एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 6 जल संसाधन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 6 जल-संसाधन भाग 2 भारत लोग और अर्थव्यस्था एक प्रश्न उत्तर तथा सवालों के जवाब सत्र 2025-26 के लिए विद्यार्थी यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 12 भूगोल पाठ 6 के समाधान के साथ-साथ अतिरिक्त प्रश्नों के हल भी यहाँ दिए गए हैं ताकि छात्र परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से कर सकें।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 6
कक्षा 12 भूगोल अध्याय 6 जल-संसाधन के प्रश्न उत्तर
यह कहा जाता है कि भारत में जल संसाधनों में तेज़ी से कमी आ रही है। जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।
भारत में जल संसाधनों में तेजी से कमी के लिए उत्तरदायी कारक:
- जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, जनसंख्या बढ़ने से दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। उपलब्ध जल संसाधन औद्योगिक, कृषि तथा घरेलू निस्सरणों से प्रदूषित होता जा रहा है तथा इस कारण उपयोगी जल संसाधनों उपलब्धता तथा सीमित होती जा रही है।
- भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जल की प्रतिव्यक्ति उपलब्धता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है।
कक्षा 12 भूगोल अध्याय 6 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है?
निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उपयोग (% में) इसके कुल भौम जल संभाव्य से ज्यादा है?
देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में है?
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भौम जल विकास के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी है?
पंजाब, हरियाणा तथा तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत ज्यादा है। इसका कारण है कृषि के अंतर्गत यहाँ उगाए जाने वाली फ़सलों में सिंचाई की अधिक जरूरत पड़ती है, जिससे ये राज्य अपने संभावित भौम जल के एक बड़े भाग का उपयोग करते हैं जिससे कि इन राज्यों में भौम जल में कमी आ जाती है।
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है?
औद्योगिकीकरण में वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र कम हो रहा है। कुल जल उपयोग में कृषि सेक्टर का भाग दूसरे सेक्टरों से ज्यादा है। भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में घरेलू तथा औद्योगिक सेक्टरों में जल उपयोग बढ़ने की संभावना है जिस कारण देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना है।
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं?
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग प्रभाव
- मानव शरीर के लिए जल बहुत आवश्यक है। यदि दूषित जल का उपयोग पीने के काम में लेते हैं तो विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जायेंगे।
- गंदे पानी में जीवणु, विषाणु, प्रोटोजोआ आदि पाए जाते हैं जिनकी वजह से हैजा, पीलिया, चर्म रोग, पेचिस जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
- प्रदूषित जल के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है।
देश में जल संसाधनों की उपलब्धता की विवेचना कीजिए और इसके स्थानिक वितरण के लिए उत्तरदायी निर्धारित करने वाले कारक बताइए।
भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45%, जल संसाधनों का 4%, जनसंख्या का लगभग 16% भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्र लगभग 4000 घन कि. मी. है। धारातलीय जल तथा पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1869 घन कि. मी. जल उपलब्ध है। धरातलीय जल के चार मुख्य स्त्रोत हैं- नदियाँ, झीलें, तलैया तथा तालाब। इसमें से केवल 60% जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1122 घन कि.मी. है।
धरातलीय जल संसाधन
धरातलीय जल के चार मुख्य स्त्रोत हैं – नदियाँ, झीलें, तलैया तथा तालाब। इसमें से केवल 60% जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1122 घन कि.मी. है। भारत में नदी बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1869 घन कि.मी. होने का अनुमान किया गया है। इसके बाद भी स्थलाकृतिक, जलीय तथा अन्य दबावों के कारण प्राप्त धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। नदी में जल प्रवाह इसके जल ग्रहण क्षेत्र के आकार अथवा नदी बेसिन तथा इस जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा बराक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है। ये नदियाँ यद्यपि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक- तिहाई भाग पर पाई जाती हैं जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60% जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदियों जैसे- गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग कार्य में लाया जाता है लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र तथा गंगा बेसिनों में अभी भी संभव नहीं हो सका है।
भौम जल संसाधन: देश में कुल पुनः पुर्तियोग भौम जल संसाधन लगभग 432 घन कि.मी. हैं। उत्तर पश्चिमी प्रदेश तथा दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिनों में भौम जल उपयोग अपेक्षाकृत अधिक है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग ज्यादा है किंतु कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़, केरल, ओडिशा आदि अपने भौम जल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं। गुजरात उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, त्रिपुरा अपने भौम जंल संसाधनों को मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं।