एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 1 नीमा की दादी

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 1 नीमा की दादी के प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ दिए गए प्रश्न उत्तरों के माध्यम से विद्यार्थी पूरे पाठ को आसानी से समझकर उसे याद कर सकते हैं।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 1 एनसीईआरटी समाधान

नीमा की दादी

नीमा दोपहर में दो बजे स्कूल से लौटती है। इस समय घर पर सिर्फ़ दादी होती हैं। वे कहीं नहीं आती-जाती हैं। कभी बैठे-बैठे सब्ज़ी काट रही होती हैं। उनके घुटनों में दर्द रहता है। इसलिए कभी वे अपने घुटनों में तेल मल रही होती हैं। उन्हें नीमा का बहुत इंतज़ार होता है। नीमा रोज़ खाना खाते-खाते स्कूल की बातें सुनाती है। दादी भी उससे खूब बातें करती हैं। शाम को नीमा खेलने जाती है। एक दिन नीमा खेलने के लिए जाने लगी तो दादी बोलीं, “नीमा, थोड़ी देर बैठ जा।” “क्यों”, नीमा पलटकर बोली। “मेरा समय नहीं कटता”, दादी बोलीं। नीमा रुकी। फिर दौड़कर दादी की चप्पलें ले आई और बोली, “दादी आप भी मेरे साथ खेलने चलिए। खेलने में समय बहुत जल्दी कटता है। मैं पाँच बजे खेलने जाती हूँ पर दस मिनट में ही छह बज जाते हैं।” दादी ज़ोर से हँसी। फिर वे दोनों खेल के मैदान की ओर चल पड़े।

नीमा की घर वापसी

नीमा हर दोपहर दो बजे स्कूल से घर लौटती है। घर पर उसे सिर्फ उसकी दादी का साथ मिलता है, जो घर के कामों में व्यस्त रहती हैं। दादी अपनी उम्र और घुटनों के दर्द के कारण अधिकतर समय घर में ही बिताती हैं। वे अक्सर किचन में सब्जियाँ काटते हुए या अपने दर्द भरे घुटनों पर तेल मलते हुए पाई जाती हैं। उन्हें हमेशा नीमा का इंतजार रहता है, जिसके आने से घर में रौनक आ जाती है।

दोपहर की बातचीत

नीमा जब घर पहुँचती है, तो खाने की मेज पर बैठकर स्कूल की घटनाएँ दादी को सुनाती है। उनकी यह दोपहरी बातचीत दोनों के लिए बहुत मायने रखती है। नीमा के स्कूल के किस्से और अनुभव दादी के लिए एक नई दुनिया की खिड़की की तरह होते हैं। दादी भी बदले में अपने जीवन के अनुभव और कहानियाँ सुनाती हैं। इस तरह, उनका दोपहर का समय आपसी संवाद और प्यार में बीतता है।

शाम का खेल

शाम होते ही नीमा अपने दोस्तों के साथ खेलने जाने के लिए उत्सुक हो जाती है। खेल का मैदान उसके लिए एक ऐसी जगह है, जहां वह अपनी सारी चिंताएँ और पढ़ाई का बोझ भूल जाती है। इस समय का इंतजार वह पूरे दिन करती है। खेल के मैदान में वह अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती और खेल करती है। उसके लिए यह समय मानो सोने के पलों की तरह तेजी से गुजरता है।

दादी की एकाकीपन

एक दिन जब नीमा खेलने जाने के लिए उठी, तो दादी ने उसे रोका और कहा कि वह थोड़ी देर और रुक जाए। नीमा ने आश्चर्य से पूछा, “क्यों?” दादी ने उत्तर दिया कि उन्हें अकेलापन महसूस होता है और समय नहीं कटता। नीमा को यह सुनकर अहसास हुआ कि दादी के लिए उसकी उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण है। वह तुरंत रुक गई, दादी के लिए उनकी चप्पलें ले आई और उन्हें साथ खेलने के लिए आमंत्रित किया।

नीमा का आमंत्रण

नीमा ने दादी से कहा कि खेलने में समय जल्दी गुजरता है। उसने बताया कि वह शाम पाँच बजे खेलने जाती है और महसूस करती है कि दस मिनट में ही छह बज जाते हैं। नीमा के इस आमंत्रण और बातों से दादी को हँसी आ गई। उन्होंने नीमा की बातों को सराहा और उसके साथ खेलने के लिए तैयार हो गईं। नीमा का यह प्रस्ताव उनके लिए खुशी का क्षण था।

एक साथ खेल की ओर

अंत में, दोनों खेल के मैदान की ओर चल पड़े। दादी और नीमा के बीच का यह साझा क्षण उनके रिश्ते की गहराई और प्यार को दर्शाता है। खेल के मैदान में जाते समय, दादी की हँसी और नीमा की खुशी ने उनके आपसी संबंध को और मजबूत कर दिया। यह यात्रा उनके लिए केवल एक खेल का था।

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