल कैसे निकाला गया?
उत्तर:
उनके झगड़े का हल बन्दर ने उनकी सारी रोटी खाकर निकाल दियाI
अगर बंदर बीच में नहीं आता तो तुम्हारी राय में रोटी किस बिल्ली को मिलनी चाहिए थी?
उत्तर:
रोटी दोनों बिल्लियों को आधी-आधी मिलनी चाहिए थीI
कक्षा 3 हिन्दी अध्याय 8 में मुख्य किरदार किसका है और उसका चरित्र कैसा है?
नाटक में मुख्य पात्र एक बन्दर होता है जो इतना शातिर होता है कि रोटी के लिए झगड़ने वाली दो बिल्लियों को बेवकूफ बनाकर पूरी रोटी खा जाता हैI
हिन्दी कक्षा 3 के अध्याय 8 छात्रों के लिए कितना रुचिकर है?
नाटक अत्यंत रुचिकर है बन्दर का अभिनय सभी को रोमांचित करता हैI
कक्षा 3 हिन्दी का अध्याय 8 का आशय क्या है?
इस नाटक से हमें सबक मिलता है कि आपसी मतभेद में बाहरी व्यक्ति को स्थान नहीं देना चाहिए इससे अपना ही नुकसान होता हैI