एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 मानव जनन

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 मानव जनन के प्रश्न उत्तर अभ्यास के सवाल जवाब सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। बारहवीं कक्षा में जीव विज्ञान के पाठ 2 के प्रत्येक प्रश्न के उत्तर को विस्तार से चित्रों के माध्यम से समझाया गया है।

कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 के लिए एनसीईआरटी समाधान

अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।

स्त्री के अंडाशय के जनन एपीथिलियम की कोशिकाओं से अण्डाणुओं का निर्माण, अंडजनन कहलाता है। अंडजनन निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होता है:
प्रोलीफेरेशन प्रावस्था: इस अवस्था की शुरुआत उस समय से होती है जब मादा फीट्स माँ के गर्भ में लगभग 7 माह की होती है। जनन कोशिकाएँ विभाजित होकर अंडाशय की गुहा में कोशिका गुच्छ बना देती हैं जिसे पुटिका कहते हैं। पुटिका की एक कोशिका आकार में बड़ी हो जाती है तथा इसे ऊगोनियम कहते हैं।
वृद्धि प्रावस्था: यह अवस्था भी उस समय पूरी हो जाती है जब मादा माँ के गर्भ में होती है। इस अवस्था में ऊगोनियम पोषण कोशिकाओं से भोजन एकत्रित करते समय आकार में बड़ी हो जाती है। उसे प्राथमिक ऊसाइट कहते हैं।
परिपक्व प्रावस्था: यह क्रिया पूरे जनन काल (11- 45) वर्ष में लगातार होती रहती है। प्राथमिक ऊसाइट में पहला अर्धसूत्री विभाजन होता है तथा दो असमान कोशिकाएँ बन जाती हैं। बड़ी कोशिका द्वितीयक ऊसाइट कहलाती है, जबकि छोटी कोशिका को प्रथम ध्रुवीकाय कहते हैं। यह विभाजन अंडोत्सर्ग से पहले होता है। दूसरा समसूत्री विभाजन अंडवाहिनी में, अंडोत्सर्ग के बाद होता है जिसके फलस्वरूप एक अंडाणु तथा एक द्वितीयक ध्रुवीकाय बनती है। सभी ध्रुवीकाय नष्ट हो जाती हैं तथा इस सम्पूर्ण क्रिया में एक अंडाणु प्राप्त होता है। ध्रुवीकार्य का निर्माण अंडाणुओं को पोषण प्रदान करने के लिए होता है।

शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें।
शुक्रजनक नलिका: वृषण का निर्माण अनेक शुक्रजनक नलिकाओं से होता है। शुक्रजनक नलिकाओं के मध्य संयोजी ऊतक में स्थान-स्थान पर अंतराली कोशिकाओं के समूह स्थित होते हैं। इन्हें लेडिग कोशिकाएँ भी कहते हैं। इनसे स्रावित नर हॉर्मोन्स के कारण द्वितीयक लैंगिक लक्षण विकसित होते हैं।
प्रत्येक शुक्रजनक नलिका पतली एवं कुण्डलित होती है। यह दो पर्तो से घिरी रहती है। बाहरी पर्त को बहिःकुंचक तथा भीतरी पर्त को जनन एपिथीलियम कहते हैं। जनन एपिथीलियम का निर्माण मुख्य रूप से जनन कोशिकाओं से होता है। इनके मध्य स्थान-स्थान पर सटली कोशिकाएँ पायी जाती हैं। जनन कोशिकाओं से शुक्रजनन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है। शुक्राणु सटली कोशिकाओं से पोषक पदार्थ एवं ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं। वृषण की शुक्रजनक नलिकाएँ वृषण नलिकाओं के माध्यम से शुक्रवाहिकाओं में खुलती हैं। शुक्रवाहिकाएँ अधिवृषण में खुलती हैं।
अधिवृषण से एक शुक्रवाहिनी निकलकर वंक्षण नाल से होती हुई उदर गुहा में प्रवेश करती है। शुक्रवाहिनी मूत्रवाहिनी के साथ फंदा बनाकर मूत्रमार्ग के अधर भाग में खुलती है।

आर्तव चक्र क्या है? आर्तव चक्र (मेंस्ट्रुअल साइकिल) का कौन से हार्मोन नियमन करते हैं?

मादाओं (प्राइमेट्स) में अंडाणु निर्माण 28 दिन के चक्र में होती है जिसे आर्तव चक्र अथवा मासिक चक्र या ऋतु स्राव चक्र कहते हैं। प्रत्येक स्त्री में यह चक्र 12-13 वर्ष की आयु से प्रारम्भ हो जाती है तथा 45-55 वर्ष की आयु में खत्म हो जाता है। यह चक्र अंडाशय में अंडाणु निर्माण को दर्शाता है तथा इसके प्रारम्भ होने के साथ ही मादा गर्भधारण में सक्षम हो जाती है। आर्तव चक्र (मेंस्ट्रुअल साइकिल) का नियमन निम्न दो हामोंन करते हैं: LH हार्मोन और FSH हॉर्मोन।

पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
पुरुष की सहायक नलिकाओं के प्रमुख कार्य निम्न हैं:
ये वृषण से शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग द्वारा बाहर लाती हैं।
ये शुक्राणुओं का संग्रह करती हैं।
पुरुष की सहायक ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्न हैं:
पुरस्थ द्रव का स्राव करना जो शुक्राणुओं को सक्रिय करता है।
काउपर्स ग्रन्थि चिपचिपा तरल स्रावित करती है जो योनि को चिकना बनाता है।
नर हार्मोन उत्पन्न करना।

प्रसव (पारट्यूरिशन) क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौन-से हॉर्मोन शामिल होते हैं?

गर्भकाल पूरा होने पर पूर्ण विकसित शिशु का माता के गर्भ से बाहर आना, प्रसव (पारट्यूरिशन) कहलाता है। इस दौरान गर्भाशयी तथा उदरीय संकुचन होते हैं व गर्भाशय फैल जाता है। जिससे गर्भस्थ शिशु बाहर आ जाता है। प्रसव का प्रेरण ऑक्सिटोसिन, एस्ट्रोजेन व कॉर्टिसोल नामक हार्मोन करते हैं।

निम्नलिखित के कार्य बताइए:
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटीयम)
(ख) गर्भाशय अंत: स्तर (एन्डोमेट्रियम)
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(च) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर:
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटीयम): यह प्रोजेस्ट्रॉन, एस्ट्रोजेन, रिलेक्सिन नामक हार्मोन का स्राव करता है जो गर्भाशय के अंत: स्तर को बनाए रखते हैं।
(ख) गर्भाशय अंत: स्तर (एन्डोमेट्रियम): यह निषेचित अण्डे के प्रत्यारोपण तथा सगर्भता के लिए आवश्यक है। मासिक चक्र के दौरान इसमें परिवर्तन आता है। यह अपरा निर्माण में भी सहायक है।
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम): इसमें उपस्थित एन्जाइम, निषेचन में सहायक होते हैं।
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल): यह शुक्राणु के गमन में सहायता करती है।
(च) झालर (फिम्ब्री): यह अंडोत्सर्ग के समय, अंडाशय से निकले अंडाणु के संग्रह में सहायता करती है।

हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?

स्त्री में XX गुणसूत्र तथा पुरुष में XY गुणसूत्र पाये जाते हैं। जब स्त्री का X गुणसूत्र तथा पुरुष का Y गुणसूत्र मिलते हैं तो पुत्र (XY) उत्पन्न होता है। इसके विपरीत स्त्री का X गुणसूत्र तथा पुरुष का X गुणसूत्र मिलने पर पुत्री (XX) उत्पन्न होती है। अतः उत्पन्न संतान का लिंग निर्धारण पुरुष के गुणसूत्र द्वारा होता है न कि स्त्री के गुणसूत्र से। चूंकि पुरुष में 50% X तथा 50% Y गुणसूत्र होते हैं। अतः पुरुष के गुणसूत्र का X या Y होना ही सन्तान के लिंग के लिए उत्तरदायी है। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को देना सर्वदा गलत है।

आप क्या सोचते हैं कि कुतिया जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से कितने अंडे मोचित हुए थे?
कुतिया जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से 6 अंडे मोचित हुए थे।

एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वाँ बच्चे द्विअंडज यमज थे?
एक माह में मानव अंडाशय से सिर्फ एक अंडा मोचित होता है। समरूप जुड़वाँ बच्चों का जन्म होने पर भी एक माह में एक ही अंडा मोचित हुआ होगा। द्विअंडज यमज के सन्दर्भ में एक माह में दो अंडे मोचित हुए होंगे।

कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 मानव जनन
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कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर