एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 7
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 7 बिन बोले बात (कक्षा 3 पर्यावरण पाठ 7) के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। कक्षा 3 पर्यावरण अध्ययन – ईवीएस पाठ 7 के उत्तर छात्र विडियो के माध्यम से भी समझ सकते हैं, जहाँ विस्तार से पूरे पाठ को समझाया गया है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 7
कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 7 के लिए एनसीईआरटी समाधान
बिना बोली का नाटक
प्रस्तुत पाठ में बच्चों द्वारा स्कूल में मूक नाटक करने का खेल, खेला जा रहा हैं। इस खेल में सब को बिना बोले अपनी बात दूसरों तक पहुँचानी होती है। इसमें बच्चों को अपने शरीर के अलग-अलग अंगों से ही अपनी बात कहनी होती है। वे अपनी बात कहने के लिए आँखों, हाथों और चेहरे के हाव-भाव से अपनी बात समझा सकता है।
नाटक में बच्चों का प्रदर्शन
अध्यापक ने बच्चों को सात-सात के गुटों में बाँट दिया। अध्यापक ने सभी गुटों को एक-एक कागज़ की पर्ची दी। हर पर्ची पर हर बच्चे के लिए कुछ लिखा था। सभी गुटों को पर्ची के अनुसार मूक नाटक तैयार करना था। जब सब का मूक-नाटक तैयार हो गया तब सभी गुट एक-एक करके आए और सबके सामने अपना मूक नाटक का प्रदर्शन किया।
सांकेतिक भाषा की आवश्यकता
वास्तव में यह नाटक उन लोगों पर आधारित था जो सुन और बोल नहीं सकते फिर भी वे अपनी बात दूसरों को हाथ के इशारे और मुँह के हाव-भाव से बताते हैं। मूक भाषा सीखने के लिए ये बच्चें मूक भाषा सिखाने वाले स्कूल जाते हैं, ताकि वे भी पढ़-लिख सकें।
मूक भाषा इन बच्चों में आत्मविशवास पैदा करती है, जिससे औरों की तरह वे भी कामयाबी के शिखर पर जा सकें। मूक भाषा में हाथों द्वारा अनेकों मुद्राएँ कर सरलता से अपनी बात को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं।
कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 7 के मुख्य प्रश्न उत्तर
क्या बिना बोले नाटक करने में मुश्किल आई?
बिना तैयारी के सांकेतिक भाषा में बात करना आसान नहीं है। इसके लिए बहुत ज्यादा तैयारी की जरुरत पड़ती है। अगर नाटक के बीच में कोई स्टेप भूल गए तो सामने वाले को समझाना कठिन हो जाता है।
क्या तुमने कभी किसी को इशारों से बातें करते देखा है?
बहुत बार ट्रैफिक पुलिस के सिपाही को हाथों के ईशारे से यातायात को नियंत्रित करते हुए देखा है।
लोगों को इशारों में बात करने की जरूरत कब पड़ती है?
लोगों को ईशारों में बात करने की जरुरत दो कारणों से पड़ती है:
1. अगर आप बोलने और सुनने में सक्षम नहीं हो तो ईशारों में बात करते हैं।
2. अगर आप ऐसी जगह पर हैं जहाँ बोलने की मनाही हो तो ईशारों में बात करनी पड़ती है।