एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 17

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 17 चिट्ठी आई है (कक्षा 3 पर्यावरण पाठ 17) के प्रश्नों के हल हिंदी माध्यम में सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। कक्षा 3 के विद्यार्थियों को पर्यावरण अध्ययन के पाठ 17 को समझने में यदि कोई परेशानी हो तो वे विडियो समाधान का प्रयोग करके आसानी से समझ सकते हैं।

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चिट्ठी का सफ़र

प्रस्तुत पाठ में चिट्ठी के सफ़र के बारे में बताया गया है। एक चिट्ठी जो अगरतला से रीना ने अहमद को लिखी थी। अहमद दिल्ली के मालवीय नगर में रहता है। रीना ने चिट्ठी लिखकर उसे पत्र-पेटी में डाल दिया जहाँ से चिट्ठी का सफ़र शुरू होकर अहमद के घर दिल्ली में ख़त्म होता है।

सफ़र के पड़ाव

सबसे पहले डाकिए ने चिट्ठी को पत्र-पेटी से निकाला और अपने बड़े से थैले में डाला। चिट्ठी डाकिए की साइकिल पर सवार होकर डाकघर पहुँची। थैले से निकाल कर चिट्ठी पर अगरतला पोस्ट-ऑफिस का ठप्पा लगाया। फिर से चिट्ठी दूसरे बड़े थैले में अन्य चिट्ठियों के साथ डाकघर की लाल गाड़ी में सवार होकर रेलवे स्टेशन पहुँची।

वहाँ से दिल्ली जाने वाली गाड़ी में चिट्ठी को सवार करवा दिया। पांच दिन के लंबे सफ़र के बाद दिल्ली के डाकघर में चिट्ठी को लाया गया। डाकघर के पत्ते अनुसार फिर चिट्ठियों की छँटाई हुई और फिर से एक ठप्पा लगा दिया। इसके बाद डाकिए ने अपने थैले में चिट्ठी को रख कर उसे अहमद के घर मालवीय नगर पहुँचा दिया।

डाकघर और उसके कार्य

बच्चों क्या आप जानते हो डाकघर में क्या क्या काम होते हैं? डाकघर से चिट्ठियों के आलावा हम रुपया भी भिजवा सकते हैं। यहाँ पर देश-विदेश में पार्सल भेजने का काम भी होता हैं। ये सभी पार्सलों की कीमत पार्सल के वज़न के अनुसार ही निर्धारित होती है। पोस्ट कार्ड के आलावा लिफाफा चिट्ठी, टेलीग्राम और अंतराष्ट्रीय पत्र भी हम यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।

संदेश पहुँचाने के तरीके

चिट्ठी के द्वारा हम दूर बैठे दोस्तों, रिश्तेदारों और संगे-सम्बंधियों को संदेश पहुँचाते हैं। परंतु आज के दौर को देखते हुए चिट्ठियाँ भी अब पुरानी लगने लगी हैं। आज हम फ़ोन से अपनी बात कह और सुन सकते हैं। मोबाइल द्वारा हम हजारों मील दूर बैठे लोगों से इंटरनेट के माध्यम से सीधे आमने-सामने वीडियों कॉल कर सकते हैं। आजकल लोग फेशबुक और व्हाट्सएप्प के द्वारा कॉलिंग का उपयोग कर देश-विदेश में घर पर बैठकर बातें कर लेते हैं।

आज के दौर में हम ई-मेल, फैक्स और वाकीटाकी आदि का उपयोग करते हैं। पुराने समय में हम अपना संदेश कबूतर, बाज और घुड़-सवार के द्वारा पहुँचाते थे। जिसमें न जाने कितना समय व्यर्थ होता था। परंतु आज ये सभी काम कुछ पल में संभव हो जाते हैं।

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