एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 7 टिल्‍लू जी

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 7 टिल्‍लू जी के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। दूसरी कक्षा हिंदी के पाठ 7 में छात्र टिल्लू जी के दर के बारे में पढ़ेंगे जो स्कूल जाते समय बनी थी और बाद में मिली ख़ुशी के बारे में जानेंगे।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 7 टिल्‍लू जी

टिल्‍लू जी

टिल्लू जी स्कूल गए,
बस्ता घर पर भूल गए।
रस्ते भर थे डरे-डरे,
पहुँचे गेट पर अरे अरे।
छुट्टी का नोटिस चिपका,
देख खुशी से फूल गए।
दोनों बाँहें माँ के,
डाल गले में झूल गए।

टिल्लू जी का स्कूल जाना

एक सुबह, टिल्लू जी उत्साहित होकर स्कूल के लिए निकले। सूरज की पहली किरणें उनके चेहरे पर चमक रही थीं, और वे आने वाले दिन के लिए तैयार थे। उनका मन पढ़ाई और खेल में लगा हुआ था, और वे सोच रहे थे कि आज का दिन कैसा होगा। परंतु जल्दबाजी में, वे एक महत्वपूर्ण चीज भूल गए – अपना स्कूल बैग। यह एहसास उन्हें रास्ते में हुआ, जब उन्होंने अपनी पीठ पर बस्ते का बोझ महसूस नहीं किया।

डर और चिंता के पल

टिल्लू जी के मन में विचारों का तूफान उठ गया। उन्होंने सोचा कि स्कूल में बिना बस्ते के उनका क्या होगा। क्या शिक्षक उन्हें डांटेंगे? क्या मित्र उन पर हंसेंगे? इन्हीं सोचों में डूबे हुए, वे धीरे-धीरे स्कूल की ओर बढ़ने लगे। उनके कदम भारी हो गए थे, और उनके चेहरे पर चिंता की छाया साफ दिखाई दे रही थी। उनका दिल तेजी से धड़क रहा था, और वे अपनी गलती को लेकर खुद को कोस रहे थे।

स्कूल पहुँचने पर आश्चर्य

जैसे ही टिल्लू जी स्कूल के मुख्य द्वार पर पहुंचे, उन्होंने कुछ असामान्य देखा। स्कूल के गेट पर एक नोटिस चिपका हुआ था। उनकी चिंताएँ अचानक जिज्ञासा में बदल गईं। वे दौड़कर नोटिस के पास गए और ध्यान से पढ़ने लगे। यह एक छुट्टी का नोटिस था – स्कूल आज बंद था। इसे पढ़कर उनके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ गई।

खुशी की लहर

टिल्लू जी का दिल खुशी से उछल पड़ा। उनकी सारी चिंताएँ और डर एक पल में गायब हो गए। वे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। उन्होंने सोचा कि यह एक संयोग कैसा था कि जिस दिन वे अपना बस्ता भूल गए, उसी दिन स्कूल भी बंद था। उनके मन में अब कोई चिंता नहीं थी, और वे आनंदित होकर घर लौटने की सोचने लगे।

माँ के पास वापसी

टिल्लू जी जल्दी से घर की ओर चल पड़े। उनके कदमों में अब वही पहले वाली ऊर्जा और खुशी थी। वे सोच रहे थे कि उनकी माँ को यह सुनकर कितनी खुशी होगी कि आज स्कूल बंद है। घर पहुंचकर, उन्होंने अपनी माँ को सारी बात बताई। माँ ने उन्हें प्यार से गले लगाया और उनके सिर पर प्यार से हाथ फेरा।

खुशियों का समापन

टिल्लू जी का दिन अद्भुत रहा। जो दिन चिंता और डर से शुरू हुआ था, वह खुशी और प्यार में समाप्त हुआ। उन्होंने अपनी माँ के साथ पूरा दिन बिताया, और इस छोटी सी घटना ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया – कभी-कभी जीवन में छोटी गलतियाँ भी बड़ी खुशियाँ ला सकती हैं। वे उस दिन को हमेशा याद रखेंगे, जब वे अपना बस्ता भूल गए थे।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 7 टिल्‍लू जी
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