एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 9 जैव प्रौद्योगिकी सिद्धांत व प्रक्रम

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 9 जैव प्रौद्योगिकी सिद्धांत व प्रक्रम के सवाल जवाब अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। सीबीएसई और राजकीय बोर्ड दोनों के लिए कक्षा 12 जीव विज्ञान के समाधान मददगार हैं तथा परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 9 के लिए एनसीईआरटी समाधान

मानव की एक कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता क्या होगी?

मानव में डीएनए 3 M प्रति कोशिका होती है अर्थात् मानव की एक कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता 3 होगी।

क्या आप दस पुनर्योगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाये जाते हैं? पता लगाइये कि वे चिकित्सीय औषधि के रूप में कहाँ प्रयोग किये जाते हैं।
क्र० स० पुनर्योगज प्रोटीन चिकित्सीय व्यवहार
1. इंसुलिन डायबिटीज़ मेलिटस के उपचार के लिए।
2. ह्यूमन वृद्धि हार्मोन नाटेपन के उपचार के लिए।
3. इंटरफेरॉन वायरस जनित रोग, कैंसर तथा एड्स के उपचार के लिए।
4. स्ट्रेप्टोकाइनेज़ थ्रोम्बोसिस के उपचार के लिए।
5. ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर सेप्सिस तथा कैंसर के उपचार के लिए।
6. इंटरल्यूकिन्स विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए।
7. हेपेटाइटिस–B सतह एंटीजेन हेपेटाइटिस–B के विरुद्ध टीका।
8. ग्रेनुलोसाइट- कॉलोनी स्टिम्युलेटिंग फैक्टर कैंसर एवं एड्स के उपचार के लिए तथा बोनमैरो प्रतिस्थापन के लिए।
9. ग्रेनुलोसाइट मैक्रोफेज- कॉलोनी कैंसर एवं एड्स के उपचार के लिए।
10. बोविन वृद्धि हार्मोन दुग्ध उत्पादन बढ़ने के लिए।

कक्षा ग्यारहवीं में जो आप पढ़ चुके हैं उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आण्विक आकार के आधार पर एंजाइम बड़े हैं या डीएनए। आप इसके बारे में कैसे पता लगाएँगे?
एंजाइम्स प्रोटीन्स होते हैं। प्रोटीन्स अणु अत्यधिक जटिल संरचना वाले वृहदाणु होते हैं। इनका निर्माण ऐमीनो अम्लों से होता है। प्रकृति में लगभग 300 प्रकार के ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं, किन्तु इनमें से केवल 20 ऐमीनो अम्ल ही जन्तु एवं पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं। ऐमीनो अम्ल श्रृंखलाबद्ध होकर परस्पर पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रत्येक प्रोटीन अणु की पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में ऐमीनो अम्लों का क्रम विशिष्ट प्रकार का होता है। प्रोटीन्स का आण्विक भार बहुत अधिक होता है। विभिन्न ऐमीनो अम्ल से बनने वाली प्रोटीन्स विभिन्न प्रकार की होती हैं। हमारे शरीर में लगभग 50,000 प्रकार की प्रोटीन्स पायी जाती हैं।
डीएनए के जैविक-वृहदाणु जटिल संरचना वाले होते हैं। ये प्रोटीन्स (एंजाइम) से भी बड़े जैविक गुरुअणु होते हैं। इनका अणुभार 106 से 109 डाल्टन तक होता है। डीएनए अणु पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला से बना होता है। डीएनए से कम अणुभार वाले एम-आरएनए, टी-आरएनए तथा आर-आरएनए का निर्माण होता है। आरएनए प्रोटीन संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आरएनए संश्लेषण हेतु डीएनए अणु विभिन्न स्थान पर द्विगुणित होकर छोटी-छोटी अनुपूरक श्रृंखलाएँ अर्थात् राइबोन्यूक्लिओटाइड अम्ल का एक छोटा अणु बनाती हैं। इन्हें प्रवेशक कहते हैं। आरएनए प्रवेशकों के संश्लेषण का उत्प्रेरण आरएनए पॉलिमरेज एंजाइम करते है। आरएनए अणु प्रोटीन संश्लेषण के काम आते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि डीएनए अणु प्रोटीन्स (एंजाइम) से भी बड़े अणु होते हैं।

अच्छी हवा व मिश्रण विशेषता के अतिरिक्त की तुलना में कौन सी अन्य कंपन्न फ्लास्क सुविधाएँ हैं?

कंपन्न फ्लास्क द्वितीयक चुनाव के समय किण्वन के लिये परंपरागत विधि है। इसलिये दंड विलोडक हौज बायोरिएक्टर द्वारा उत्पादों को अधिक आयतन तक संवर्धित किया जा सकता है। यह मात्रा 100 लीटर से 1000 लीटर तक हो सकती है। वांछित उत्पादन पाने के लिये जीव-प्रतिकारक अनुकूलतम परिस्थितियाँ, जैसे- तापमान, pH, क्रियाधार, विटामिन, लवण, ऑक्सीजन आदि उपलब्ध कराता है। इस बायोरिएक्टर में अच्छी हवा व मिश्रण की विशेषता के अतिरिक्त यह कम खर्चीला है तथा इसमें ऑक्सीजन स्थानांतरण की दर बहुत अधिक होती है।

क्या सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज मिलते हैं? अपना उत्तर सही सिद्ध कीजिए।
हाँ, सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज मिलते हैं। प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज डीएनए अनुक्रम की लंबाई के निरीक्षण के बाद कार्य करता है। जब यह अपना विशिष्ट पहचान अनुक्रम पा जाता है तब डीएनए से जुड़ता है तथा द्विकुंडलिनी की दोनों लड़ियों को शर्करा-फॉस्फेट आधार स्तंभों में विशिष्ट केंद्रों पर काटता है। प्रत्येक प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज डीएनए में विशिष्ट पैसिंड्रोमिक न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों को पहचानता है।

अर्द्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या बता सकते हैं कि पुनर्योगज डीएनए किस अवस्था में बनते हैं?

अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या घटकर आधी रह जाती है। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रत्येक जोड़ी के समजात गुणसूत्रों के मध्य एक या अनेक खंडो की अदला-बदली अर्थात् पारगमन होता है। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रथम पूर्वावस्था की उपअवस्था जाइगोटीन में समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं। इस प्रक्रिया को सूत्रयुग्मन कहते हैं। पैकिटीन उपअवस्था में सूत्रयुग्मक सम्मिश्र में एक या अधिक स्थानों पर गोल सूक्ष्म घुण्डियाँ दिखाई देने लगती हैं, इन्हें पुनर्संयोजन घुण्डियाँ कहते हैं।
समजात गुणसूत्रों के परस्पर जुड़े क्रोमैटिड्स के मध्य एक या अधिक खंडो की पारस्परिक अदला-बदली को पारगमन कहते हैं। इससे समजात पुनसँयोजित डीएनए बन जाता है। पुनर्संयोजन घुण्डियाँ उन स्थानों पर बनती हैं जहाँ पर पारगमन हेतु क्रोमैटिड्स के टुकड़े टूटकर पुनः जुड़ते हैं।

क्या आप बता सकते हैं कि प्रतिवेदक (रिपोर्टर) एंजाइम को वरणयोग्य चिह्न की उपस्थिति में बाहरी डीएनए को परपोषी कोशिकाओं में स्थानांतरण के लिये मॉनीटर करने के लिए किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है?
प्रतिकृतियन की उत्पत्ति वह अनुक्रम है जहाँ से प्रप्तिकृतियन की शुरूआत होती है और जब किसी डीएनए का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब परपोषी कोशिकाओं के अंदर प्रतिकृति कर सकता है। यह अनुक्रम जोड़े गये डीएनए के प्रतिरूपों की संख्या के नियंत्रण के लिये भी उत्तरदायी है। ‘ori’ के साथ संवाहक को वरणयोग्य चिह्न की आवश्यकता भी होती है, जो अरूपांतरणों की पहचान एवं उन्हें समाप्त करने में सहायक हो और रूपांतरणों की चयनात्मक वृद्धि को होने दे। रूपांतरण एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत डीएनए के एक खंड को परपोषी जीवाणु में प्रवेश कराते हैं।

निम्नलिखित का संक्षिप्त वर्णन कीजिये: (क) प्रतिकृतीयन का उद्भव (ख) बायोरिएक्टर (ग) अनुप्रवाह संसाधन

(क) प्रतिकृतीयन का उद्भव: यह वह अनुक्रम है जहाँ से प्रतिकृतीयन की शुरूआत होती है। जब बाहरी डीएनए का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब प्रतिकृती कर सकता है। एक प्रोकैरियोटिक डीएनए में सामान्यतया एक प्रतिकृतीयन स्थल होता है जबकि यूकैरियोटिक डीएनए में एक से अधिक प्रतिकृतीयन स्थल होते हैं।
(ख) बायोरिएक्टर: बायोरिएक्टर एक बर्तन के समान है, जिसमें सूक्ष्मजीवों, पौधों, जंतुओं एवं मानव कोशिकाओं का उपयोग करते हुये कच्चे माल को जैव रूप से विशिष्ट उत्पादों व्यष्टि एंजाइम आदि में परिवर्तित किया जाता है। वांछित उत्पाद पाने के लिये जीव-प्रतिकारक अनुकूलतम परिस्थितियाँ, जैसे-तापमान, pH, क्रियाधार, विटामिन, लवण, ऑक्सीजन आदि उपलब्ध कराता है।
सामान्यतया सर्वाधिक उपयोग में लाया जाने वाला बायोरिएक्टर विडोलन (स्टिरिंग) प्रकार का है। विडोलित हौज रिएक्टर सामान्यतया बेलनाकार होते हैं या इसमें घुमावदार आधार होता है। जिससे रिएक्टर के अंदर की सामग्री को मिश्रण में सहायता मिलती है। विडोलक प्रतिकारक के अंदर की सामग्री को मिश्रित करने के साथ-साथ प्रतिकारक में सभी जगह ऑक्सीजन की उपलब्धता भी कराते हैं। प्रत्येक जीव-प्रतिकारक रिएक्टर में एक प्रक्षोभक यंत्र होता है। इसके अतिरिक्त उसमें ऑक्सीजन-प्रदाय यंत्र, झाग- नियंत्रण यंत्र, तापक्रम नियंत्रण यंत्र, pH होता है। प्रतिक्रिया नियंत्रण तंत्र तथा प्रतिचयन द्वारा होता है जिससे समय-समय पर संवर्धित उत्पाद की थोड़ी मात्रा निकाली जा सकती है।

(ग) अनुप्रवाह संसाधन: जैव प्रौद्योगिकी द्वारा तैयार उत्पाद को बाजार में भेजने से पूर्व उसे कई प्रक्रमों से गुजारा जाता है। इन प्रक्रमों में पृथक्करण एवं शोधन सम्मिलित है और इसे सामूहिक रूप से अनुप्रवाह संसाधन कहते हैं। उत्पाद को उचित परिरक्षक के साथ संरूपित किया जाता है। औषधि के मामले में ऐसे संरूपण को चिकित्सीय परीक्षण से गुजारते हैं। प्रत्येक उत्पाद के लिये सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण की भी आवश्यकता होती है। अनुप्रवाह संसाधन एवं गुणवत्ता नियंत्रक परीक्षण अलग-अलग उत्पाद के लिये भिन्न-भिन्न होता है।

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