एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17 बरसात और मेंढक

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17 बरसात और मेंढक के प्रश्न उत्तर अभ्यास के हल सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 2 हिंदी के पाठ 17 में हम प्रकृति के सभी तत्वों के आपसी सामंजस्य को देखते हैं।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17 के लिए एनसीईआरटी समाधान

बरसात और मेंढक

सोमारू और कमली जंगल घूमने गए। लौटते समय उन्हें ज़ोर की भूख लगी। उन्हें एक गाय दिखी। कमली ने गाय से कहा, “ज़रा-सा दूध दे दो तो भूख मिटे।” गाय बोली, “मेरे खाने को घास ही नहीं है। मुझे हरी-हरी घास खिलाओ तो मैं दूध दूं।” कमली और सोमारू चले घास लाने। पर घास तो सूखकर पीली हो गई थी। घास ने कहा, “मुझे पानी दो तो मैं खाने लायक बनूँ।” कमली और सोमारू चले पानी लाने पर नदी तो सूखी हुई पड़ी थी। नदी ने कहा, “बरसात हो तो मुझे पानी मिले।” कमली और सोमारू चले बादल लाने। पर बादल तो बिन बरसे टँगे थे।

बादल बोले, “मेंढक टर्र-टर्र बोले तब तो हम बरसें।” कमली और सोमारू चले मेंढक के पास। मेंढक बोले, “हम बाहर निकलते हैं तो बच्चे हमें पत्थर मारते हैं।” दोनों बोले, “जो हुआ उसके लिए माफ़ करो। अब से तुम्हें कोई पत्थर नहीं मारेगा।” मेंढक मान गए और टर्र-टर्र करने लगे। टर्र-टर्र सुनकर बादल आए और झूमकर बरसे। नदी में पानी बहने लगा। कमली और सोमारू ने नदी से पानी लाकर घास को दिया। घास हरी हो गई। दोनों घास लेकर गाय के पास गए। गाय ने घास खाकर दूध दिया। कमली और सोमारू ने दूध पीकर अपने घर की राह ली।

जंगल की सैर और भूख की शुरुआत

सोमारू और कमली, दो अच्छे दोस्त, ने एक दिन जंगल में घूमने का निश्चय किया। वे दोनों प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए गहरे जंगल में चले गए। पेड़ों की हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट, और ठंडी हवा के झोंके ने उनके मन को बहुत प्रसन्न किया। लेकिन, जैसे ही सूरज ढलने लगा, उन्हें अपने पेट की गड़गड़ाहट का एहसास हुआ। वे दोनों बहुत भूखे थे और उन्होंने सोचा कि वापस जाने से पहले कुछ खाना चाहिए।

गाय और दूध की मांग

लौटते समय, उनकी नजर एक गाय पर पड़ी। भूख से व्याकुल कमली ने सोचा कि थोड़ा दूध पीकर उनकी भूख शांत हो सकती है। उसने गाय से विनम्रतापूर्वक कुछ दूध देने की अनुरोध किया। लेकिन गाय ने जवाब दिया कि उसके पास खाने के लिए हरी घास नहीं है, और अगर वे उसे हरी घास उपलब्ध करा सकें, तो वह खुशी-खुशी दूध देगी।

घास की खोज और समस्या

सोमारू और कमली तुरंत हरी घास की खोज में निकल पड़े। लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि आस-पास की सारी घास सूखकर पीली हो चुकी थी। जब उन्होंने सूखी घास से बात की, तो घास ने उनसे कहा कि अगर उसे पानी मिल जाए, तो वह फिर से हरी और ताज़ा हो सकती है।

पानी की तलाश और नदी का संदेश

दोस्तों ने तुरंत पानी की तलाश शुरू की और उन्हें एक सूखी नदी मिली। नदी ने उन्हें बताया कि अगर बारिश हो, तो वह फिर से जीवंत हो सकती है। यह सुनकर, कमली और सोमारू ने बारिश लाने के लिए बादलों की खोज शुरू की।

बादलों का आगमन और मेंढक की भूमिका

बादलों तक पहुंचने पर, उन्होंने पाया कि बादल बिना बरसे ही टंगे हुए थे। बादलों ने कहा कि वे तभी बरसेंगे जब मेंढक टर्र-टर्र करेंगे। इसके बाद, सोमारू और कमली मेंढकों के पास गए, जिन्होंने शिकायत की कि जब भी वे बाहर आते हैं, बच्चे उन पर पत्थर फेंकते हैं। दोस्तों ने मेंढकों से माफी मांगी और वादा किया कि आगे से उन्हें कोई परेशान नहीं करेगा।

प्रकृति की शृंखला और सुखद अंत

मेंढकों की माफी स्वीकार करने के बाद, वे खुशी-खुशी टर्र-टर्र करने लगे, जिससे बादल आए और जोर से बरसे। इससे नदी में पानी बहने लगा, और सोमारू और कमली ने नदी से पानी लाकर सूखी घास को सींचा। घास फिर से हरी हो गई, और दोनों ने इसे गाय को खिलाया। गाय ने खुश होकर उन्हें दूध दिया। इस तरह, उन्होंने अपनी भूख मिटाई और संतुष्ट होकर अपने घर की ओर चल दिए। इस पूरी यात्रा में, उन्होंने प्रकृति की आपसी निर्भरता और सहयोग की महत्वपूर्ण सीख प्राप्त की।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17 बरसात और मेंढक
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 17 के प्रश्न उत्तर