एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 14 बीज

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 14 बीज के प्रश्न उत्तर और अतिरिक्त प्रश्नों के हल सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 2 हिंदी के पाठ 14 में छात्र पढेंगे कि किस प्रकार रस्ते में पड़े बीज को गमले में लगाकर पेड़ उगाया और अपनी मेहनत में सफलता प्राप्त की।

कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 14 के लिए एनसीईआरटी समाधान

बीज

मुझे एक बीज मिला।
मैंने उसको गमले में डाला।
मैंने उसे पानी दिया और बहुत सारी धूप।
क्या यह पेड़ है?
क्या यह झाड़ी है?
क्या इसमें फूल होंगे?
क्या इसमें फल होंगे?
क्या यह लम्बा ऊँचा होगा?
क्या यह छोटा ही रहेगा?
मुझे नहीं पता।
कोई फ़र्क नहीं पड़ता!

बीज का आरंभ

एक दिन मुझे एक छोटा सा बीज मिला। यह बीज बहुत ही साधारण लग रहा था, लेकिन मुझे इसमें कुछ विशेषता नजर आई। मैंने इसे अपने गमले में ध्यान से रोपित किया। मेरा मन उत्सुकता और आशा से भर गया क्योंकि मैंने इसे अपनी देखभाल में ले लिया। मैंने इसे पानी दिया और यथासंभव धूप की व्यवस्था की। मेरे मन में विचार आया कि यह बीज आखिर क्या बनेगा? एक पेड़ या एक झाड़ी? मैंने इसे सिर्फ एक अच्छी शुरुआत दी, आगे की यात्रा इस बीज की अपनी थी।

प्रकृति का चमत्कार

दिन बीतते गए, और मेरा छोटा सा बीज धीरे-धीरे अंकुरित होने लगा। यह देखकर मेरे मन में एक अद्भुत अनुभूति हुई। प्रकृति की इस छोटी सी क्रिया में भी कितना सौंदर्य है, यह सोचकर मैं अचंभित था। मैंने सोचा कि क्या इसमें फूल आएंगे या फिर यह कुछ फल देगा। इस अंकुर के विकास को देखना मेरे लिए एक रोमांचक अनुभव बन गया। हर नया पत्ता, हर छोटी सी टहनी एक नई उम्मीद लेकर आई।

वृद्धि की अनिश्चितता

जैसे-जैसे वक्त बीता, मेरी उत्सुकता बढ़ती गई। क्या यह पेड़ बनेगा जो ऊंचा और विशाल होगा? या यह एक छोटी झाड़ी ही रहेगी? मैंने सोचा कि क्या इसकी शाखाओं पर खिलने वाले फूलों से बगीचा महकेगा, या फिर इसके फलों से घर का आंगन रंगीन हो जाएगा। लेकिन इन सब सवालों के जवाब मेरे पास नहीं थे। यह अनिश्चितता, इस वृद्धि की यात्रा का एक हिस्सा बन गई।

प्रकृति की गोद में

मैंने समझा कि यह बीज और इसका विकास प्रकृति की गोद में एक अद्भुत यात्रा है। इसने मुझे प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध महसूस कराया। मेरे लिए, इस बीज की देखभाल करना सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि एक सीखने की प्रक्रिया बन गया। मैंने सीखा कि प्रकृति के साथ समय बिताना, उसे समझना और उसकी सराहना करना कितना महत्वपूर्ण है।

अनिश्चितता का सौंदर्य

इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि जीवन में अनिश्चितता का अपना एक सौंदर्य है। हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा, लेकिन यही तो जीवन की सुंदरता है। इस बीज ने मुझे धैर्य रखना और प्रकृति की गति को समझना सिखाया। मैंने सीखा कि हमें अपने प्रयासों में लगे रहना चाहिए, फिर चाहे परिणाम जो भी हो।

आत्मसंतुष्टि की यात्रा

अंत में, मुझे एहसास हुआ कि इस बीज का जीवन, चाहे वह किसी भी रूप में हो, मेरे लिए एक आत्मसंतुष्टि की यात्रा है। मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह बीज क्या बनेगा, क्योंकि मैंने इसे अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। मैंने सीखा है कि जीवन में हमारे प्रयास ही मायने रखते हैं, परिणाम नहीं। इस छोटे से बीज ने मुझे जीवन की गहराइयों को समझने का एक नया दृष्टिकोण दिया है।

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