एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 21

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 21 तरह-तरह के परिवार (कक्षा 3 पर्यावरण पाठ 21) के उत्तर हिंदी मीडियम में सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 3 के लिए पर्यावरण अध्ययन के ये समाधान पीडीएफ और विडियो दोनों ही रूपों में उपलब्ध है। विद्यार्थी अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग करें और कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 21 को आसानी से तैयार करें।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 21

बच्चों का खेल

प्रस्त्तुत पाठ में सबसे पहले बच्चों को एक घेरा बनाकर गुट व टोलियों में बँट जाने का खेल खिलाया गया हैं। जो भी बच्चा गुट में शामिल नहीं होता वह खेल से बहार हो जाता है। यह खेल के पूरे होने तक खेल में केवल दो बच्चें रह जाते हैं और वे ही इस खेल के विजेता बनते हैं।

परिवार की जरुरत

यह खेल बच्चों को एक परिवार में रहने का सबक़ देता हैं। जो भी परिवार से अलग होता है, वह अपने आप को हमेशा अकेला और डर को महसूस करता है। सभी के साथ में रहने से ही परिवार की एकता, प्यार और खुशहाली बनी रहती है। परिवार में रहने वाला हर सदस्य अपने आप को सुरक्षित और ताकतवर समझता है। क्योंकि परिवार में सभी एक-दूसरे का ध्यान और ख्याल रखते हैं।

परिवार का हर सदस्य अपनी तकलीफ़ और समस्या को परिवार से साझा कर उससे मुक्ति पा जाता हैं। परिवार के छोटे सदस्य को परिवार की जरूरत सबसे अधिक होती है, क्योंकि स्वयं वह अपना ध्यान नहीं रख सकता न ही वह परिवार के बिना अपने-आप को सुरक्षित महसूस करता है। परिवार के सभी सदस्य छोटे बच्चों के साथ बातें करना, खेलना, और उसे नई-नई चीजों की जानकारी देते रहते हैं।

छोटा परिवार

गुरलीन और नागराजन अपने बच्चों तान्या और समर के साथ परिवार के रूप में रह रहे हैं। अगर ये सब अलग-अलग रहें तो यह एक परिवार नहीं बन सकता। परिवार तभी बनता है, जब सब मिलजुल कर एक साथ रहते हैं। परिवार छोटा या बड़ा हो सकता है, लेकिन सबके साथ रहने से ही यह परिवार कहलता हैं।

सिताम्मा का बड़ा परिवार

सिताम्मा का परिवार एक छोटे शहर गुंटूर में अपने पुश्तैनी मकान में रहता है। उसका परिवार एक बड़ा परिवार है। उसके पिता पांच बहन-भाई हैं। जो अपने माता पिता के साथ रहते हैं। सिताम्मा के एक ताऊ दो चाचा और एक बुआ है। सिताम्मा की एक छोटी बहन गिताम्मा है। कुछ दिनों पहले ही सिताम्मा की ताई की मृत्यु हुई थी इसलिए ताऊ जी की छोटी लड़की सिताम्मा की माँ के पास ही सोती है। सुबह सिताम्मा ही उसे स्कूल के लिए तैयार करती है।

सिताम्मा के बड़े चाचा और चाची अब अलग बरसाती के कमरे में रहते है, क्योंकि उनकी नई-नई शादी हुई है। रात के खाने के पहले सिताम्मा की माँ सब बच्चों को पढ़ाई करवाती है। सब का खाना नीचे रसोई में इकट्ठा बनता है, और सब लोग एक साथ मिलकर खाना खाते हैं। यह एक खुशहाल परिवार हैं, क्योंकि सभी सदस्य मिलजुल कर अपना काम और सुख-दुःख बांटते दिखाई देते हैं।

खुशहाल परिवार

तारा अपनी अम्मा और नाना के साथ चैन्नई में रहती है। तारा की माँ मीनाक्षी, ने शादी नहीं की और तारा को गोद लिया हुआ था। मीनाक्षी सुबह आफिस जाती है और शाम को घर आती है। स्कूल से लौटने के बाद तारा की देखभाल उसके नाना ही करते हैं। वे ही तारा को खाना खिलाते हैं और स्कूल के काम में मदद करते है। तारा नाना के साथ ही खेलती है।

छुट्टियों के दिनों में तीनों दूर घुमने निकल जाते हैं। तीनो खूब घूमने का आनंद लेते हैं। कभी-कभी तारा की मौसी, मौसा और उनके बच्चे भी आ जाते हैं। तब वे सब मिलकर खूब खेलते हैं और गप-शप करते हैं। तारा का परिवार भले छोटा है, पर सब मिलजुल कर रहते हैं। परिवार में एक-दुसरे का ध्यान रखते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं। तभी यह परिवार एकता और खुशहाल जीवन जी रहा हैं।

आदर्श परिवार

सारा और हबीब एक शहर में रहते है। दोनों नौकरी करते हैं। हबीब के अब्बू रिटायर है, जो उन्हीं के साथ रहते हैं। शाम को तीनों साथ में बैठ कर टीवी देखते हैं। टीवी देखने के साथ वे तीनों गप-शप करते रहते हैं, जिससे पूरे दिन की थकान खत्म हो जाती है, और उनका प्यार भी बना रहता है। इसे हम एक आदर्श परिवार कह सकते हैं।

सयुंक्त परिवार

तोताराम अपने पिताजी, चाचाजी और चचेरे भाइयों के साथ मुंबई की एक बस्ती में रहता है। तोता राम अपने भाइयों के साथ मुंबई पढ़ने के लिए आया है। उसके पिताजी और चाचा यहाँ नौकरी करते हैं। घर का सारा काम सब मिलजुल कर करते हैं। तोताराम के चाचा के हाथ का खाना सभी को बहुत पसंद है। उसके पिताजी खरीदारी का सारा काम सँभालते हैं। वे जितना पैसा कमाते हैं, उसका कुछ हिस्सा वे गाँव में तोताराम के दादा को भेजते हैं।

तोताराम की माँ, दादा, दादी, चाची और छोटे भाई-बहन गाँव के घर में रहते हैं। तोताराम छुट्टियों में गाँव जरुर जाता है। उसे अपनी माँ की बहुत याद आती है। इसलिए वह उन्हें बहुत सारी और लंबी चिट्ठी लिखता है। तोता राम का आधा परिवार शहर और आधा गाँव में रहता है। फिर भी सारा परिवार एक दुसरे की कितनी फ़िक्र करते रहते हैं।

इसी प्रेम के चलते शहर में भी तोताराम का परिवार मिलजुल कर रह रहा है, और गाँव में भी मिलजुल कर रहता है। तोताराम के पिता गाँव में रहने वाले परिवार को घर खर्च के पैसे भिजवाते रहते हैं, और चिठ्ठी से उनका हालचाल पूछते रहते हैं। दूर रह कर भी तोताराम के परिवार का प्रेम एक-दूसरे के लिए कभी कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ गया।

एक बिखरा हुआ परिवार

कृष्णा और कावेरी अपने पिता के साथ रहती हैं। तीनों ही सुबह तैयार होकर घर से इकट्ठा निकलते हैं। सबसे पहले कावेरी को स्कूल में छोड़ने के बाद कृष्णा कॉलेज जाता है, पिताजी अपनी दुकान पर दिन भर के लिए चले जाते है। दोपहर में कावेरी स्कूल से लौटकर घर का ताला खोलती हैं और अपने भाई कृष्णा का इंतजार करती है। कॉलेज से आकर कृष्णा खाना गर्म करता है और वे दोनों मिलकर खाना खाते हैं।

स्कूल का काम करने के बाद कावेरी बाहर खेलती है, कभी-कभी वह भाई कृष्णा के साथ कैरम भी खेलती है और देलिविजन भी देखती है। पिताजी जब घर आ जाते हैं, तब तीनों मिलकर खाना बनाते हैं, और खाते हैं। छुट्टियों में कावेरी अपनी माँ के पास रहने जाती है। कृष्णा भी कुछ दिनों के लिए माँ के पास रहता हैं, पर उसे अपने घर में ही रहना पसंद है क्योंकि उसकी सारी चींजें और पिताजी वहाँ घर पर है।

परिवार में माँ का महत्त्व

कृष्णा की माँ के अलग रहने से कृष्णा का परिवार का प्यार बँट गया है, दोनों बच्चों को माँ और पिताजी का प्यार एक साथ नहीं मिल पा रहा है। इस परिवार को हम बिखरा हुआ परिवार कह सकते हैं। कावेरी के स्कूल आने पर उसकी सारी जिम्मेदारी कृष्णा पर ही है। जो खुद अभी कॉलेज में पढ़ रहा हैं, घर के बिखर जाने के कारण कृष्णा की घर के कामों में भागीदारी बढ़ गई हैं।

वह कावेरी और पिताजी की मदद तो हर काम में कर सकता है, पर कृष्णा माँ की कमी को पूरा नहीं कर सकता। माँ परिवार का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य होती है। जिसके बिना कोई भी परिवार सम्पूर्ण परिवार नहीं कहलाता है। माँ बच्चों की छोटी-से-छोटी बात को सुनती और समझती है। बच्चों का लगाव भी सबसे ज्यादा माँ से ही होता हैं।

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