एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 15 किसान

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 15 किसान के प्रश्न उत्तर और कविता के अतिरिक्त प्रश्नों के हल शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए छात्र-छात्राएँ यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी कक्षा 2 हिंदी के पाठ 15 में किसान के जीवन के बारे में पढ़ते हैं। वे किसानों से जुडी परेशानियों को भी समझेंगे।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 15 के लिए एनसीईआरटी समाधान

किसान

नहीं हुआ है अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिड़ियों के जगने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।
खिला-पिलाकर बैलों को ले,
करने चला खेत पर काम,
नहीं कभी त्योहार न छुट्टी,
उसको नहीं कभी आराम।
गरम-गरम लू चलती सन-सन,
धरती जलती तवे समान,
तब भी करता काम खेत पर,
बिना कि ए आराम किसान।
बादल गरज रहे गड़-गड़-गड़,
बिजली चमक रही चम-चम,
मूसलाधार बरसता पानी,
ज़रा न रुकता लेता दम।

हाथ-पाँव ठिठुरे जाते हैं,
घर से बाहर निकले कौन,
फिर भी आग जला, खेतों की,
रखवाली करता वह मौन।
है कि सान को चैन कहाँ,
वह करता रहता हरदम काम,
सोचा नहीं कभी भी उसने,
घर पर रह करना आराम।

किसान का सवेरा

भोर की पहली किरण से पहले ही, जब आकाश पूरवाई लालिमा में नहाया होता है और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज अभी तक शुरू भी नहीं हुई होती, तब किसान अपनी खाट को छोड़ जाग उठता है। इस अवस्था में, जब प्रकृति भी अपनी नींद में होती है, वह अपने दैनिक कार्यों की ओर अग्रसर होता है। उसकी दिनचर्या का आरंभ ही इस प्रकार से होता है कि उसके लिए न तो कोई त्योहार मायने रखता है और न ही कोई छुट्टी। उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य होता है अपने खेतों की देखभाल करना और उन्हें सींचना।

कठिन परिश्रम की पराकाष्ठा

जैसे ही सूरज आसमान में चढ़ता है, तपती हुई गर्मी की लू चलने लगती है, जिससे धरती जैसे तवे की तरह तपने लगती है। इस तपिश के बावजूद, किसान अपने खेतों में काम करना जारी रखता है, बिना किसी आराम के। उसकी मेहनत और समर्पण की इंतहा देखकर प्रकृति भी नतमस्तक हो जाती है। उसके लिए न तो गर्मी की चिंता होती है और न ही ठंड की। उसका एकमात्र लक्ष्य होता है अपने खेतों की सुरक्षा और उन्हें उपजाऊ बनाए रखना।

वर्षा की चुनौतियाँ

जब बादल गरजते हैं और बिजली की चमक से आसमान रोशन हो उठता है, तब मूसलाधार वर्षा शुरू हो जाती है। इस समय, जब हर कोई अपने घर के अंदर आराम करना पसंद करता है, किसान अपने खेतों की रखवाली में लगा होता है। उसके हाथ-पाँव ठंड से ठिठुरने लगते हैं, लेकिन फिर भी वह अपने काम में लगा रहता है। वह आग जलाकर, बारिश के पानी से अपने खेतों की सुरक्षा करता है और उन्हें सहेजता है।

निरंतर समर्पण

किसान का जीवन एक निरंतर समर्पण की गाथा है। उसके लिए न तो कभी आराम का कोई स्थान होता है और न ही उसे कभी विश्राम की आवश्यकता महसूस होती है। वह हर दिन, हर पल अपने खेतों और फसलों के प्रति समर्पित रहता है। उसकी मेहनत और त्याग की कहानी हमें प्रेरणा देती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने कर्तव्य के प्रति इतना समर्पित हो सकता है।

प्रकृति के साथ संवाद

किसान का जीवन प्रकृति के साथ एक गहरे संवाद का प्रतीक है। वह प्रकृति की हर अवस्था को समझता है और उसके अनुसार अपने कार्यों को ढाल लेता है। चाहे गर्मी हो, बरसात हो या फिर सर्दी, किसान हमेशा अपने खेतों की देखभाल में लगा रहता है। उसका यह संवाद प्रकृति के साथ उसे न केवल एक अच्छा कृषक बनाता है बल्कि एक विशेषज्ञ भी बनाता है जो प्रकृति के संकेतों को पहचान सकता है।

अनवरत परिश्रम की मिसाल

किसान का जीवन अनवरत परिश्रम की मिसाल है। वह बिना किसी शिकायत के अपने काम में लगा रहता है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। उसका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची लगन और मेहनत से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। किसान की यह जीवन शैली हमें धैर्य, समर्पण और कठिन परिश्रम का महत्व सिखाती है।

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